Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

15 अगस्त 2023 से चलेगी भारत की पहली हाइड्रोजन-पावर्ड ट्रेन: रेल मंत्री अश्विनी वैष्‍णव

15 अगस्त 2023 से चलेगी भारत की पहली हाइड्रोजन-पावर्ड ट्रेन: रेल मंत्री अश्विनी वैष्‍णव

Friday September 16, 2022 , 3 min Read

भारत में अगले साल 2023 तक हाइड्रोजन-पावर्ड ट्रेन (hydrogen powered train) बनकर तैयार हो जाएगी. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्‍णव (Ashvin Vaishnav) ने भुवनेश्वर में SOA विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में बोलते हुए यह जानकारी दी. उन्‍होंने यह भी बताया कि भारत इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है. मंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय रेलवे अपनी ‘गति शक्ति टर्मिनल नीति’ के माध्यम से देश के दूरस्थ और असंबद्ध क्षेत्रों को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने का प्रयास कर रहा है और इस नीति पर काम तेजी से हो रहा है.


विभिन्न देशों द्वारा हाइड्रोजन-पावर्ड ट्रेन चलाना हरित रेलवे की दिशा में उठाया गया कदम है. पेरिस वातावरण समझौता 2015 (Paris Agreement) के अंतर्गत ग्रीन हाउस गैसेज को कम करने के लक्ष्य की प्राप्ति की चुनौती को स्वीकार करते हुए विश्व भर के देशों के रेलवे द्वारा जीरो कार्बन उत्सर्जन (zero carbon emission) मिशन के अंतर्गत 2030 तक लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास है. रेलवे की ओर से जीरो कार्बन उत्सर्जन मिशन के मिशन के तहत इस योजना को जल्द से जल्द अमल में लाने पर काम किया जा रहा है जिसकी शुरुआत जर्मनी ने इस साल अगस्त में हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाली ट्रेन को लॉन्च करके कर दिया है. इस ट्रेन का निर्माण फ्रांस की कंपनी एल्सटॉम एस ए (Alstom SA) ने किया है. जर्मनी में डीजल से चलने वाली ट्रेनों की जगह अब ये ट्रेनें लेंगी. एल्सटॉम के अनुसार, हाइड्रोजन से चलने वाली प्रत्येक ट्रेन की क्षमता एक बार में 999 किलोमीटर की दूरी तय करने की होगी. इसकी अधिकतम गति 140 किलोमीटर प्रति घंटे की होगी. 


हाइड्रोजन-पावर्ड ट्रेन में ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का इस्तेमाल होता है, जिससे जीवाश्म ईंधन (डीजल, पेट्रोल, कोयला) पर निर्भरता कम होती है और वायु प्रदूषण में भारी कमी आती है. ये ट्रेनें सिर्फ भाप और वाष्पित पानी का उत्सर्जन करती हैं. हाइड्रोजन-पावर्ड ट्रेन हाइब्रिड ट्रेनें होती हैं, जिनमें रिन्यूएबल एनर्जी स्टोर करने के लिए बैटरी या सुपर कैपेसिटर लगे होते हैं. ये हाइड्रोजन ईंधन के पूरक होते हैं, जो ट्रेन की रफ्तार को बढ़ाते हैं. यह रेलगाड़ियां 1000 किलोमीटर तक चल सकती हैं. यानि एक बार हाइड्रोजन का टैंक भरवाने के बाद, सारा दिन नेटवर्क के ट्रैक पर दौड़ सकती हैं. बता दें कि सिर्फ एक किलोग्राम हाइड्रोजन ईंधन लगभग 4.5 किलोग्राम डीजल ईंधन के बराबर होता है.


जर्मनी के अलावा जापान और पोलैंड में हाइड्रोजन फ्यूल वाली ट्रेन का ट्रायल शुरू हो चुका है. अब भारत ने भी इसकी घोषणा कर दी है कि साल 2023 तक यहां भी हाइड्रोजन-पावर्ड ट्रेन बनकर तैयार हो जाएगी. इस घोषणा  के साथ सरकार ने पर्यावरण के अनुकूल यात्रा के दरवाज़े खोल दिए हैं. उम्मीद है कि भविष्य में डीजल और कोयले से चलने वाली अधिकतर ट्रेनों को हाइड्रोजन फ्यूल से बदल दिया जाएगा. जिसके परिणामस्वरूप रेलवे से होने होने वाले कार्बन उत्सर्जन में भारी गिरावट आएगी और भारत अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की प्रतिबध्ता में कामयाब होगा.


(फीचर ईमेज क्रेडिट: @DDOdiaNews)