देहरादून स्थित डीटाउन रोबोटिक्स भारत के लिए तैयार कर रहा है अनुकूलित ड्रोन समाधान
देहरादून अक्सर अपने खूबसूरत पर्यटन स्थलों औ कुछ प्रतिष्ठित संस्थानों का घर होने के कारण जाना जाता है। लेकिन अब यह स्टार्टअप हब में से एक के रूप में भी उभर रहा है, जो कि डीपटेक से लेकर फूडटेक तक सभी क्षेत्रों में स्थापित हैं। ऐसा ही एक स्टार्टअप डीटाउन रोबोटिक्स है, जो एक ड्रोन और रोबोटिक्स कंपनी है।
26 साल के मानस उपाध्याय और 28 साल के अविनाश चंद्र पाल द्वारा 2018 में शुरू किया गया देहरादून स्थित स्टार्टअप अनुकूलित आवश्यकताओं के साथ ड्रोन और रोबोट प्रदान करता है।
अविनाश कहते हैं, "हम आयातित उत्पादों की तुलना में अनुकूलित उत्पाद गुणवत्ता प्रदान करने के लिए स्वदेशी समाधान बनाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।"
स्टार्टअप वर्तमान में कृषि और रक्षा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करता है और इसने रात और दिन के विजन के साथ क्षेत्रों को स्कैन करने के लिए ड्रोन और सुरक्षा, सर्वेक्षण, छायांकन आदि के लिए रोबोट और ड्रोन तैयार किए हैं। संस्थापकों के अनुसार, स्टार्टअप की विशेषज्ञता यह है कि यह किसी भी आवश्यकता के अनुसार डीपटेक ड्रोन का निर्माण कर सकता है।
भारत सरकार के साथ मिलकर टिड्डी रोधी अभियान चलाने के पीछे कंपनी का सहयोग है। स्टार्टअप ने नई दिल्ली में एम्स को एक रोबोट विकसित करने में भी मदद की है, जिसने अस्पताल में फर्श को साफ किया है। डीटाउन रोबोटिक्स ने भी अपने ड्रोन का इस्तेमाल कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिए किया और पिछले साल राजस्थान में 250 एकड़ से अधिक भूमि को कवर किया है।
डीटाउन का मुख्यालय देहरादून, उत्तराखंड में है, जिसका रोबोट रिसर्च सेंटर नोएडा, उत्तर प्रदेश में है और इसमें 12 सदस्यों की एक टीम है।
इसने हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक आई सिस्टम्स और रिगार्ड नेटवर्क सॉल्यूशन के नेतृत्व में 5 लाख डॉलर (लगभग 3.5 करोड़ रुपये) की फंडिंग जुटाई है। स्टार्टअप को स्टार्टअप उत्तराखंड से भी मान्यता प्राप्त है।
पहली उड़ान
मानस और अविनाश दोनों एक दूसरे को कॉलेज से जानते थे। वे दोनों ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी (GEU) देहरादून, उत्तराखंड से इंजीनियरिंग में स्नातक थे और ड्रोन और रोबोटिक्स से संबंधित कई प्रोजेक्ट कर रहे थे। अविनाश कॉलेज में मानस से सीनियर थे, हमेशा से रोबोटिक्स के शौक़ीन रहे हैं और यही बात उन्हें मानस से जोड़ती है। 2018 में मानस के स्नातक होने के बाद दोनों ने यूनिवर्सिटी से अपना उद्यम शुरू करने का फैसला किया।
मानस कहते हैं, "मैं जीईयू में एक शोध सहयोगी के रूप में कार्यरत था और हमने टीबीआई-जीईयू से अपनी खुद की कंपनी शुरू की, जो सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप इनक्यूबेटर है। रोबोटिक्स पर एक मजबूत फोकस के साथ हमने 1 लाख रुपये के शुरुआती पूंजी निवेश के साथ एक अनुकूलित समाधान प्रदाता के रूप में इस कंपनी की शुरूआत की थी।”
इंडस्ट्री और प्रतिस्पर्धा
ईकोसिस्टम ड्रोन के उत्पादन और इस्तेमाल के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है। केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र में विकास को गति देने के लिए 25 अगस्त को ड्रोन नियम 2021 लॉन्च किया था। ड्रोन संचालन के नियमों के तहत अब उन्हें संचालित करने के लिए 25 की जगह पांच फॉर्म भरने की आवश्यकता होती है और ऑपरेटर से चार्ज किए जाने वाले शुल्क के प्रकारों को कम करके 72 से चार तक तक किया गया है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अनुसार तीन वर्षों की अवधि में भारत ड्रोन के निर्माण के लिए 5,000 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश को देखेगा, जो कि वित्त वर्ष 2024 में ड्रोन उद्योग को 900 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार देगा।
जबकि देश में ड्रोन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण अंतर से वृद्धि हुई है, डीटाउन के सह-संस्थापकों का दावा है कि उनका स्टार्टअप अपने घरेलू अत्याधुनिक तकनीकी समाधानों के लिए खड़ा है और भारतीय जरूरतों को पूरा करने वाला एक स्वदेशी डीपटेक समाधान प्रदाता है।
अविनाश कहते हैं, "हम अभी कुछ प्रमुख खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं जो भारतीय बाजार में ड्रोन निर्माण में हैं, खासकर "क्वाडकॉप्टर" श्रेणी में। हम उत्पाद के तकनीकी हिस्से में लगातार सुधार कर रहे हैं और इसमें खुफिया जानकारी जोड़ रहे हैं। मानव रहित जमीनी वाहनों के संदर्भ में हम विदेशी बाजार के उत्पादों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए पूरी तरह से स्वदेशी उत्पादों को विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। लड़ाकू रोबोटिक्स के क्षेत्र में हमारे अनुभव ने हमें सामग्री चयन, नियंत्रक डिजाइनिंग और मजबूत सिस्टम बनाने में अत्यधिक सहायता प्रदान की है।"
इस स्पेस में कुछ अन्य खिलाड़ियों में आरव अनमैन्ड सिस्टम्स, आइडियाफोर्ज, ग्रेने रोबोटिक्स, स्काईलार्क ड्रोन और स्काई एयर मोबिलिटी शामिल हैं।
रेवेन्यू मॉडल और कैश फ्लो
डीटाउन उत्पाद खरीद के लिए और सदस्यता-आधारित मॉडल पर उपलब्ध हैं। ड्रोन अनुप्रयोगों के लिए प्रति सोल्यूशन औसत लागत 2 लाख रुपये से शुरू होती है और पेलोड, रखरखाव और बीमा के आधार पर 40 लाख रुपये तक जाती है। रोबोट के संदर्भ में सोल्यूशन 4.5 लाख रुपये से शुरू होता है और अनुकूलित डिजाइन और अनुप्रयोगों के अनुसार 40 लाख रुपये तक जाता है।
अविनाश कहते हैं, “सदस्यता मॉडल के लिए यह अभी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और नई दिल्ली में उपलब्ध है, जिसमें न्यूनतम काम के घंटे की आवश्यकता 30 घंटे है। टीम उत्पादों को खरीदने वाले यूजर्स को पायलट सर्टिफिकेशन और प्रशिक्षण प्रदान करने पर भी काम कर रही है।”
संस्थापकों का कहना है कि स्टार्टअप लाभदायक है और यह अपने अनुसंधान और विकास का समर्थन करने के लिए मुनाफे का पुनर्निवेश करता है। मानस कहते हैं कि शुरुआत से लेकर अब तक स्टार्टअप में 40 लाख रुपये का निवेश किया जा चुका है।
5 लाख डॉलर की नवीनतम फंडिंग के साथ मानस का कहना है कि डीटाउन की योजना अपनी मैनुफेक्चुरिंग क्षमताओं का विस्तार करने के साथ ही देश भर में अपने उत्पाद पोर्टफोलियो और वितरण नेटवर्क को बढ़ाने की है।
भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए मानस का कहना है कि ध्यान अपनी तकनीक और समाधानों को तेजी से उन्नत करने पर है और डीटाउन अपने उत्पाद को प्रतिस्पर्धी बनाए रखना चाहता है। स्टार्टअप सरकार और कॉरपोरेट्स के साथ सहयोग करके बड़े बाजार हिस्सेदारी का भी लक्ष्य बना रहा है।
Edited by Ranjana Tripathi