14 नए स्टार्टअप यूनीकॉर्न क्लब में शामिल, इंडियन यूनीकॉर्न की संख्या बढ़कर हुई 100
फंडिंग की मुश्किलों और वैल्यूएशन की अटकलों के बीच भी भारतीय स्टार्टअप कंपनियां लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं. इस साल 14 नई कंपनियों के यूनीकॉर्न क्लब में शामिल होने के साथ भारतीय यूनीकॉर्न्स की संख्या बढ़कर 100 हो गई है.
पिछले साल के मुकाबले इस साल के शुरुआती पांच महीनों में ही यूनीकॉर्न बनने वाले स्टार्टअप्स की संख्या पिछले साल के मुकाबले ज्यादा है. मार्केट इंटलीजेंड प्रोवाइडर ‘ट्रैक्शन’ (
) की हाल ही में जारी रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष 2022 में एक जनवरी से लेकर 1 जून तक कुल 14 नए स्टार्टअप यूनीकॉर्न क्लब में शामिल हो चुके हैं. पिछले साल 2021 में साल के शुरुआती पांच महीनों में यूनीकॉर्न बनने वाले स्टार्टअप्स की संख्या 13 थी.यूनीकॉर्न की श्रेणी में वो प्राइवेट स्टार्टअप कंपनियां आती हैं, जिनका कुल वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर से ज्यादा हो. यह शब्द यूनीकॉर्न पहली बार 2013 में बना, जब अमेरिकन कैपिटल इन्वेस्टर और काउबॉय वेंचर्स की फाउंडर एलीन ली ने बिजनेस में आश्चर्यजनक रूप से सफलता हासिल करने वाली नई स्टार्टअप कंपनियों की तुलना इस मिथकीय पशु यूनीकॉर्न से की. तब से सफल स्टार्टअप्स के लिए यूनीकॉर्न शब्द का प्रयोग आम प्रचलन में है और इसका बेंचमार्क एक अरब डॉलर का है.
भारत में स्टार्टअप्स और यूनीकॉर्न को लेकर फिलहाल बहुत सकारात्मक माहौल नहीं है. पिछले साल अप्रैल से स्टार्टअप्स के वैल्यूएशन को लेकर तमाम तरह की शंकाओं और अटकलों का बाजार गर्म है. फंडिंग के रास्ते कम हुए हैं और स्टॉक मार्केट में भी बहुत अच्छी स्थिति नहीं है.
लेकिन उसके बावजूद 14 नई कंपनियों यूनीकॉर्न के दायरे में आ गई हैं, जो एक सकारात्मक संकेत है. इस साल यूनीकॉर्न बनी कंपनियों के नाम इस प्रकार हैं-
- फ्रैक्टल ( )
- लीड स्कूल ( )
- डार्विन बॉक्स ( )
- डील शेयर ( )
- इलास्टिक रन ( )
- लिवस्पेस ( )
- एक्सप्रेज बीस ( )
- यूनीफोर ( )
- हासुरा ( )
- क्रेड एवेन्यू ( )
- अमागी मीडिया लैब्स ( )
- ऑक्सीजो फासनेंशियल सर्विसेज ( )
- गेम्स (24x7 )
- ओपन फायनेंशियल टेक्नोलॉजी ( )
भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश है, जहां सबसे ज्यादा संख्या में स्टार्टअप कंपनियों ने यूनीकॉर्न का दर्जा हासिल किया है. इस सूची में अमेरिका अब भी पहले पायदान पर है और दूसरा नंबर चीन का है. इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक इस समय भारत में 14000 के करीब स्टार्टअप्स हैं.
2021 के अंत तक भारत के पास कुल 86 यूनीकॉर्न थे. पिछले साल कुल 1583 नई डील्स के साथ भारत के यूनीकॉर्न 42 बिलियन डॉलर की फंडिंग पाने में कामयाब रहे थे. इस साल 14 नई कंपनियों के इस क्लब में शामिल होने के साथ अब यह संख्या बढ़कर 100 हो गई है.
इस साल मार्च और अप्रैल में स्टार्टअप कंपनियों को 5.8 बिलियन डॉलर की फंडिंग मिली है, जो पिछले साल के मुकाबले 15 फीसदी ज्यादा है. यह तब हो रहा है, जब पहला आईपीओ लाने वाले स्टार्टअप स्टॉक मार्केट में कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए हैं. पेटीएम, जोमैटो, पॉलिसी बाजार जैसी कंपनी के शेयरों के भाव इशु प्राइस से भी नीचे पहुंच गए हैं.
इस साल शुरू के तीन महीने में ही 13 कंपनियां यूनीकॉर्न क्लब में शामिल हो गईं. हम 100 के जादुई आंकड़े से सिर्फ एक ही नंबर पीछे थे और अब फिर मई में ओपन फायनेंशियल टेक्नोलॉजी (Open Financial Technology) के यूनीकॉर्न का स्टेटस हासिल करने के साथ यह संख्या 100 हो गई है.
स्टार्टअप्स को लेकर वर्तमान सरकार का रुख सकारात्मक है. यही कारण है कि पिछले चार सालों में भारत स्टार्टअप्स का एक नया हब बनकर उभरा है. देश में नई कंपनियों के लिए एक पॉजिटिव इकोसिस्टम तैयार हो रहा है और फंडिंग के दरवाजे खुल रहे हैं.
Edited by Manisha Pandey