हेल्थ इंश्योरेंस से कैसे होती है 1 लाख रुपये तक की टैक्स सेविंग, ये है डिटेल
हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के भुगतान पर आयकर कानून के सेक्शन 80D के तहत डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं.
वित्त वर्ष 2022-23 की आखिरी तिमाही जनवरी-मार्च चल रही है. जिन लोगों ने अभी तक टैक्स सेविंग (Tax Saving) नहीं की है, वे इसकी कवायद में जुट गए हैं. आयकर कानून (Income Tax Act) के विभिन्न सेक्शंस के तहत उपलब्ध टैक्स डिडक्शन (Tax Deduction) का फायदा लेकर टैक्स सेविंग की जा सकती है. टैक्स डिडक्शन, स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) के प्रीमियम पर भी लिया जा सकता है. अगर कोई अपने या अपने परिवार के लिए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम का भुगतान कर रहा है तो वह एक वित्त वर्ष में 1 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकता है. कैसे, आइए जानते हैं-
हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम (Health Insurance Premium) के भुगतान पर आयकर कानून (Income Tax Act) के सेक्शन 80D के तहत डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. प्रावधान है कि करदाता या HUF, सेक्शन 80D के तहत खुद के लिए, पति/पत्नी और निर्भर बच्चों के मेडिकल इंश्योरेंस समेत माता-पिता के मेडिकल इंश्योरेंस के लिए भरे जा रहे प्रीमियम पर डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं.
डिडक्शन क्लेम करने की अलग-अलग लिमिट
60 वर्ष से कम उम्र का व्यक्ति या HUF खुद के लिए, पति/पत्नी और निर्भर बच्चों के हेल्थ इंश्योरेंस के लिए चुकाए गए प्रीमियम पर अधिकतम 25 हजार रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकता है. अगर करदाता, सीनियर सिटीजन है तो डिडक्शन की लिमिट 50 हजार रुपये रहती है. अगर करदाता, अपने जीवनसाथी व बच्चों के साथ 60 वर्ष से कम उम्र के माता-पिता के लिए भी मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम और/या मेडिकल खर्चों का वहन कर रहा है तो उसे 25 हजार रुपये के अतिरिक्त टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है. वहीं अगर माता-पिता 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के हैं तो 50 हजार रुपये का अतिरिक्त डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है.
1 लाख रुपये तक का क्लेम कैसे?
अगर किसी करदाता और उसके माता-पिता दोनों की उम्र 60 वर्ष या उससे ज्यादा है और करदाता एक पॉलिसी अपने जीवनसाथी व बच्चों और दूसरी पॉलिसी अपने अभिभावकों के लिए खरीदता है तो दोनों ही पॉलिसीज पर वह 50-50 हजार रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकता है. यानी कुल मिलाकर अधिकतम 1 लाख रुपये तक की टैक्स सेविंग की जा सकती है. हालांकि हर मामले में शर्त यह है कि प्रीमियम का भुगतान कैश में न किया गया हो.