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कैश विदड्रॉअल पर 2% TDS में ITR फाइल करने वालों को कैसे ज्यादा राहत

TDS को वह प्राइवेट/सरकारी/सहकारी बैंक या डाकघर काटता है, जिसमें कैश विदड्रॉ करने वाले का खाता/खाते हैं.

कैश विदड्रॉअल पर 2% TDS में ITR फाइल करने वालों को कैसे ज्यादा राहत

Thursday July 28, 2022 , 4 min Read

फाइनेंस बिल 2019 से देश में टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स यानी TDS से जुड़ा एक नया नियम अस्तित्व में आया. प्रावधान किया गया कि अगर कोई व्यक्ति एक ही बैंक/को-ऑपरेटिव बैंक/पोस्ट ऑफिस के सभी अकाउंट्स को मिलाकर एक वित्त वर्ष के अंदर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा का कैश निकालता है तो उसे 2 प्रतिशत की दर से TDS का भुगतान करना होगा. TDS को वह प्राइवेट/सरकारी/सहकारी बैंक या डाकघर काटता है, जिसमें कैश विदड्रॉ करने वाले का खाता/खाते हैं. लेकिन फिर बजट 2020 में इस नियम में बदलाव किया गया, जिससे इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों को एक राहत मिल गई.

दरअसल प्रावधान हुआ कि कैश विदड्रॉअल पर टीडीएस के मामले में 1 करोड़ रुपये की थ्रेसहोल्ड लिमिट उन लोगों के लिए रहेगी, जो इनकम टैक्स रिटर्न भरते हैं. लगातार 3 सालों से या पिछले 3 सालों में से किसी एक साल आईटीआर फाइल करने वाले, एक ही बैंक/को-ऑपरेटिव बैंक/पोस्ट ऑफिस के सभी खातों को मिलाकर अगर एक वित्त वर्ष के अंदर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा का कैश निकालते हैं तो उन्हें 2 प्रतिशत की दर से टीडीएस का भुगतान करना होगा.

ITR फाइल न करने वालों के लिए क्या ​लिमिट

बजट 2020 में प्रावधान हुआ कि नॉन आईटीआर फाइलर्स के लिए कैश विदड्रॉअल पर टीडीएस को लेकर थ्रेसहोल्ड लिमिट घटाकर 20 लाख रुपये कर दी गई. इसका अर्थ है कि जिन लोगों ने लगातार 3 सालों से आईटीआर फाइल नहीं किया है, अगर वे किसी बैंक/को-ऑपरेटिव बैंक/पोस्ट ऑफिस के सभी अकाउंट्स को मिलाकर 1 वित्त वर्ष में 20 लाख रुपये से ज्यादा का कैश विदड्रॉ करते हैं तो उन्हें 2 प्रतिशत की दर से टीडीएस देना होगा. अगर नॉन आईटीआर फाइलर किसी एक बैंक/को-ऑपरेटिव बैंक/पोस्ट ऑफिस के सभी अकाउंट्स को मिलाकर 1 वित्त वर्ष के अंदर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा का कैश निकालता है तो उसे 5 प्रतिशत की दर से टीडीएस का भुगतान करना होगा.

अगर अलग-अलग बैंकों में हैं कई खाते तो क्या होगा...

20 लाख रुपये और 1 करोड़ रुपये की थ्रेसहोल्ड लिमिट किसी एक बैंक/को-ऑपरेटिव बैंक/पोस्ट ऑफिस के सभी खातों को मिलाकर 1 वित्त वर्ष के अंदर किए गए कैश विदड्रॉअल के लिए है. लिहाजा जो लोग आईटीआर फाइल करते हैं, उनके अगर एक से ज्यादा बैंक/को-ऑपरेटिव बैंक/पोस्ट ऑफिस में खाते हैं तो वे हर बैंक/को-ऑपरेटिव बैंक/पोस्ट ऑफिस से एक वित्त वर्ष में 1 करोड़ से ज्यादा का नकद ट्रांजेक्शन बिना 2 प्रतिशत टीडीएस दिए कर सकते हैं. इसे एक उदाहरण से समझिए, अगर किसी के तीन अलग-अलग बैंकों में तीन खाते हैं तो वह हर बैंक से 1.1 करोड़ रुपये यानी एक वित्त वर्ष में कुल 3 करोड़ रुपये तक का कैश बिना 2 प्रतिशत टीडीएस के निकाल सकता है. इसी तरह नॉन आईटीआर फाइलर भी हर बैंक/को-ऑपरेटिव बैंक/पोस्ट ऑफिस से एक वित्त वर्ष में 20 लाख रुपये से ज्यादा का कैश ट्रांजेक्शन बिना 2 प्रतिशत टीडीएस के कर सकता है.

लिमिट क्रॉस होने पर क्या पूरे अमाउंट पर टैक्स?

थ्रेसहोल्ड लिमिट क्रॉस होने पर टीडीएस 20 लाख रुपये/1 करोड़ रुपये मिलाकर पूरे अमाउंट पर नहीं कटता. अगर कोई खाते से 20 लाख/1 करोड़ रुपये की सालाना लिमिट के ऊपर कैश में ट्रांजेक्शन करता है तो टीडीएस केवल 20 लाख/1 करोड़ रुपये से ऊपर वाले अतिरिक्त अमाउंट पर लगाया जाएगा, न कि 20 लाख/1 करोड़ रुपये मिलाकर पूरे अमाउंट पर. एक वित्त वर्ष में 20 लाख रुपये/1 करोड़ रुपये से ज्यादा के कैश विद्ड्रॉल पर 2 प्रतिशत टीडीएस का प्रावधान सेक्शन 194एन के तहत किया गया है. यह बात ध्यान रखने वाली है कि इस थ्रेसहोल्ड लिमिट के ऊपर टीडीएस केवल उन्हीं ट्रांजेक्शंस पर कटेगा, जहां कैश की निकासी होगी. अगर किसी ने बैंक से चेक या ड्राफ्ट या डिजिटल/इलेक्ट्रॉनिक तरीके से पेमेंट लिया है तो टीडीएस नहीं कटेगा क्योंकि कैश में पेमेंट नहीं हुआ.

इन पर लागू नहीं होती है 1 करोड़ वाली लिमिट

सेक्शन 194N के तहत कुछ कैटेगरी को 1 करोड़ रुपये की सालाना लिमिट क्रॉस होने के बाद भी अकाउंट से कैश विदड्रॉ करने पर 2 प्रतिशत टीडीएस से छूट है. इन कैटेगरी में सरकारी संस्था, बैंक, को-ऑपरेटिव सोसायटी, पोस्ट ऑफिस, बैंकिंग कंपनी या को-ऑपरेटिव सोसायटी के बिजनेस कॉरस्पोंडेंट, किसी बैंक के व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर और सरकार व आरबीआई द्वारा नोटिफाई किए गए व्यक्ति आते हैं.