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खगोलीय पिंडों की प्रकृति जानने में कितना मददगार होगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस?

मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) और तिरुवनंतपुरम स्थित भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी) के अनुसंधानकर्ता अप्लाइड मशीन लर्निंग प्रौद्योगिकी का उपयोग हजारों खगोलीय पिंडों पर कर रहे हैं.

खगोलीय पिंडों की प्रकृति जानने में कितना मददगार होगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस?

Sunday February 26, 2023 , 2 min Read

वैज्ञानिक तारों और पुच्छल तारों जैसे हजारों नए खगोलीय पिंडों की प्रकृति को जानने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तहत आने वाली मशीन लर्निंग की मदद ले रहे हैं.

मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) और तिरुवनंतपुरम स्थित भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी) के अनुसंधानकर्ता अप्लाइड मशीन लर्निंग प्रौद्योगिकी का उपयोग हजारों खगोलीय पिंडों पर कर रहे हैं जिन्हें नासा के चंद्र अंतरिक्ष वेधशाला में एक्स रे तरंगो (0.03 से तीन नैनोमीटर आकार वाले) के जरिये देखा गया है.

इस अध्ययन को मंथली नोटिस ऑफ रॉयल एस्ट्रोनॉमिल सोसाइटी नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया और इस प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करीब 2,77,000 एक्स रे पिंडों पर किया गया जिनमें से अधिकतर की प्रकृति अज्ञात थी. अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि अज्ञात पिंडों की प्रकृति का वर्गीकरण भी विशेष श्रेणी के पिंडों की खोज के समान ही महत्वपूर्ण है.

उन्होंने बताया कि इस अनुंसधान से ब्लैक होल, न्यूट्रॉन तारे, क्षुद्र तारे और तारों आदि की विभिन्न श्रेणियों के हजारों खगोलीय पिंडों की विश्वसनीय खोज हो सकेगी और यह खगोलीय अनुसंधान समुदाय के लिए कई रोचक पिंडों के विस्तृत अध्ययन के लिए अवसर प्रदान करेगा.

अध्ययन में शामिल अनुसंधानकर्ता और टीआईएफआर में प्रोफेसर सुदीप भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘यह खोज दिखाती है कि कैसे नयी और विषय आधारित प्रौद्योगिकी का विकास मूल और मौलिक अनुसंधान में मददगार साबित हो सकता है और उसमें क्रांति ला सकता है.’’

यह खोज समन्यवित टीम ने की है जिनमें आईआईएसटी के शिवम कुमारन, प्रोफेसर समीर मंडल और प्रोफेसर दीपक मिश्रा शामिल हैं.

शोधकर्ताओं ने कहा कि खगोल विज्ञान एक नए युग में प्रवेश कर रहा है, क्योंकि लाखों ब्रह्मांडीय वस्तुओं से बड़ी मात्रा में खगोलीय डेटा स्वतंत्र रूप से उपलब्ध हो रहे हैं.

उन्होंने कहा कि यह उच्च गुणवत्ता वाली खगोलीय वेधशालाओं के साथ बड़े सर्वेक्षणों और नियोजित टिप्पणियों और एक खुली डेटा एक्सेस नीति का परिणाम है.

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Edited by Vishal Jaiswal