पॉलीहाउस में खेती से 2-3 गुना बढ़ जाती है पैदावार, होते हैं बहुत सारे फायदे, जानिए कितनी मिलती है सब्सिडी
कम जगह में अधिक उत्पादन आज के वक्त में बहुत ही जरूरी हो गया है. ऐसे में कई किसान पॉलीहाउस में भी खेती करते हैं. पॉलीहाउस में खेती से फायदा भी बहुत होता है. इस पर सरकार की तरफ से सब्सिडी भी मिलती है.
खेती में आए दिन नई-नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. तेजी से घटती खेती योग्य जमीन और बढ़ती आबादी को ध्यान में रखते हुए अब ये जरूरी भी हो गया है. ऐसे में तमाम किसान भी अलग-अलग तकनीक का इस्तेमाल करते हुए खेती कर रहे हैं. कम जगह में अधिक उत्पादन आज के वक्त में बहुत ही जरूरी हो गया है. ऐसे में कई किसान पॉलीहाउस में भी खेती (Farming in Polyhouse) करते हैं और उन किसानों की तुलना में अधिक पैदावार पाते हैं, जो परंपरागत तरीकों से खेती करते आ रहे हैं.
पहले जानते हैं क्या होता है पॉलीहाउस
जैसा कि आप नाम से ही समझ सकते हैं कि यह पॉलीथीन से जुड़ा हुआ है. पॉलीहाउस एक बड़ा सा घर जैसा स्ट्रक्चर होता है, जिसे मोटी पॉलीथीन (200 माइक्रोन से अधिक) और लोहे या जीआई पाइपों की मदद से बनाया जाता है. इसमें सूरज की रोशनी से लेकर हवा और तापमान तक सब कुछ नियंत्रित किया जा सकता है. सूरज की रोशनी कम करने के लिए हरे रंग वाली शेड लगा सकते हैं, जबकि तापमान नियंत्रित करने के लिए इसमें फॉगर्स लगाए जा सकते हैं.
पॉलीहाउस में खेती से होंगे कई फायदे
अगर आप पॉलीहाउस में खेती करते हैं तो सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि आप कोई भी खेती किसी भी मौसम में कर सकते हैं. खुले में खेती करते वक्त हमें ठंड-गर्मी-बरसात के सीजन को ध्यान में रखना होता है, लेकिन पॉलीहाउस में कभी भी कोई भी खेती की जा सकती है. साथ ही पूरा स्ट्रक्चर बंद होने की वजह से फसल में कीड़े जल्दी नहीं लगते और अगर थोड़े बहुत लग भी जाएं तो आसानी से उनसे निपटा जा सकता है. फसल को धूप, हवा जरूरत भर ही मिलती है, जिससे पैदावार पर बड़ा असर देखने को मिलता है. सब्जियों और फलों की चमक और उसका साइज भी बहुत शानदार होता है.
इंडियन फार्मर यूट्यूब चैनल चलाने वाले संतोष जाधव बताते हैं कि पॉलीहाउस में खेती करें तो खुले में खेती की तुलना में 2-3 गुनी पैदावार हासिल कर सकते हैं. वह बताते हैं कि खुले में इतनी ही जमीन पर 20-30 टन टमाटर निकला पाते हैं, जबकि पॉलीहाउस में वह 60-70 टन तक टमाटर हासिल कर लेते हैं. पॉलीहाउस में खेती से आपको कीटनाशक का खर्च भी कम हो जाता है, जो आपका मुनाफा बढ़ाने में मदद करता है. इसमें ड्रिप इरिगेशन से सिंचाई की जाती है, जिससे पानी की भी खूब बचत होती है. पॉलीहाउस में रात के वक्त पौधों के पास ढेर सारी कार्बन डाई ऑक्साइड जमा होती है, जो दिन में फोटो सिंथेसिस में पौधे के बड़े काम आती है.
किन सब्जियों की खेती कर सकते हैं पॉलीहाउस में?
अगर आप पॉलीहाउस में खेती करना चाहते हैं तो उसमें ऐसी सब्जियों की खेती करें जिनमें अधिक मुनाफा होता है. आप पॉलीहाउस में लाल-पीली शिमला मिर्च, चैरी टोमैटो, लेट्यूस, ब्रोकली, केल जैसी चीजों की खेती कर सकते हैं. अगर आप ऑफ सीजन में खेती करते हैं तो आप टमाटर, मिर्च, खीरा आदि भी उगा सकते हैं, क्योंकि ऑफ सीजन में बाजार में सब्जियों की किल्लत की वजह से दाम काफी अच्छे मिलते हैं और आप मुनाफा कमा सकते हैं. यानी आसान भाषा में कहें तो आप पॉलीहाउस में कुछ भी उगा सकते हैं और कभी भी उगा सकते हैं, लेकिन अगर मुनाफा कमाना है तो सिर्फ कैश क्रॉप ही उगाएं, जिनकी मांग अधिक हो.
कितना खर्च आएगा पॉलीहाउस बनाने में?
अगर सामान्य यानी सपाट इलाकों में पॉलीहाउस बनाने की बात करें तो आपको 1000 स्क्वायर मीटर के लिए करीब 10 लाख रुपये का खर्च आएगा. अगर आप पहाड़ी इलाके में हैं तो वहां ये खर्च थोड़ा अधिक हो सकता है. पॉलीहाउस में आपको सब्सिडी बाद में मिलती है, पहले आपको अपने ही पैसे लगाने होते हैं. ऐसे में आप बैंक लोन भी ले सकते हैं और सब्सिडी का पैसा आने पर उसे चुकता कर सकते हैं. हालांकि, कोशिश करें कि बिना लोन के ही पॉलीहाउस खड़ा किया जा सके.
सरकार से कितनी सब्सिडी मिल सकती है?
पॉलीहाउस के लिए मिशन फॉर इंटिग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर यानी एमआईडीएच के तहत नेशनल हॉर्टिकल्चर मिशन यानी एनएचएम काम करती है. एनएचएम की तरफ से ही सब्सिडी दी जाती है. सब्सिडी कम से कम 50 फीसदी मिलती है. अलग-अलग राज्यों के हिसाब से सब्सिडी 90 फीसदी तक मिल सकती है. कई पिछड़े इलाकों में किसानों को पॉलीहाउस के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार अधिक सब्सिडी देती है. पॉलीहाउस के लिए सब्सिडी के लिए पहले अप्लाई करना होता है. अगर आप ऑनलाइन अप्लाई करना चाहते हैं तो hortnet.gov.in वेबसाइट पर जा सकते हैं. ऑफलाइन के लिए तहसील में कृषि विभाग अधिकारी के पास जाना होता है. ये आवेदन साल में दो बार होता है, एक बार मार्च-अप्रैल में और एक बार अक्टूबर-नवंबर के करीब.
किन दस्तावेजों की होती है जरूरत
पॉलीहाउस की सब्सिडी पाने के लिए आपको आधार कार्ड, बैंक पासबुक का पहला पेज, पैन कार्ड, खेत की खतौनी आदि की जरूरत होगी. आपको मंजूरी मिलने में डेढ़ से दो महीने का वक्त लग सकता है. इसके बाद आपको पहले स्ट्रक्चर खुद से ही खड़ा करना होता है. कुछ सरकारी अधिकारी आते हैं और पॉलीहाउस देखते हैं. वह पॉलीहाउस की कुछ फोटो लेते हैं और बोर्ड लगाते हैं. अधिकारी दो बार आते हैं, पहली बार जब आप पॉलीथीन लगाते हैं उस वक्त और दूसरी बार जब आपका स्ट्रक्चर पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाता है. पॉलीहाउस पूरा हो जाने के बाद आपको फिर से फाइल बनाकर अधिकारियों को भेजनी होती है. आपको जितनी मंजूरी मिली होती है, उतना पैसा सीधे आपके बैंक खाते में पहुंच जाएगा. बता दें कि आपको पॉलीहाउस, फॉगर और ड्रिप पर सब्सिडी मिल सकती है.
कुछ बातों का रखें ध्यान
- जमीन ऐसी होनी चाहिए जिसमें पानी ना रुके.
- स्ट्रक्चर को पूरब-पश्चिम में बनाने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि धूप अच्छे से अंदर आए.
- पॉलीहाउस में 200 माइक्रोन से ऊपर की पॉलीथीन का इस्तेमाल किया जाता है.
- इसकी ऊंचाई करीब 6 मीटर तक रखनी चाहिए.
- पॉलीहाउस 120-130 किलोमीटर की रफ्तार तक की हवा को आराम से झेल सकता है, अगर हवा उससे तेज हो तो दिक्कत हो सकती है.
- पॉलीहाउस में हमेशा ड्रिप इरिगेशन से ही पानी दें, फ्लड इरिगेसन नहीं करना चाहिए.
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