कभी घोड़ों का कारोबार करता था अदार पूनावाला का परिवार, जानिए कैसे बने वैक्सीन की दुनिया के बादशाह
घोड़ों के खून में मौजूद सीरम से सांप काटने और टिटनेस के टीके बनते थे. उसे अदार पूनावाला के पिता साइरस ने मौके की तरह देखा और खुद ही वैक्सीन बनाने वाली कंपनी खोल दी.
महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के बाद सबसे अधिक मामले सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) के आते हैं. अधिकतर महिलाएं एडवांस स्टेज में इलाज के लिए पहुंचती हैं, लेकिन उसके बाद उनकी जान बचाना मुश्किल हो जाता है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमावायरस वैक्सीन (क्यूएचपीवी) वैक्सीन बन चुकी है. इसे अदार पूनावाला (Adar Poonawalla) के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने बनाया है. केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस वैक्सीन को 1 सितंबर को लॉन्च किया है. इस वैक्सीन के चलते अब सर्वाइकल कैंसर के मामलों में तेजी से कमी आने की उम्मीद है. उम्मीद की जा रही है कि इसकी कीमत 200-400 रुपये होगी.
अदार पूनावाला को मिली एक और बड़ी कामयाबी
कोरोना काल में अदार पूनावाला की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ने न केवल भारत, बल्कि दुनिया के कई देशों को कोरोना के टीके मुहैया कराए. अब उनकी ही कंपनी ने सर्वाइकल कैंसर का टीका बनाकर दुनिया को एक और बड़ी सौगात दी है. ऐसे में लोग ये भी जानना चाहते हैं कि आखिर अदार पूनावाला की क्या कहानी है, आइए जानते हैं कैसे पूनावाला ने कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ीं.
नाम में कैसे जुड़ा 'पूनावाला'
ऐसे बहुत से लोग हैं जो अदार पूनावाला का नाम सुनते ही सबसे पहले ये सोचते हैं कि क्या उनका पूना या पुणे ये कोई कनेक्शन है? अगर नहीं तो उनके नाम में पूना क्यों है? दरअसल, 19वीं सदी में ब्रिटिश राज के दौरान उनका परिवार पुणे में आकर बसा था, वहीं से उनके नाम में पूनावाला जुड़ा. तमाम पारसी परिवार उस दौर में जहां बसे, उन शहरों के नाम उनके खुद के नाम में देखने को मिलते हैं.
कभी घोड़ों का बिजनस करता था पूनावाला परिवार
आजादी से पहले पूनावाला का परिवार कंस्ट्रक्शन और घोड़ों के कारोबार किया करता था. घोड़ों का कारोबार अदार पूनावाला के दादा सोली पूनावाला करते थे. वह उन्नत किस्म के घोड़ों को रेस के लिए तैयार करते थे. अंग्रेजों के बड़े अधिकारियों और बड़े-बड़े उद्योगपतियों से पूनावाला परिवार की पहचान घोड़ों के कारोबार की वजह से ही हुई.
कैसे हुई सीरम इंस्टीट्यूट की शुरुआत?
सीरम इंस्टीट्यूट की शुरुआत भी घोड़ों की वजह से ही हुई. 60 के दशक में अदार पूनावाला के पिता साइरस पूनावाला का ध्यान वैक्सीन इंडस्ट्री की तरफ गया. उस दौर में हाफ़किन इंस्टीट्यूट वैक्सीन बनाती थी, उसमें भी सरकार का रोल अधिक था. जो घोड़े बूढ़े हो जाते थे, उनसे सांप काटने और टिटनेस के टीके बनाए जाते थे. दरअसल, घोड़ों के खून में मौजूद सीरम से एंटीबॉडी बनाई जाती थी. साइरस ने 1966 में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की स्थापना की और अपने घोड़ों का इस्तेमाल खुद ही करने लगे.
इसके बाद धीरे-धीरे सीरम इंस्टीट्यूट से कई तरह की बीमारियों के लिए वैक्सीन बनाई जाने लगी. हाफकिन इंस्टीट्यूट से कई रिसर्चर भी सीरम इंस्टीट्यूट में आ गए. 1971 तक खसरा और कंठमाला रोग के टीके बन गए. जब ग्लोबल लेवल पर पोलियो से लड़ने का अभियान चला तो सीरम ने इसे बड़े मौके की तरह देखा. पूनावाला ने यूरोप और अमेरिकी तकनीक से उत्पादन बढ़ाया और कीमत सस्ती रखी. हालांकि, टीकाकरण में सरकार का हमेशा से अहम रोल रहा है, इसलिए कभी उन्हें सरकारों से मदद मिली तो कभी कुछ प्रावधानों से दिक्कतें भी हुईं.
5 लाख रुपये से शुरू किया था सीरम इंस्टीट्यूट
साइरस पूनावाला के दौर में ही सीरम इंस्टीट्यूट का दबदबा स्थापित हो गया था. उसी दौर में ये कंपनी दुनिया के देशों को वैक्सीन सप्लाई करने लगी थी और साइरस की गिनती दुनिया के अमीरों में होने लगी थी. साइरस ने सीरम इंस्टीट्यूट की शुरुआत 5 लाख रुपये से की थी और आज वैक्सीन की दुनिया में सीरम इंस्टीट्यूट की बादशाहत है.
और फिर सीरम में हुई अदार पूनावाला की एंट्री
सीरम इंस्टीट्यूट में 2001 में अदार पूनावाला की एंट्री हुई. वह इंग्लैंड से पढ़ाई करने के बाद भारत लौटे और सेल्स विभाग में काम करना शुरू किया. 2011 में अदार पूनावाला सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ बने. 2001 तक सीरम की तरफ से सिर्फ 35 देशों को वैक्सीन सप्लाई जाती थी, लेकिन आज की तारीख में सीरम 165 देशों को वैक्सीन देता है. कोरोना काल में अदार पूनावाला की अगुआई में सीरम इंस्टीट्यूट ने अपना बिजनस तेजी से बढ़ाया. आज के दौर में सीरम इंस्टीट्यूट पर साइरस पूनावाला की कम और अदार पूनावाला की छाप ज्यादा दिखने लगी है.
आलीशान जिदंगी जीता है पूनावाला परिवार
हैलीकॉप्टर तो हर अरबपति के पास होता है, लेकिन सीरम इंस्टीट्यूट के कैंपस में एक एयरबस 320 हर वक्त खड़ा रहता है. यह विमान उनके दूसरे दफ्तर जैसा है, जहां से वह अपने बिजनस को ऑपरेट करते हैं. उनकी इस आलीशान जिंदगी की तुलना अमेरिका के राष्ट्रपति से भी की जाती है, जो एयरफोर्स वन विमान के जरिए पूरा देश ऑपरेट कर सकते हैं, जिसमें उनका ऑफिस होता है.
फोर्ब्स के अनुसार उनके घर की छत पर रोम के चित्रकार माइकल एंजेलो और दूसरे यूरोपीय कलाकारों की कलाकृतियां हैं. पिता साइरस की तरह ही अदार पूनावाला को भी महंगी कारों का शौक है. उनकी कारों के बेड़े में करीब 20 कारें हैं, जिनमें बेंटले, फरारी, रॉल्स रॉयस और लैम्बोर्गिनी जैसी सभी महंगी गाड़ियां हैं. उन्होंने 2015 में मुंबई में समुद्र के किनारे एक मकान खरीदा था, जो उस वक्त मुंबई का सबसे महंगा मकान था. यह मकान पहले अमेरिकी वाणिज्यिक दूतावास हुआ करता था, जिसके लिए उन्होंने 11 करोड़ अमेरिकी डॉलर चुकाए थे.