Tax Saving: टैक्स बचाने में आपका परिवार भी है मददगार, जानिए कैसे?
टैक्सपेयर अपने माता-पिता, जीवनसाथी और बच्चों के माध्यम से अपनी कर देनदारी कैसे घटा सकता है?
इनकम टैक्स (Income Tax) के रूप में जेब से कम पैसा जाए, इसके लिए करदाता कई तरीके अपनाता है. विभिन्न निवेश विकल्पों की मदद से टैक्स डिडक्शन (Income Tax Deduction) क्लेम करके टैक्स देनदारी कम करने की कोशिश की जाती है. इस कोशिश में करदाता चाहे तो अपने परिवार की मदद भी ले सकता है. लेकिन याद रहे कि इन डिडक्शन का फायदा केवल उन्हीं करदाताओं को है, जो पुरानी परंपरागत टैक्स व्यवस्था का चुनाव करते हैं. नई आयकर व्यवस्था में सेक्शन 80CCD (2) को छोड़कर अन्य किसी सेक्शन के तहत मिलने वाले डिडक्शन को क्लेम नहीं किया जा सकता है. टैक्सपेयर अपने माता-पिता, जीवनसाथी और बच्चों के माध्यम से अपनी कर देनदारी कैसे घटा सकता है, आइए जानते हैं-
बच्चों की स्कूल/कॉलेज फीस
अगर करदाता के बच्चे स्कूल/कॉलेज में हैं तो उनकी फीस पर आयकर कानून (Income Tax Act) के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन (Tax Deduction) क्लेम किया जा सकता है. यह फायदा स्कूल/कॉलेज की कुल फीस में शामिल ट्यूशन फीस पर मिलता है. यह डिडक्शन दो बच्चों तक के लिए लिया जा सकता है.
नाबालिग बच्चों के नाम पर इन्वेस्टमेंट
नाबालिग बच्चों के नाम पर PPF, सुकन्या समृद्धि खाता, म्यूचुअल फंड्स, ट्रेडिशनल इंश्योरेंस पॉलिसी जैसे विकल्पों में इन्वेस्टमेंट करके टैक्स सेविंग की जा सकती है. टैक्स सेविंग के साथ-साथ यह बच्चे के फ्यूचर को फाइनेंशियली सिक्योर बनाने की दिशा में भी मददगार है. इन निवेश विकल्पों में जमा किए जाने वाले पैसे पर सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है. बच्चों के नाम पर बचत खाता खुलवाने पर उस पर मिलने वाला 1500 रुपये तक का ब्याज, सेक्शन 10(32) के तहत टैक्स से छूट प्राप्त है. इसका फायदा मैक्सिमम दो बच्चों के नाम पर लिया जा सकता है.
हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम
अगर कोई अपने या अपने परिवार के लिए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम (Health Insurance Premium) का भुगतान कर रहा है तो वह एक वित्त वर्ष में 1 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकता है. हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के भुगतान पर आयकर कानून (Income Tax Act) के सेक्शन 80D के तहत डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. प्रावधान है कि करदाता या HUF, सेक्शन 80D के तहत खुद के लिए, जीवनसाथी, निर्भर बच्चों, माता-पिता के मेडिकल इंश्योरेंस के लिए भरे जा रहे प्रीमियम पर डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं.
60 वर्ष से कम उम्र का व्यक्ति या HUF खुद के लिए, पति/पत्नी और निर्भर बच्चों के हेल्थ इंश्योरेंस के लिए चुकाए गए प्रीमियम पर अधिकतम 25 हजार रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकता है. अगर करदाता, सीनियर सिटीजन है तो डिडक्शन की लिमिट 50 हजार रुपये रहती है. अगर करदाता, अपने जीवनसाथी व बच्चों के साथ 60 वर्ष से कम उम्र के माता-पिता के लिए भी मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम और/या मेडिकल खर्चों का वहन कर रहा है तो उसे 25 हजार रुपये के अतिरिक्त टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है. वहीं अगर माता-पिता 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के हैं तो 50 हजार रुपये का अतिरिक्त डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है.
अगर किसी करदाता और उसके माता-पिता दोनों की उम्र 60 वर्ष या उससे ज्यादा है और करदाता एक पॉलिसी अपने जीवनसाथी व बच्चों और दूसरी पॉलिसी अपने अभिभावकों के लिए खरीदता है तो दोनों ही पॉलिसीज पर वह 50-50 हजार रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकता है. यानी कुल मिलाकर अधिकतम 1 लाख रुपये तक की टैक्स सेविंग की जा सकती है. हालांकि हर मामले में शर्त यह है कि प्रीमियम का भुगतान कैश में न किया गया हो.
पत्नी या बच्चों के लिए एजुकेशन लोन
सेक्शन 80E के तहत उच्च शिक्षा यानी ग्रेजुएशन/पोस्ट ग्रेजुएशन, डॉक्टरेट की पढ़ाई के मकसद से लिए गए एजुकेशन लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है. एजुकेशन लोन करदाता के खुद के लिए या फिर, पत्नी, बच्चे या फिर किसी भी ऐसे स्टूडेंट के लिए हो सकता है, जिसका करदाता कानूनी अभिभावक है. एजुकेशन लोन पर भरे जा रहे ब्याज पर ही डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है, रिपे किए जा रहे प्रिंसिपल अमाउंट पर नहीं. यह भी ध्यान रहे कि यह फायदा केवल व्यक्तिगत करदाता के लिए है. एजुकेशन लोन के ब्याज पर डिडक्शन को क्लेम करने के लिए कोई ऊपरी सीमा नहीं है. पूरे वित्त वर्ष में लोन पर करदाता की ओर से जितना ब्याज चुकाया गया है, उस पूरे अमाउंट पर टैक्स डिडक्शन का फायदा लिया जा सकता है.
जॉइंट होम लोन
होम लोन लेने वाले करदाता, आयकर कानून के सेक्शन 24b के तहत होम लोन के ब्याज पेमेंट पर हर वित्त वर्ष 2 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. प्रिंसिपल अमाउंट पर एक वित्त वर्ष में अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन, सेक्शन 80C के तहत किया जा सकता है. अगर होम लोन जीवनसाथी, माता-पिता या बच्चों के साथ जॉइंट में चल रहा है तो दोनों जॉइंट बॉरोअर्स अलग-अलग रूप से ये टैक्स बेनेफिट ले सकते हैं. लेकिन ध्यान रहे कि को-एप्लीकेंट को टैक्स छूट का फायदा तभी मिलेगा, जब वह साथ में प्रॉपर्टी का मालिक भी हो. दोनों बॉरोअर्स एप्लीकेंट होने के साथ-साथ घर के मालिक भी हैं, तभी वे टैक्स बेनेफिट अलग-अलग क्लेम कर सकते हैं.
माता-पिता को घर के किराए के भुगतान पर
अगर करदाता अपने माता-पिता के घर में रह रहा है और उन्हें किराया दे रहा है तो इस पर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है. टैक्स डिडक्शन का HRA छूट बेनेफिट के तौर पर फायदा लिया जा सकता है. लेकिन इसके लिए घर का मालिकाना हक माता-पिता के पास होना चाहिए और करदाता उनके साथ भागीदार नहीं हो सकता. अगर किसी करदाता को HRA बेनिफिट नहीं मिलता, तो वह सेक्शन 80GG के तहत टैक्स बेनिफिट क्लेम कर सकता है.
अगर जीवनसाथी बिजनेस में बंटा रहा हाथ
अगर टैक्सपेयर का खुद का बिजनेस है और उसका जीवनसाथी प्रोफेशनली क्वालीफाइड है व करदाता की बिजनेस/प्रोफेशन में मदद करता है तो कुल प्राप्ति (Total Receipt) को कंपनी और जीवनसाथी में बांटा जा सकता है. ऐसे में जीवनसाथी को बिजनेस या प्रोफेशन से होने वाली इनकम पर भी टैक्स सेविंग की जा सकती है.
दिव्यांग रिश्तेदार के इलाज पर
अगर कोई सैलरीड क्लास इंडीविजुअल टैक्सपेयर या HUF (हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली), किसी दिव्यांग रिश्तेदार के इलाज का खर्च उठा रहा है तो इस खर्च पर सेक्शन 80DD के तहत 1.25 लाख रुपये तक का डिडक्शन लिया जा सकता है. व्यक्ति या HUF इस सेक्शन के जरिए खुद पर निर्भर किसी दिव्यांग रिश्तेदार के मेडिकल ट्रीटमेंट या देखरेख आदि के खर्च पर या दिव्यांग रिश्तेदार की देखभाल के लिए किसी उपयुक्त अप्रूव्ड स्कीम में किए गए डिपॉजिट/भुगतान पर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है. आयकर कानून के मुताबिक, व्यक्तिगत करदाता के मामले में निर्भर रिश्तेदार से अर्थ करदाता की पत्नी, बच्चों, माता-पिता, भाई-बहन से है. वहीं HUF के मामले में निर्भर रिश्तेदार HUF का सदस्य होना चाहिए. याद रहे कि सेक्शन 80DD का फायदा केवल भारत के नागरिकों के लिए है, NRI इसका फायदा नहीं ले सकते.
ध्यान रहे कि सेक्शन 80DD के तहत डिडक्शन का क्लेम खुद दिव्यांग नहीं कर सकता. दिव्यांग व्यक्ति जिस व्यक्ति या परिवार पर निर्भर है, वह यह डिडक्शन क्लेम कर सकता है.
सेक्शन 80DDB भी जान लें
सेक्शन 80DDB के तहत चुनिंदा बीमारियों के मामले में सैलरीड इंप्लॉई अपने या खुद पर निर्भर परिवार के सदस्य के इलाज पर अधिकतम 40,000 रुपये का टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. सीनियर सिटीजन के इलाज के मामले में 1 लाख रुपये तक के मेडिकल खर्च पर टैक्स बेनिफिट लिया जा सकता है.