राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत पेंशन में वृद्धि
वर्तमान में राज्य/केंद्र शासित प्रदेश NSAP की पेंशन योजनाओं के तहत प्रति माह 50 रुपये से लेकर 3200 रुपये तक की अतिरिक्त राशि जोड़ रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप कई राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में NSAP से जुड़े पेंशनभोगियों को मासिक पेंशन के रूप में औसतन 1000 रुपये मिल रहे हैं.
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP) की पेंशन योजनाओं के तहत दी जाने वाली पेंशन राशि की समय-समय पर समीक्षा की जाती रही है और इसमें संशोधन किया जाता रहा है. 15 अगस्त, 1995 को NSAP योजनाएं लागू होने के बाद इसे वर्ष 2000, 2007, 2009, 2011 और 2012 में संशोधित किया गया था. वर्ष 2007 में ‘वंचित’ या ‘विपन्नता’ की पात्रता वाले मानदंड को ‘बीपीएल’ द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था और वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत सहायता राशि 75 रुपये से बढ़ाकर 200 रुपये कर दी गई थी.
वर्ष 2011 में 80 साल और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए वृद्धावस्था सहायता को बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया गया था. वर्ष 2012 में विधवा और दिव्यांगता पेंशन योजनाओं के तहत सहायता राशि 40-79 वर्ष की आयु वाली विधवाओं और 18-79 वर्ष की आयु वाले दिव्यांगजनों के लिए 200 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये कर दी गई थी.
15वें वित्त आयोग चक्र (2021-2026) के लिए NSAP योजनाओं को जारी रखने पर विचार करते समय NSAP योजनाओं के तहत पात्रता मानदंड और सहायता राशि में संशोधन करने पर भी सरकार द्वारा विचार किया गया था. हालांकि, उपलब्ध वित्तीय संसाधनों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने NSAP योजना को उसके वर्तमान स्वरूप में ही जारी रखने को मंजूरी दे दी. बहरहाल, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को कम से कम केंद्रीय सहायता के बराबर अतिरिक्त राशि प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
वर्तमान में राज्य/केंद्र शासित प्रदेश NSAP की पेंशन योजनाओं के तहत प्रति माह 50 रुपये से लेकर 3200 रुपये तक की अतिरिक्त राशि जोड़ रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप कई राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में NSAP से जुड़े पेंशनभोगियों को मासिक पेंशन के रूप में औसतन 1000 रुपये मिल रहे हैं.
NSAP के दिशा-निर्देशों में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा हर महीने पेंशन का वितरण करने का प्रावधान किया गया है. वर्तमान में 27 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश हर महीने पेंशन वितरित करते हैं, जबकि 3 राज्य यथा हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड हर तिमाही में (अग्रिम) पेंशन वितरित करते हैं, और 2 राज्य यथा अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड गैर-आवधिक आधार पर पेंशन वितरित करते हैं. राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से हर महीने पेंशन वितरित करने का अनुरोध किया जाता है.
राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा लाभार्थियों को समय पर पेंशन वितरण सुनिश्चित करने के लिए लगभग सभी राज्यों ने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT)/आधार भुगतान ब्रिज (APB) प्रणाली को अपनाया है और वे सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (PFMS) के माध्यम से पेंशन का वितरण कर रहे हैं.
यह जानकारी केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साधवी निरंजन ज्योति ने हाल ही में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी.