किताबों के शौकीन हैं तो इस लाइब्रेरी में जाकर पढ़ना किसी सपने से कम नहीं होगा
कोझीकोड-वायनाड सीमा पर कुट्टियाडी घाट रोड के 12वें हेयरपिन मोड़ पर स्थित वुथरिंग हाइट्स एकेडमिक लाइब्रेरी और डिजिटल रिसर्च सेंटर को कुछ ऐसी ही खास जगह के रूप में तैयार किया जा रहा है। इसकी स्थापना कालीकंडी स्थित एनएएम कॉलेज के एक अंग्रेजी शिक्षक नसरुल्ला माम्ब्रोल ने की है।
किताबें पढ़ने के शौकीन लोगों के लिए अक्सर पहाड़ों पर या समुद्र के किनारे शांत जगह पर आराम से किताब पढ़ने का आनंद लेना एक सपने जैसा होता है। हालांकि अब अगर आप भी किताब पढ़ने के शौकीन हैं और किसी ऐसी ही जगह पर अपनी किताब के साथ छुट्टियाँ बिताने का प्लान बना रहे हैं तो यहाँ हम आपको एक ऐसी ही सटीक जगह से रूबरू करवाने वाले हैं।
कोझीकोड-वायनाड सीमा पर कुट्टियाडी घाट रोड के 12वें हेयरपिन मोड़ पर स्थित वुदरिंग हाइट्स एकेडमिक लाइब्रेरी और डिजिटल रिसर्च सेंटर को कुछ ऐसी ही खास जगह के रूप में तैयार किया जा रहा है। इसकी स्थापना कालीकंडी स्थित एनएएम कॉलेज के एक अंग्रेजी शिक्षक नसरुल्ला माम्ब्रोल ने की है।
उपन्यास ने किया प्रभावित
मीडिया से बात करते हुए नसरुल्ला ने बताया है कि उन्होंने साल 2010 में अपने पोस्ट ग्रेजुएशन के दिनों के दौरान 'वुदरिंग हाइट्स' पढ़ा। उन्हें तब उस उपन्यास से इतना गहरा प्यार हो गया कि उन्होंने उसके बाद उसे आठ बार पढ़ा था। उपन्यास से प्रभावित होकर वे अपने घर का नाम एमिली ब्रोंटे के नाम पर रखने की योजना भी बना रहे थे।
हालांकि जब 33 वर्षीय नसरुल्ला ने पुस्तकालय स्थापित करने का फैसला किया, तो उन्होंने इस नाम का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया। नसरुल्ला हमेशा से ही चाहते थे कि वे एक ऐसी जगह का निर्माण करें जो प्रकृति के पास हो, वहाँ पर हिरण हों और पढ़ने के लिए ढेर सारी किताबें हों।
हालांकि तब तक उन्होंने लाइब्रेरी की स्थापना के लिए जगह का चुनाव नहीं किया था। इसके बाद जब उन्होंने कुट्टियाडी घाट रोड पर छह एकड़ की एक खूबसूरत जमीन को देखा तो वे उससे काफी प्रभावित हुए और उन्होंने उसे खरीद लिया।
नसरुल्ला के अनुसार वह जगह बिल्कुल वैसी ही थी जैसा उन्होंने सोचा था, हालांकि इस जगह को लेकर फर्क सिर्फ इतना ही था कि वहाँ पर पास में पेरियार रिजर्व फॉरेस्ट होने के चलते हिरणों के बजाय हाथी नज़र आते हैं।
दान में मिलीं 50 हज़ार किताबें
इसे पढ़ने की जगह बनाने के लिए नसरुल्ला 6 हज़ार वर्ग फुट के भूखंड की पहचान की और आज वहाँ पर 80 व्यक्ति बैठने की क्षमता तैयार की जा रही है। इसके अलावा, यहाँ पर अंतरिक्ष शोध छात्र, लेखक और किताबों के शौकीन व्यक्तियों के लिए भी सुविधा उपलब्ध कराई जाएगो। मालूम हो कि लाइब्रेरी के लिए संस्थापक को करीब 50 हज़ार पुस्तकें दान में मिली हैं।
इस खास लाइब्रेरी में रहने की जगह के साथ ही प्रकाशकों के आउटलेट, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही चर्चा और सेमिनार आदि लिए खास जगह भी उपलब्ध होगी। लाइब्रेरी को सस्टेनेबल मॉडल पर तैयार किया जा रहा है, जहां इसके निर्माण को लेकर सिर्फ लकड़ी का इस्तेमाल किया जाएगा। इस खास लाइब्रेरी के निर्माण में वन विभाग और कविलुंपारा ग्राम पंचायत ने भी पूरा समर्थन दिया है।
नसरुल्ला ने मीडिया को बताया है कि उन्होंने इस प्रोजेक्ट से जुड़ने के लिए राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय और राज्य पुस्तकालय परिषद से भी संपर्क किया है। इसी के साथ ही उन्हें पहले चरण में कम से कम 50 लाख रुपये की जरूरत होगी और इसके लिए भी वे लगातार कोशिश कर रहे हैं।
Edited by Ranjana Tripathi