साइबर अटैक से बचना है तो करें ये काम, नहीं उठानी पड़ेगी परेशानी
ऐसे होता है आप पर साइबर अटैक, खुद को सुरक्षित रखने के लिए करें ये काम
"आज जब हम सभी के पास स्मार्टफोन/कंप्यूटर और इंटरनेट है, ऐसे में हम में से कोई भी जरा सी लापरवाही के चलते साइबर अटैक का शिकार बन सकता है, लेकिन इससे बचना भी उतना मुश्किल नहीं है। इंटरनेट के इस्तेमाल के साथ ही अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाये तो संभावित साइबर अटैक से खुद को आसानी से बचाया जा सकता है।"
बीते दो दशकों ने भारत समेत पूरी दुनिया ने विशाल इंटरनेट क्रांति देखी है। एक ओर जहां इंटरनेट ने लोगों के जीवन को आसान बनाने का काम किया है, वहीं दूसरी ओर इंटरनेट के रास्ते यूजर पर नए किस्म के हमले का भी इजाफा हुआ है, जिसे ‘साइबर अटैक’ के नाम से भी जाना जाता है। साइबर अटैक के जरिये इंटरनेट यूजर की डिवाइस जैसे फोन या कंप्यूटर से जानकारी या कहें डाटा चुराने का काम किया जाता है, जिसका इस्तेमाल फिर उस यूजर को नुकसान पहुँचने के लिए किया जा सकता है।
साइबर अटैक का उद्देश्य सेक्युर्टी ब्रीच से लेकर ऑनलाइन उत्पीड़न या आतंकी गतिविधि से भी जुड़ा हो सकता है। आज जब हम सभी के पास स्मार्टफोन/कंप्यूटर और इंटरनेट है, ऐसे में हम में से कोई भी जरा सी लापरवाही के चलते साइबर अटैक का शिकार बन सकता है, लेकिन इससे बचना भी उतना मुश्किल नहीं है। इंटरनेट के इस्तेमाल के साथ ही अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाये तो संभावित साइबर अटैक से खुद को आसानी से बचाया जा सकता है।
पासवर्ड पर रहे ध्यान
इंटरनेट पर आपके डाटा की सुरक्षा में सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी आपका पासवर्ड ही निभाता है, ऐसे में आपका डाटा कितना सुरक्षित है यह इससे तय होगा कि आपका पासवर्ड कितना मजबूत है। इंटरनेट पर सोशल मीडिया, मेल और बैंकिंग से जुड़े अपने अकाउंट पर कभी भी ऐसे पासवर्ड का इस्तेमाल न करें जिनका अनुमान लगाना आसान हो, मसलन 123456 या QWERTY।
इसी के साथ आप अपने अकाउंट को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए ‘टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन’ का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, इसमें आपको लॉगिन के लिए अपने पासवर्ड के साथ मोबाइल या गूगल ऑथेंटिकेटर पर आने वाले ओटीपी का भी इस्तेमाल करना होगा।
संभल कर खोलें लिंक
साइबर हमले के लिए अक्सर हमलावर मालवेयर का इस्तेमाल करते हैं, जो धीरे से आपके कंप्यूटर में घुस जाते हैं और फिर इसके जरिये आपकी डिवाइस से सारी जानकारी साइबर अटैकर के पास पहुंचने लगती है।
ये मालवेयर आमतौर पर लिंक के जरिये आपकी डिवाइस पर हमला करते हैं और ये लिंक आपके मेलबॉक्स पर आए अंजान मैसेज या फिर असुरक्षित वेबसाइट पर आपको नज़र आते हैं।
नेटवर्क हो सुरक्षित
सार्वजनिक स्थान पर मिलने वाले ओपेन वाई-फाई के जरिये आपको इंटरनेट की सेवा जरूर मिल सकती है, लेकिन यह सुरक्षित हो इसकी कोई गारंटी नहीं है। ऐसे में आप ऐसी जगहों पर वाई-फाई का इस्तेमाल करते हुए वीपीएन का सहारा ले सकते हैं।
वीपीएन आपके डाटा को इनक्रिप्ट कर देगा, जिससे उसमें सेंध लगाना साइबर अटैकर के लिए मुश्किल हो जाएगा। आप एंटीवायरस और फायरवॉल का इस्तेमाल कर इस तरह के जोखिम को कम कर सकते हैं।
बच्चों पर रखें ध्यान
स्मार्टफोन और इंटरनेट क्रांति के बाद अब घर पर बच्चे भी स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हुए नज़र आ जाते हैं, लेकिन यह थोड़ा सा जोखिमभरा हो सकता है। ऐसे में आप अपने बच्चों को इंटरनेट के सुरक्षित इस्तेमाल की बुनियादी जानकारी जरूर दें, इसी के साथ अगर आपके बच्चे अभी छोटे हैं तो आप लगातार इस बात पर नज़र रखें कि वे कौन सी वेबसाइट पर अपना समय बिता रहे हैं और वह सुरक्षित है या नहीं।
अगर आपको जरा भी संदेह है कि कोई वेबसाइट का वेबपेज सुरक्षित नहीं है तो फौरन एक्शन लें और देखें कि कहीं आपकी डिवाइस पर कोई मालवेयर तो दाखिल नहीं हो गया है।
रखें डाटा बैकअप
तमाम सावधानियों के बावजूद हो सकता है कि अनजाने में ही कोई ऐसी गलती या चूक कर बैठें जिससे आप साइबर हमले का शिकार बन जाएँ, उस दशा में हो सकता है आपको आपके डाटा से भी हाथ धोना पड़ जाए।
इस परिस्थिति से बचने के लिए आप अपने डाटा का लगातार बैकअप लेना ना भूलें, जो आपको ऐसी परिस्थिति में संभलने का मौका देगा।