आर्थिक विकास और रोजगार को बढ़ाने में कैसे मदद करेगा सतत विकास लक्ष्य-8?
SDG के 17 लक्ष्यों में 8वां सतत विकास लक्ष्य (SDG-8 या वैश्विक लक्ष्य-8) सभी के लिये निरंतर समावेशी और सतत आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोज़गार, और सभ्य काम को बढ़ावा देने से संबंधित है.
दुनिया के हर देश की सरकार अपने नागरिक को एक सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार देने और रोजगार का अवसर देने के लिए बाध्य होती है. हालांकि, क्या आपको पता है कि भारत सहित दुनिया के लगभग सभी देश संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDG) या ‘2030 एजेंडा’ के तहत भी ऐसा करने के लिए बाध्य हैं.
दरअसल, SDG बेहतर स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन और सबके लिए शांति और समृद्ध जीवन सुनिश्चित करने के लिए सभी से कार्रवाई का आह्वान करता है. वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसे एक सार्वभौमिक आह्वान के रूप में अपनाया गया था. 17 सतत विकास लक्ष्य और 169 उद्देश्य सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के अंग हैं.
17 एसडीजी मानते हैं कि एक क्षेत्र में कार्रवाई से दूसरे क्षेत्र में परिणाम प्रभावित होंगे, और यह कि विकास को अवश्य ही प्रभावित होना चाहिए. सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता को संतुलित करें. एक प्रणालीगत सोच दृष्टिकोण वैश्विक स्थिरता के लिए आधार है.
SDG के 17 लक्ष्यों में 8वां सतत विकास लक्ष्य (SDG-8 या वैश्विक लक्ष्य-8) सभी के लिये निरंतर समावेशी और सतत आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोज़गार, और सभ्य काम को बढ़ावा देने से संबंधित है.
SDG-8 में कुल 12 लक्ष्य हैं जिन्हें 2030 तक हासिल किया जाना है. कुछ लक्ष्य 2030 के लिए हैं; अन्य 2020 के लिए हैं.
1. सतत आर्थिक विकास
2. आर्थिक उत्पादन को बढ़ाने के लिए नए तरीके खोजना और उन्हें अपग्रेड करना
3. रोजगार सृजन और बढ़ते उद्यमों का समर्थन करने के लिए नीतियों को बढ़ावा देना
4. उपभोग और उत्पादन में संसाधन दक्षता में सुधार
5. पूर्ण रोजगार और समान वेतन के साथ अच्छा काम
6. युवा रोजगार, शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा देना
7. आधुनिक दासता, तस्करी और बाल श्रम का अंत
8. श्रम अधिकारों की रक्षा और सुरक्षित कार्य वातावरण को बढ़ावा देना
9. लाभकारी और टिकाऊ पर्यटन को बढ़ावा देना
10. बैंकिंग, बीमा और वित्तीय सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच
11. कारोबारी समर्थन के लिए सहायता राशि को बढ़ावा देना
12. युवाओं के लिए वैश्विक रोजगार रणनीति तैयार करना
SDG-8 का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हर देश का आर्थिक क्षेत्र अपने नागरिकों को उनकी पृष्ठभूमि, जाति या संस्कृति के बावजूद एक अच्छा जीवन जीने के लिए आवश्यक जरूरत प्रदान करता है.
दुनिया की लगभग आधी आबादी अभी भी लगभग दो अमेरिकी डॉलर प्रतिदिन के बराबर पर गुजारा करती है. कई जगहों पर, नौकरी होना गरीबी से बचने की गारंटी नहीं देता है. इस धीमी और असमान प्रगति के लिए सभी को गरीबी उन्मूलन के उद्देश्य से आर्थिक और सामाजिक नीतियों पर पुनर्विचार करने और उन्हें फिर से तैयार करने की आवश्यकता हो सकती है.
सबसे कम विकसित देशों के लिए, आर्थिक लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कम से कम 7 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि हासिल करना है. 2018 में, प्रति व्यक्ति वास्तविक जीडीपी की वैश्विक विकास दर 2 प्रतिशत थी.
इसके अलावा, सबसे कम विकसित देशों की दर 2018 में 4.5 प्रतिशत और 2019 में 4.8 प्रतिशत थी, जो एसडीजी 8 में लक्षित 7 प्रतिशत विकास दर से कम है. COVID-19 महामारी, बढ़ती महंगाई, सप्लाई चेन में बाधा, अनिश्चित नीतियां और लेबर मार्केट की चुनौतियां दुनिया को महामंदी के बाद से सबसे खराब वैश्विक आर्थिक संकट में धकेल रही है.
साल 2020 के आंकड़ों के अनुसार, दुनियाभर में 5 साल से 17 साल के 16 करोड़ बच्चे बाल श्रम में लगे हुए हैं. इसका मतलब है कि 10 में से हर 1 बच्चा बाल श्रम में लगा हुआ है. वहीं, साल 2011 के जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, 1.1 करोड़ बच्चे भारत में बाल श्रम में लगे हुए हैं.
Edited by Vishal Jaiswal