Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

मर्चेंट नेवी से आर्किटेक्ट के क्षेत्र में आए इस शख़्स ने कैसे गढ़ी सफलता की नई इबारत

मर्चेंट नेवी से आर्किटेक्ट के क्षेत्र में आए इस शख़्स ने कैसे गढ़ी सफलता की नई इबारत

Wednesday April 24, 2019 , 6 min Read

रोहित सूरज

आज हम आपसे सामने मर्चेंट नेवी में काम कर चुके रोहित सूरज की प्रेरणाप्रद कहानी साझा करने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने स्टार्टअप अर्बन ज़ेन से आर्किटेक्चर और डिज़ाइन के क्षेत्र में एक नया मक़ाम हासिल किया है। मर्चेंट नेवी में काम करने के दौरान वह एक सुपर टैंकर के कमांडर थे और इस जिम्मेदारी का निर्वाहन करते हुए उन्होंने पूरी दुनिया घूमी। आपको बता दें कि मर्चेंट नेवी के बाद अर्बन ज़ेन नाम से स्टार्टअप चला रहे रोहित के पास आर्किटेक्चर और डिज़ाइन के क्षेत्र में कोई भी औपचारिक क्वॉलिफ़िकेशन नहीं है।   


 रोहित मानते हैं कि जो बात उन्हें सबसे अलग बनाती है, वह यह है कि उन्होंने पूर्व में आर्किटेक्चर की न तो पढ़ाई की है और उन्होंने इस क्षेत्र के किसी संगठन में पहले काम किया है और उनके काम के पीछे सिर्फ़ मर्चेंट नेवी में रहते हुए पूरी दुनिया घूमने का अनुभव है। उनका कहना है, "दुनियाभर के तमाम देशों की यात्रा के दौरान उन्होंने अलग-अलग देशों के लोगों से मुलाक़ात की और अलग-अलग संस्कृतियों से प्रभावित जगहें देखीं और इन सबसे उन्होंने कुछ न कुछ सीखा।"


रोहित की स्कूली शिक्षा हैदराबाद और चेन्नई से पूरी हुई। 18 साल की उम्र में अपनी पढ़ाई ख़त्म करने के बाद उन्होंने भारत छोड़ दिया और नौटिकल साइंस की पढ़ाई करने वह ग्लास्गो, स्कॉटलैंड चले गए। इस दौरान उनके पास कुल जमा पूंजी 500 यूरो थी। उन्होंने एक होटल में बतौर डिश वॉशर पार्ट टाइम काम करना शुरू कर दिया। वह बताते हैं, "काम पर पहले ही दिन, मुझसे रेलिंग्स और टॉयलट साफ़ करने के लिए कहा गया। मेरे लिए कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता, ज़रूरी होता है कि आप उस काम को कितने बेहतर ढंग से कर सकते हैं। मैं उन रेलिंग्स को इतने अच्छे ढंग से साफ़ किया कि होटल का मैनेजर आश्चर्यचकित रह गया और एक साल तक उन्हें दोबारा पॉलिश करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी। मैं मानता हूं कि जब तक आप अपने बाहें चढ़ाकर किसी काम को करने में अपने हाथ गंदे नहीं करेंगे, तब तक आप उस काम में महारत नहीं हासिल कर सकते और न ही उस काम में आप बाक़ी लोगों का नेतृत्व कर सकते हैं।"


रोहित मानते हैं कि हर काम में विशेषज्ञता हासिल करने की उनकी यह चाह ही हमेशा उनके करियर को आगे बढ़ाने में उनके काम आई। रोहित ने बताया कि जिस होटल में उन्होंने बतौर डिश वॉशर काम शुरू किया था, वहीं पर एक साल के भीतर ही उन्हें मैनेजर बना दिया गया।


रोहित की अवधारणा का उनका करियर ग्राफ़ है। 2011 में अर्बन ज़ेन शुरू करने से पहले उन्होंने नॉटिकल साइंस में पोस्ट-ग्रैजुएशन किया और इसके बाद वह ग्लोबल शिपिंग कंपनी कॉन्गलोमरेट मैयरस्क के साथ काम करने लगे।


रोहित बताते हैं कि शिपिंग कंपनी में अपनी नौकरी के पहले ही दिन उन्हें एहसास हो गया था कि वह जगह उनके लिए नहीं बनी है, लेकिन वह अपने मां-बाप को नाराज़ नहीं करना चाहते थे, जिन्होंने उनकी पढ़ाई पर इतना पैसा खर्च किया था और इसलिए उन्होंने काम जारी रखने का फ़ैसला लिया।


इसके बाद उन्होंने इस क्षेत्र में 10 सालों तक काम किया। इस दौरान वह सबसे कम उम्र में चीफ़ ऑफ़िसर बनने वाले कर्मचारी बने और महज़ 24 साल की उम्र में उन्हें एक सुपर टैंकर की कमान सौंप दी गई। लेकिन इस दौरान भी उनके ज़हन में यह ख़्याल घूमता रहा कि वह किसी और क्षेत्र के लिए बने हैं और 2000 में जब वह हैदराबाद में अपने घर के कन्सट्रक्शन की देखरेख कर रहे थे, तब ही उन्हें इस क्षेत्र में काम करने का ख़्याल आया। रोहित बताते हैं, "उनके घर का काम करने वाला आर्किटेक्ट बीच में ही काम छोड़कर चला गया और उन्होंने इंजीनियर्स के साथ मिलकर घर के निर्माण का काम पूरा किया। हर आदमी जो उनके घर पर आता था, वह उनके घर के डिज़ाइन की तारीफ़ करता था। इस दौरान ही उन्हें पहली बार ख़्याल आया कि वह इस क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।"


2005 में उनके घर एक बेटी ने जन्म लिया और इसके बाद वह पोर्ट डिज़ाइन की पढ़ाई करने के लिए नीदरलैंड चले गए। इस कोर्स के बाद उन्हें इस क्षेत्र की ही एक कंपनी में एशिया पसिफ़िक रीजन का डायरेक्टर बना दिया गया। पोर्ट डिज़ाइन के क्षेत्र में काम करने के बाद उनका अपने ऊपर आत्मविश्वास और भी बढ़ गया और 2010 में उन्होंने नौकरी छोड़ कर इस क्षेत्र में ऑन्त्रप्रन्योर बनने का फ़ैसला लिया।


पहले प्रोजेक्ट के तौर पर हैदराबाद में एक घर के निर्माण के दौरान उन्होंने एक अन्य डिज़ाइनर के कॉन्ट्रैक्टर की जिम्मेदारी ली। रोहित बताते हैं कि उस क्लाइंट को रोहित का काम इतना पसंद आया कि उन्होंने आर्किटेक्ट को काम से बाहर कर दिया और उन्हें ही आर्किटेक्चर और डिज़ाइन की जिम्मेदारी सौंप दी।


2011 में रोहित के द्वारा शुरू की गई फ़र्म अर्बन ज़ेन के पास हाल में 50 लोगों की टीम है और फ़र्म भारत ही नहीं बल्कि मध्य-पूर्व और यूरोप में भी कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है।


रोहित बताते हैं कि डिज़ाइनिंग के दौरान वह फ़ॉर्म, फंक्शन, फिक्शन (बिल्डिंग के ज़रिए एक कहानी बयाँ करना) और फ़ाइनैंस पर फ़ोकस करते हैं और साथ ही, आर्किटेक्चर तैयार करने के दौरान एनर्जी कन्ज़र्वेशन (ऊर्जा संरक्षण) का भी पूरा ध्यान रखा जाता है।


रोहित बताते हैं कि उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यह रही है कि भारत में लोग मटीरियल के लिए पैसे देने को तैयार हो जाते हैं लेकिन अच्छी सुविधाओं के लिए अतिरिक्त खर्च करने से उन्हें गुरेज़ है और इस वजह से ज़्यादातर मज़दूर, जो साइट पर काम करते हैं, उनके अंदर काम को बेहतर से बेहतर ढंग से करने की प्रेरणा ही नहीं होती। रोहित मानते हैं कि धीरे-धीरे लोगों की सोच में बदलाव के साथ यह तस्वीर भी बदल जाएगी।


भविष्य की अपनी योजनाओं के बारे में बात करते हुए रोहित कहते हैं, "ज़रूरी यह है कि मेरी इस कंपनी को ग्राहक या क्लाइंट्स अच्छी वजहों से याद रखें और हम अपनी बनाए हुए घरों और इमारतों के ज़रिए सालों तक लोगों के ज़ेहन में ज़िंदा रहें।"


यह भी पढ़ें: मिलें उस इंजीनियर से जो पानी की समस्या को खत्म करने के लिए कर रहा झीलों को पुनर्जीवित