आखिर क्यों IIT बॉम्बे ग्रेजुएट इस शख्स ने ज्वॉइन की रेलवे में ग्रुप-डी नौकरी, कर रहा है ट्रैकमैन का काम
"एक IIT बॉम्बे ग्रेजुएट ने भारतीय रेलवे में ट्रैकमैन की ग्रुप-डी की नौकरी लेने के अपने चौंकाने वाले कदम से पूरे देश को आश्चर्यचकित कर दिया है। वैसे भारतीय रेलवे भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का आठवां सबसे बड़ा नियोक्ता है।"
आईआईटी-बॉम्बे जहां प्लेसमेंट के पहले ही दिन 'माइक्रोसॉफ्ट ने 1.14 करोड़ रुपये तक का सैलरी पैकेज ऑफर किया था', इस खबर ने आईआईटी और आईआईएम को लेकर ऑबसेस्ड देश के लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। लेकिन सोचिए कि अगर आईआईटी ग्रेजुएट उस ऑफर को अस्वीकार कर दे तो क्या होगा?
दरअसल एक IIT बॉम्बे ग्रेजुएट ने भारतीय रेलवे में ट्रैकमैन की ग्रुप-डी की नौकरी लेने के अपने चौंकाने वाले कदम से पूरे देश को आश्चर्यचकित कर दिया है। वैसे भारतीय रेलवे भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का आठवां सबसे बड़ा नियोक्ता है।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, आईआईटी बॉम्बे से मेटलर्जी और मटेरियल साइंस में दोहरी डिग्री (बीटेक और एमटेक) रखने वाले श्रवण कुमार की पोस्टिंग फिलहाल चंद्रपुरा पीडब्ल्यूआई के अधीन तेलो में की गई है और चंद्रपुरा व तेलो सेक्शन के बीच ट्रैक रखरखाव का काम देखते हैं। उन्होंने 30 जुलाई, 2019 को अपनी नई नौकरी शुरू की थी।
भारत के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक आईआईटी से स्नातक श्रवण कुमार के इस कदम ने धनबाद रेलवे डिवीजन के कई वरिष्ठ अधिकारियों को चौंका दिया। 2015 में IIT बॉम्बे से स्नातक करने वाले श्रवण को ऐसी नौकरी क्यों चाहिए, जिसमें न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के रूप में केवल दसवीं कक्षा की आवश्यकता होती है और प्रति वर्ष 3 लाख रुपये सैलरी मिलती हो? श्रवण का मानना है कि कोई भी नौकरी छोटी नहीं होती है और जीवन में जो भी अवसर मिलते हैं, हमें उन्हें भुनाना चाहिए। उन्हें भारतीय रेलवे में शामिल होने की खुशी है, और उन्हें लगता है कि सरकारी नौकरी सुरक्षित होती है जो एक निजी क्षेत्र की नौकरी से मेल नहीं खा सकती है।
वह कैंपस प्लेसमेंट लेने के इच्छुक नहीं थे क्योंकि कोर सेक्टर में कई (नौकरी) ऐसे विकल्प नहीं थे जहां वह काम करना चाहते थे।
एक मीडिया सूत्र के अनुसार,
यह श्रवण की पहली नौकरी है जो उन्हें आरआरबी (रेलवे भर्ती बोर्ड) एनटीपीसी परीक्षा से मिली है। कथित तौर पर, श्रवण भविष्य में विभाग के भीतर पदोन्नति पाने की कोशिश करेंगे।
हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि 2015 में आईआईटी से स्नातक करने के बाद वे 2015 से 2019 के बीच क्या कर रहे थे। हमें आश्चर्य है कि आप उनके इस कदम के बारे में क्या सोचते हैं? क्या श्रवण नौकरियों के संकट से गुजर रहे देश की तरफ ध्यान दिलाना चाह रहे हैं? कमेंट कर हमें अपनी राय दें।