पैशन को बनाया आय का साधन, आज पेंटिंग्स के दम पर 10 लाख रुपये कमा रहा है किसान का बेटा
एक किसान का बेटा आज अपने पैशन के दम पर हर साल लाखों रुपये की कमाई कर रहा है। महाराष्ट्र के कोल्हापुर से आने वाले युवराज पाटिल का मन हमेशा से पेंटिंग में लगता था, हालांकि उन्हें अपने इस कौशल के जरिये पैसे कैसे कमाने हैं ये समझने में उन्हें समय लग गया।
साल 1981 में कोल्हापुर के पंचगांव में जन्में युवराज हमेशा से पेंटिंग में रुचि रखते थे। कई कला पाठ्यक्रमों और डिग्रियों के साथ अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए आगे बढ़े। हालांकि इस दौरान उन्हें बेहद कम वेतन मिलता था और वे अपने इस वेतन से संतुष्ट भी नहीं थे।
आया बड़ा मौका
युवराज आगे बढ़ना चाहते थे लेकिन उन्हें कोई बड़ा मौका नहीं मिल रहा था और आखिर वो बड़ा क्षण तब आया तब साल 2007 में उनकी एक स्नातक कलाकृति को आर्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा चुना गया और बाद में उसे 25 हज़ार रुपये में बेचा गया। युवराज के अनुसार जब उनकी आर्ट इतनी ऊंची कीमत पर बिकी तो इसने उनकाआत्मविश्वास बढ़ाया।
इस दौरान सभी ने उन्हें यह समझाया कि अगर उन्हें बतौर आर्टिस्ट आगे बढ़ना है तो उन्हें मुबाई का रुख करना चाहिए। युवराज साल 2008 में मुंबई आ गए और इस दौरान उनके दृढ़ संकल्प ने ही उन्हें उस शहर में टिके रहने और सफल होने में मदद की।
मिले कई अवॉर्ड
समय के साथ युवराज ने भी अपनी कलाकृति को बेहतर बनाने के लिए काम किया और इस बीच उन्होने मुंबई, दिल्ली, बैंगलोर और अन्य शहरों में की आर्ट गैलरीज़ से भी संपर्क किया। युवराज की बनाई गई आर्ट को मुंबई, दिल्ली, बैंगलोर और अन्य शहरों में आर्ट गैलरीज़ के जरिये बेंचा जा चुका है।
मालूम हो कि युवराज ने 200 से अधिक पेंटिंग बनाई हैं और उनके द्वारा बनाई गई आर्ट को दुबई में दिखाया गया है और इसी के साथ उन्हें दुनिया भर में बेंचा गया है। गौरतलब है कि युवराज ने कैमलिन आर्ट फाउंडेशन, गुलबर्ग अकादमी पुरस्कार और आईसीएसी आर्ट गैलरी सहित कई अन्य कला संस्थानों से भी कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं।
10 लाख रुपये साल की कमाई
मीडिया से बात करते हुए युवराज ने बताया है कि उनके द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स के जरिये वे हर साल करीब 10 लाख रुपये की कमाई कर लेते हैं। साल 2007 के बाद से लगातार तेजी से आगे बढ़ते हुए सफलता के शिखर को छूने वाले युवराज के लिए इस यात्रा में उनकी अथक मेहनत का सबसे बड़ा हाथ है।
आज भी युवराज दिन में कम से कम पांच घंटे अपने कौशल को और निखारने में बिताते हैं। इसी के साथ वे बाकी समय अपने काम को दिखाने के लिए नई आर्ट गैलरीज़ को खोजने में बिताते हैं। मालूम हो कि युवराज को अपनी एक आर्टवर्क को पूरा करने में एक हफ्ते से एक महीने तक का समय लग जाता है, जो आमतौर पर यात्रा और दैनिक जीवन से प्रभावित होती हैं।
Edited by Ranjana Tripathi