जानिए रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र की कंपनी ReNew Power को सुमंत सिन्हा ने कैसे बनाया यूनिकॉर्न
रिन्यू पावर विंड और सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स को डिवेलप और मैनेज करने का काम करती है. 2011 में शुरू हुई कंपनी ने 2017 में यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल कर लिया. रिन्यू पावर भारत की दूसरी ऐसी यूनिकॉर्न है जो नॉन इंटरनेट बेस्ड इंडियन स्टार्टअप है.
एक आंत्रप्रेन्योर होने के लिए दूरदर्शी होना सबसे जरूरी स्किल्स में से एक है. दूरदर्शी नजरिया आपको आज से 10 साल बाद 15 साल बाद क्या हालात बनने वाले हैं, मार्केट कैसा रहने वाला है, कौन सी परेशानी उभर सकती है, किस परेशानी को हल करने की जरूरत है जैसी चीजों को समझने में मदद करता है.
कुछ ऐसा ही नजरिया था इनवेस्टमेंट बैंकर सुमंत सिन्हा के पास. सुमंत रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र की कंपनी
के फाउंडर, चेयरमैन और एमडी हैं. रिन्यू पावर विंड और सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स को डिवेलप और मैनेज करने का काम करती है.2011 में शुरू हुई कंपनी ने 2017 में यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल कर लिया. रिन्यू पावर भारत की दूसरी ऐसी यूनिकॉर्न है जो नॉन इंटरनेट बेस्ड इंडियन स्टार्टअप है. पहली कंपनी म्यू सिग्मा थी. आइए जानते हैं सुमंत को कैसे सूझा था रिन्यू पावर को शुरू करने का खयाल और कैसी बनी ये यूनिकॉर्न?
कहां से आया आइडिया
सुमंत एक इंटरव्यू में बताते हैं उन्हें हमेशा से खुद का कुछ करने की चाहत थी, लेकिन उन्हें ये नहीं समझ आ रहा था कि वो करना क्या चाहते हैं. 2007 की बात है, उस समय वो आदित्य बिड़ला ग्रुप में बतौर CFO काम कर रहे थे.
वहां उन्हें एक रिटेल ऑर्गनाजेशन शुरू करने काम सौंपा गया. इस तरह उन्हें पहली बार खुद से कोई वेंचर शुरू करने और उसे चलाने का मौका मिला. इस मौके से एक बात साफ हो गई कि उन्हें स्टार्टअप चलाने में मजा आएगा.
2007 में ही सुमंत को सुजलॉन कंपनी से जॉब ऑफर आया. सुजलॉन उस समय टर्बाइन बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक थी. सुमंत ऑफर के बारे में सोच विचार रहे थे कि एक चीज ने उनका ध्यान खींचा. उन्होंने पाया कि सुजलॉन रिन्यूएनबल एनर्जी सेक्टर की कंपनी है.
सुमंत उस समय तक ये बखूबी समझ चुके थे कि आगे जाकर क्लाइमेट चेंज बहुत बड़ा मसला बनने वाला है. इसलिए करियर बनाना हो या खुद अपनी कंपनी शुरू करनी हो उसके लिए ये एक बेहतर क्षेत्र साबित हो सकता है. इस तरह उन्होंने सुजलॉन जॉइन कर लिया.
किस्मत का खेल
लेकिन कहते हैं ना, जरूरी नहीं कि चीजें हमेशा हमारे प्लान के हिसाब से ही चलें. ऐसा ही कुछ सुमंत के साथ भी हुआ. उन्होंने जैसे ही सुजलान जॉइन किया उसके एक महीने बाद ही 2008 का सबसे बड़ा फाइनैंशियल क्राइसिस आ गया.
उस समय तक रिन्यूएबल एनर्जी स्पेस में एक असेट की तरह इनवेस्टमेंट आ रहा था, कंपनियों के पास लिक्विडिटी थी. लेकिन जैसे ही फाइनेंशियल क्राइसिस आया पूरे सेक्टर से नगदी गायब हो गई और स्थितियां काफी बदल गईं.
हालांकि सुजलॉन ने इस दौरान कुछ अधिग्रहण करके अपनी पोजिशन को काफी अच्छा और मजबूत कर लिया था. इसलिए निगेटिव सेंटिमेंट के बावजूद कंपनी काफी मजबूत स्थिति में थी.
सुमंत को वहां दो साल काम करते हुए काफी अच्छा अनुभव मिला. सुमंत बताते हैं कि वहां काम करते हुए उन्हें रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर की बारिकियों को समझ सके.
तभी 2008-2009 के दौर में भारत में भी सरकार का ध्यान रिन्यूएबल एनर्जी पर जाने लगा. इस क्षेत्र में काम शुरू करने वाली कंपनियों को इंसेंटिव देना शुरू किया गया.
मौके पर चौका
सुमंत को अपनी कंपनी शुरू करने का ये सबसे बेहतर मौका लगा. वो कहते हैं कि पेशे से मैं इनवेस्टमेंट बैंकर था इसलिए फंडिंग, फाइनैंस का भी अनुभव था. सुजलॉन में काम करते हुए रिन्यूएबल एनर्जी की समझ भी हो ही गई थी. इसलिए मुझे लगा कि इस मौके को गंवाना नहीं चाहिए.
वो कहते हैं जिस वक्त मैंने काम शुरू किया मुझे लगता था कि उस स्पेस में अधिक लोग नहीं हैं. लेकिन, उन्हें जानकर बड़ी हैरानी हुई कि क्लीन एनर्जी के स्पेस में उनके आने से पहले ही 10 से 15 कंपनियां मौजूद थीं.
फंडिंग के लिए बेले पापड़
खैर उन्होंने कंपनी शुरू की, अपने पैसों से टीम हायरिंग की, प्रोजेक्ट्स की पाइपलाइन तैयार की. चूंकि इस फील्ड में काफी पूंजी लगती है इसलिए शुरू में ही फंडिंग जुटाने पर काम शुरू करना पड़ा. उन्होंने उस समय जिन प्रोजेक्ट्स की पाइपलाइन तैयार की थी उनके लिए आज के 6 करोड़ डॉलर के बराबर फंड की जरूरत पड़ती.
सुमंत का आइडिया वीसी को पसंद तो आया लेकिन रकम बहुत ज्यादा लगी. प्राइवेट इक्विटी वाले पैसे देने को राजी थे मगर उनका कहना था कि शुरुआती स्टेज में इतनी बड़ी रकम देने को लेकर उनके मन में संशय है.
सुमंत ने कोशिश जारी रखी और तभी गोल्डमैन सैक्स फंड देने के लिए राजी हो गया. गोल्डमैन ने 200 मिलियन डॉलर का निवेश किया. अगले कुछ सालों में इसने आबू धाबी इनवेस्टमेंट अथॉरिटी और एशियन डिवेलपमेंट बैंक से 740 मिलियन डॉलर का फंड जुटाया.
बैकग्राउंड
सुमंत IIT दिल्ली और IIM कलकत्ता के एल्युमनाई हैं. कोलंबिया यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ इंटरनैशनल एंड पब्लिक अफेयर्स से भी पढ़ाई की है. उन्होंने सिटीबैंक और ING बारिंग्स जैसी कंपनियों के साथ भी किया है. वो 2002 से 2007 तक आदित्य बिड़ला ग्रुप के सीएफओ भी रहे.
उनके भाई जयंत सिन्हा ओमिडयार नेटवर्क इंडिया एडवाइजर्स के एमडी हैं. सुमंत ने सावंत एडवाइजर्स नाम से 2010 में इनवेस्टमेंट और बैंकिंग कंसल्टेशन एडवाइजर्स फर्म भी शुरू किया. यह फर्म फिलहाल रिन्यू पावर के बिजनेस को देखने का काम करती है.
सुमंत ऐसे परिवार से आते थे जहां सरकारी नौकरी की ज्यादा अहमियत थी क्योंकि ज्यादातर लोग सरकारी नौकरी में ही थे. कॉरपोरेट में काम शुरू करने वाला मैं अपने परिवार का पहला सदस्य था.
उन्हें अपने पिता से प्रेरणा मिली. जिन्होंने परिवारिक विरासत को छोड़कर अपने पैशन को चुना और सब कुछ छोड़कर राजनीति में आ गए. सुमंत यशवंत सिन्हा के बेटे हैं, जो देश के वित्त मंत्री रह चुके हैं.
सुमंत आंत्रप्रेन्योर्स को सलाह देते हुए कहते हैं कि अगर जिंदगी में खुद को बाकी लोगों से अलग करना चाहते हैं तो कंफर्टजोन छोड़ना होगा.
अब तक का सफर
2012 में रिन्यू पावर ने गुजरात के राजकोट में अपना पहला विंड फार्म शुरू किया. शुरू में सुमंत का फोकस सिर्फ विंड पावर पर था लेकिन बाद में कंपनी ने बायोमास, हाइड्रो और सोलर एनर्जी से इलेक्ट्रिसिटी जेनरेशन के फील्ड में भी काम शुरू कर दिया.
ग्रोथ विंड एनर्जी सेक्टर ने वैसे तो बीते 5-6 सालों में काफी धीमे रफ्तार से ग्रोथ की है. लेकिन रिन्यू पावर प्रोजेक्ट्स में विस्तार के साथ आगे बढ़ रही है.
2016 में रिन्यू पावर ने 1GW रिन्यूएबल एनर्जी जेनरेशन कैपिसिटी हासिल कर ली और ऐसा करने वाली इंडिया की पहली कंपनी बन गई.
फरवरी 2017 में कंपनी ने 2 अरब डॉलर के वैल्यूएशन के साथ यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल कर लिया. रिन्यू पावर ने उसी साल टेक्नोलॉजी के एनालिसिस में मदद करने के लिए IIT सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भी शुरू किया.
2019 में कंपनी GSE&C के साथ कोलैबोरेट काम करने वाली पहली फर्म बन गई, GSE&C कोरिया की नामी रिन्यूएबल एनर्जी कॉरपोरेशन है.
रिन्यू पावर इस समय गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्रा प्रदेश और झारखंड में 2000 मेगा वाट्स कैपेसिटी के प्लांट लगा चुकी है. रिन्यू पावर के सभी प्लांट्स से निकलने वाली बिजली देश के कुल इलेक्ट्रिसिटी बिल का एक फीसदी है.
रिन्यू पावर ने कहा कि वह आत्मनिर्भर भारत कैंपेन के तहत भारत में सोलर बेस्ड सेल्स की असेंबलिंग शुरू करेगी. 2022 में कंपनी 60,000 MW का टारगेट हासिल करने की प्लानिंग कर रही है.
शेयर बाजार में लिस्टिंग
रिन्यू पावर ने 2020 में अमेरिकी बाजार में SPAC रूट के जरिए लिस्टिंग कराई. इसके लिए उसने एक ब्लैंक चेक कंपनी RMG एक्विजिशन कॉरपोरेशन II के साथ मर्जर किया.
NASDAQ पर लिस्टिंग से उसने 8 अरब डॉलर की वैल्यूएशन के साथ 1अरब डॉलर की फंडिंग जुटाई. यह अमेरिकी बाजार में लिस्ट होने वाली इंडियी की पहली टॉप रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी थी.