अनार की बागवानी ने इन किसानों को बनाया मालदार
हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र के खेतों में कहीं भगवा सुपर अनार दाना तो कहीं सिंदूरी अनार टिश्यू उन्नत किसान मूलचंद कुमावत, नरेंद्र चौहान और शमशेर पर नियामत बनकर बरस रहा है। मूलचंद तो दुबई से और शमशेर कनाडा से अपना लगा-लगाया काम-काज छोड़कर अनार की खेती में कमाकर लाल हो रहे हैं।
बाजार में इन दिनो डिमांड की कुछ ऐसी मैराथन दौड़ मची है कि एक अनार, सौ बीमार की कहावत चरितार्थ हो रही है। महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा में इतने भारी उत्पादन के बावजूद किसान मांग पूरी नहीं कर पा रहे है। यह हालत जान-सुनकर करौली (राजस्थान) के मूलचंद कुमावत देहरा-दुबई कंस्ट्रक्शन कंपनी की ठेकेदारी छोड़छाड़ कर अपने गांव लौट आए हैं और ठाट से अनार और अंगूर की खेती कर रहे हैं। इसी तरह टोरंटो (कनाडा) से लौट आए शमशेर झज्जर (हरियाणा) के अपने गांव बामडौली में बीस एकड़ जमीन खरीद कर अपने बाग के सिंदूरी अनार की खेती से मालामाल हो रहे हैं।
और, तो और झुंझुनूं-सीकर हाईवे से लगे गांव बेरी की एक महिला किसान सिंदूरी अनार उत्पादन के लिए पूरे देश में मशहूर हो गई है। इसी तरह महाराष्ट्र के भगवा सुपर अनार से हरियाणा की पूरी जीटी रोड बेल्ट लाल-लाल बगीचों में तब्दील होती जा रही है। उन्नतशील किसान नरेंद्र चौहान को भगवा सुपर अनार की खेती ने मालदार बना दिया है।
करौली के गांव शिश्यूं निवासी मूलचंद कुमावत अब अपनी फलों की खेती से हर साल लगभग दस लाख रुपए कमा ले रहे हैं। इससे पहले वह देहरा-दुबई की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में ठेकेदारी सालाना दो-ढाई लाख कमा रहे थे। उन्हीं दिनो महाराष्ट्र में एक परिचित के साथ दुगोली के भंवरसिंह के अनार का बगीचा देखते ही उनके दिमाग में आइडिया कौंध उठा कि क्यों न वह भी अब अनार की ही खेती को अपना रोजी-रोजगार बना लें।, परदेस से ज्यादा पैसा तो वह अपने गांव-घर में रहकर कमा सकते हैं। उसके बाद वह महाराष्ट्र से ही सिंदूरी अनार टिश्यू के अस्सी रूपए के हिसाब से छह सौ पौधे खरीद लाए और ऑर्गेनिक खाद के सहारे पांच बीघे में उन्हें रोप दिया।
इसके बाद छह महीने के भीतर ही उनको सब खर्चा-बर्चा काटकर डेढ़ लाख रुपए की और अगले छह महीनों में तीन लाख की कमाई हुई। इस समय वह अपने बगीचे के अनार के फूल देखकर जुलाई तक करीब चार लाख रुपए और कमाई का इंतजार कर रहे हैं। अब तो वह थाई एपल बोर, खरबूजा, खीरा, तुरई, टमाटर की भी खेती शुरू कर चुके हैं। इस काम में उन्होंने लगभग एक दर्जन लोगों को रोजगार भी दे रखा है।
हरियाणा में बामडौली (झज्जर) के शमशेर एनएच-9 स्थित चुलियाना मोड़ पर बीस एकड़ बंजर जमीन खरीदकर उसमें से दो एकड़ में ऑर्गेनिक तरीके से अनार, चीकू, संतरा की मल्टी बागवानी कर रहे हैं। बाकी जमीन पर मौसमी सब्जियों की खेती कर रहे हैं। वह पानी के लिए फौवारा तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। वह बताते हैं कि अन्य किस्मों की बजाए सिंदूरी अनार टिकाऊ, स्वादिष्ट और निर्यात में मुफीद होता है। सबसे ज्यादा इसी की डिमांड है। करनाल (हरियाणा) के उन्नत किसान नरेंद्र चौहान बताते हैं कि वह 1992 में पुणे शोध संस्थान से गणेश किस्म के अनार के सिर्फ पांच पौधे खरीद लाए थे।
उन्हें हरियाणा के कृषि वैज्ञानिकों के साथ वहां भेजा गया था। अगले साल से उसमें फल आने लगे। उन फलों में लाली न होने से वे लोगों को पसंद नहीं आए तो मार्च 2016 में वह पुणे से भगवा सुपर अनार के पांच पौधे ले आए। अगले साल उसमें भी खूब मीठे और लाल-लाल फल आ गए। इस अनार की खासियत है कि इसे खाते समय मुंह में बीज नहीं होते हैं। इससे उनकी अच्छी कमाई होने लगी है। अब तो वह भगवा सुपर के पौधे भी तैयार कर किसानों को बेचने लगे हैं।
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