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तैयारी कर रहे हैं किसी भी कॉम्पटेटिव एग्ज़ाम की, तो आईएएस निशांत जैन की ये किताब मोटिवेशन का कैप्सूल है आपके लिए

तैयारी कर रहे हैं किसी भी कॉम्पटेटिव एग्ज़ाम की, तो आईएएस निशांत जैन की ये किताब मोटिवेशन का कैप्सूल है आपके लिए

Tuesday January 07, 2020 , 5 min Read

"आईएएस निशांत जैन एक ऐसी किताब अपने पाठकों के बीच लेकर आये हैं, जो पढ़ने वाले की ज़िंदगी में सफलता की नई कहानी लिखने का माद्दा रखती है।  हिन्द युग्म प्रकाशन से आई निशांत की किताब "रुक जाना नहीं" उन युवाओं पर फोकस्ड है जो किसी भी कॉम्पटेटिव एग्ज़ाम को क्रैक करके ज़िंदगी में आगे बढ़ना चाहते हैं। बाज़ार में पहले से मौजूद अधिकतर मोटिवेशनल किताबें अंग्रेजी किताबों का अनुवाद हैं, लेकिन निंशांत की ये किताब उनके व्यक्तिगत अनुभवों का निचोड़ है।" 


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लेखक के बारे में

निशांत जैन वो आईएएस अधिकारी हैं, जिसकी सफलता में हिंदी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। यूपीएससी की 2015 की परीक्षा में हिंदी माध्यम से तैयारी करने वाले निशांत ने 13वीं रैंक हासिल की थी। बीते कुछ सालों से हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में यह सर्वश्रेष्ठ परिणाम था। निशांत के सफल होने से न जाने कितने युवाओं को प्रेरणा मिली। उनकी सफलता और संघर्ष की कहानी में युवा अपना अक्स देखते हैं। खासकर वे जिनकी परवरिश मध्यम वर्गीय परिवार के अभावों में हुई है। अपनी व्यस्त ज़िंदगी से वक्त चुराकर निशांत एक ऐसी किताब अपने पाठकों के बीच लेकर आये हैं, जो पढ़ने वाले की ज़िंदगी में सफलता की नई कहानी लिखने का माद्दा रखती है। 


हिन्द युग्म प्रकाशन से आई निशांत की किताब "रुक जाना नहीं" उन युवाओं पर फोकस्ड है जो किसी भी कॉम्पटेटिव एग्ज़ाम को क्रैक करके ज़िंदगी में आगे बढ़ना चाहते हैं। बाज़ार में पहले से मौजूद अधिकतर मोटिवेशनल किताबें अंग्रेजी किताबों का अनुवाद हैं, लेकिन निंशांत की ये किताब उनके व्यक्तिगत अनुभवों का निचोड़ है।


UPSC परीक्षा में हिंदी मीडियम के टॉपर निशान्त जैन का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में एक साधारण परिवार में हुआ। मेरठ कॉलेज से एम.ए. के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.फिल. की डिग्री पाई और दो साल लोक सभा में नौकरी भी की। 2014 की सिविल सेवा परीक्षा में उन्हें 13वीं रैंक मिली।


IAS की तैयारी के लिए उनकी बेस्टसेलर किताब 'मुझे बनना है UPSC टॉपर' हिंदी, इंग्लिश और मराठी में लोकप्रिय है। नेशनल बुक ट्रस्ट से उनकी किताब ‘राजभाषा के रूप में हिंदी’ प्रकाशित है। कविताएँ / ब्लॉग लिखने और युवाओं से संवाद में रुचि रखने वाले निशान्त 2015 बैच के IAS अधिकारी हैं।

क्यों ज़रूरी है ये किताब

यह किताब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले हिंदी मीडियम के युवाओं को केंद्र में रखकर लिखी गई है। इस किताब में कोशिश की गई है कि हिंदी पट्टी के युवाओं की ज़रूरतों के मुताबिक़ कैरियर और ज़िंदगी दोनों की राह में उनकी सकारात्मक रूप से मदद की जाए। इस किताब के छोटे-छोटे लाइफ़ मंत्र इस किताब को खास बनाते हैं। ये छोटे-छोटे मंत्र जीवन में बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं।


इस किताब की कुछ और ख़ासियतें भी हैं। इसमें पर्सनैलिटी डेवलपमेंट के प्रैक्टिकल नुस्ख़ों के साथ स्ट्रेस मैनेजमेंट, टाइम मैनेजमेंट पर भी विस्तार से बात की गई है। चिंतन प्रक्रिया में छोटे-छोटे बदलाव लाकर अपने कैरियर और ज़िंदगी को काफ़ी बेहतर बनाया जा सकता है। विद्यार्थियों के लिए रीडिंग और राइटिंग स्किल को सुधारने पर भी इस किताब में बात की गई है। कुल मिलाकर किताब में कोशिश की गई है कि सरल और अपनी सी लगने वाली भाषा में युवाओं के मन को टटोलकर उनके मन के ऊहापोह और उलझनों को सुलझाया जा सके।


इस मोटिवेशनल किताब में असफलता को हैंडल करने और सफलता की राह पर बढ़ते जाने कुछ नुस्ख़े भी सुझाए हैं। ऐसे 26 युवाओं की सफलता की शानदार कहानियाँ भी उन्हीं की ज़ुबानी इस किताब के अंत में शामिल हैं, जिन्होंने तमाम प्रतिकूलताओं के बावजूद ‘रुक जाना नहीं’ का मंत्र अपनाकर सफलता की राह बनाई और युवाओं के प्रेरणास्त्रोत बने।

किताब से कुछ प्रेरणात्मक कोट्स

- अस्त-व्यस्त नहीं, व्यस्त और मस्त रहें...


- अपनी ताक़त पहचानें और जुट जाएँ..


- अपनी लकीर बड़ी करें...


- मुश्किलें सब पर आती हैं,

  कोई बिखर जाता है, 

  कोई निखर जाता है...


- सितारों के आगे जहां और भी है...


- जिस तरह रुका हुआ पानी सड़ जाता है,

 उसी तरह रुका हुआ जीवन थक जाता है...


- हर नई सुबह एक नई शुरुआत की उम्मीद लेकर आती है...


- हमेशा बड़ा सोचो, तुम एक दिन ख़ुद बड़े बन जाओगे...


- ज़िंदादिली और जुनून का आलम यह होना चाहिए कि मुझे हर हाल में आगे बढ़ना है और ख़ुद अपना रास्ता गढ़ना है।


- मंज़िल मिले या न मिले, ज़िंदगी कभी न थकती है, न रूकती है। समय का पहिया हर सफलता और असफलता के बाद भी

निरंतर चलता जाता है।


योरस्टोरी से बात करते हुए निशांत कहते हैं,

"मुझे तीन कारणों ने यूपीएससी में उच्च रैंक दिलायी- एक तो मेरा अब तक का संचित ज्ञान और अनुभव (accumulated knowledge and experience), दूसरा मेरा लेखन कौशल (writing skill) और तीसरा मेरा व्यापक, समग्र और संतुलित दृष्टिकोण (comprehensive and Balanced view)।"

वे आगे कहते हैं,

"मुझे यह भी लगता है कि मेरी हर नौकरी, हर शिक्षण संस्था, हर शिक्षक और हर साथी ने मुझे कुछ-न-कुछ ही नहीं, बहुत कुछ सिखाया। मेरे दोस्तों का कहना था कि 'मेरी तैयारी ख़ामोश थी पर सफलता ने शोर मचाया।' सचमुच, 'सफलता मंज़िल नहीं, बल्कि अपने-आप में एक नए सफ़र की शुरुआत है।"

निशांत का भी यही कहना है कि जहाँ भी जैसे भी रहें, जो कुछ भी करें, ख़ुश रहकर करें, व्यस्त रहें और मस्त रहें। निराशा की बातें करने वालों की बातें सुन-सुन कर हताश न हों। शिक्षा, युवाओं से संवाद और भाषा-संस्कृति में खास रुचि रखने वाले निशान्त आज भी अपने पद पर काम करते हुए वक़्त निकालकर स्कूल-कॉलेज, ट्राइबल हॉस्टल जाना और छात्र-छात्राओं से बतियाना नहीं भूलते।


निशांत जैन की किताब 'रुक जाना नहीं' को आप अमेजन से ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं।