भारत का पहला सोलर मिशन Aditya-L1 श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया
आदित्य-एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला वर्ग है और इसे इसरो के विश्वसनीय पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) का उपयोग करके लॉन्च किया गया था.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो - ISRO) ने श्रीहरिकोटा के अंतरिक्षयान से भारत का पहला सौर मिशन, आदित्य-एल1 लॉन्च किया है. (India's maiden solar mission Aditya-L1 launced)
आदित्य-एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला वर्ग है. इसे सुबह 11.50 बजे इसरो के विश्वसनीय पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) का उपयोग करके लॉन्च किया गया था.
125 दिनों में पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी की यात्रा करने के बाद, अंतरिक्ष यान को लैग्रेंजियन बिंदु एल1 के आसपास एक हेलो कक्षा में स्थापित किए जाने की उम्मीद है, जिसे सूर्य के सबसे करीब माना जाता है.
मिशन के प्रमुख उद्देश्यों में कोरोनल हीटिंग, सौर पवन त्वरण, कोरोनल मास इजेक्शन की शुरुआत, निकट-पृथ्वी अंतरिक्ष मौसम और सौर पवन वितरण को समझना शामिल है.
अध्ययन को अंजाम देने के लिए आदित्य-एल1 मिशन सात वैज्ञानिक पेलोड लेकर गया है. सूर्य अभियान इसरो के सफल चंद्रमा मिशन, चंद्रयान-3 के ठीक बाद आता है, जो 23 अगस्त को चंद्रमा पर अपनी सफल लैंडिंग के बाद से सुर्खियों में है.
चंद्रयान-3 का उद्देश्य चंद्रमा, विशेषकर दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र की समझ को बढ़ाना है. इसका एक उदाहरण हाल ही में प्रज्ञान रोवर द्वारा क्षेत्र में सल्फर की मौजूदगी की पुष्टि है.
इसरो ने एक ट्वीट में कहा, आदित्य-एल1 पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर, सूर्य की ओर निर्देशित रहेगा, जो पृथ्वी-सूर्य की दूरी का लगभग 1% है.
ट्वीट में कहा गया, "सूरज गैस का एक विशाल गोला है और आदित्य-एल1 सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा."
इसरो ने स्पष्ट किया कि आदित्य-एल1 न तो सूर्य पर उतरेगा और न ही सूर्य के करीब आएगा.
Edited by रविकांत पारीक