पुणे का ये IT प्रोफेशनल प्रतिदिन देश के कई शहरों में करा रहा है 1500 से अधिक जरूरतमंदों को भोजन, अब तक 75 हज़ार लोगों को खिला चुके हैं खाना
आईटी प्रोफेशनल नवदीप सिंह द्वारा शुरू की गई पहल ‘टू मील्स एक्स्ट्रा’ के जरिये लॉकडाउन के इस कठिन समय के बीच 6 शहरों में रोजाना 15 सौ से अधिक मील्स का वितरण किया जा रहा है।
!['टू मील्स एक्स्ट्रा' आज हर रोज़ करीब 15 सौ मील्स का वितरण कर रही है।](https://images.yourstory.com/cs/12/511c01b01fd011ea8217c582b4ed63bb/item91-1590655969115.png?fm=png&auto=format)
'टू मील्स एक्स्ट्रा' आज हर रोज़ करीब 15 सौ मील्स का वितरण कर रही है।
देश में लॉकडाउन की घोषणा लाखों लोगों के लिए एक विपत्ति की तरह सामने आई। लोग जो अपनी दैनिक मजदूरी पर ही आश्रित थे, अचानक उनके सामने दिन में दो वक्त के खाने के लिए भी समस्या खड़ी हो गई। इस दौरान पुणे के आईटी प्रोफेशनल नवदीप सिंह ने इस संकट के समय में जरूरतमंद लोगों तक खाना पहुंचाने की पहल शुरू की, जिसका संचालन महज 2 महीने के भीतर आज 6 शहरों में किया जा रहा है।
आज जब कई संगठन और लोग जरूरतमंदों की मदद करने के उद्देश्य से दान ले रहे हैं, लेकिन क्या यह सहायता सही लोगों तक पहुंच रही है? ये एक बड़ा सवाल है और इसी सवाल का जवाब ढूंढते हुए नवदीप इस विचार पर पहुंचे कि "क्यों न हम अपने परिवारों के लिए खाना बनाते समय थोड़ा अतिरिक्त खाना पकाएं और इसे जरूरतमंद लोगों को दान करें?"
ऐसे हुई शुरुआत
नवदीप बताते हैं कि करीब एक-डेढ़ साल पहले वो बीमार पड़ गए थे, दवाइयाँ जरूर चल रही थीं, लेकिन बीमारी उन्हे डिप्रेशन तक खींच ले गयी। इस बीच उन्हे अपनी किसी साथी कर्मचारी को लॉकडाउन के दौरान घर छोड़ने जाना पड़ा, नवदीप बताते हैं कि उन्हे इस तरह मदद करके अच्छा महसूस हुआ और तब उन्होने यह निर्णय किया कि वे और लोगों की भी मदद करेंगे।
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नवदीप सिंह
इस तरह इस पहल की शुरुआत करीब दो महीने पहले हुई, जब महाराष्ट्र में लॉकडाउन की घोषणा की गई और दैनिक मजदूरी करने वाले परिवारों के साथ बड़ी संख्या में लोगों के लिए खाने तक की व्यवस्था करना मुश्किल हो गया। इस बीच नवरात्रि की अष्टमी के मौके पर नवदीप ने प्रसाद के 50 पैकेट इकट्ठे किए और उन्हे जरूरतमंद लोगों में बांटने का निर्णय किया। शुरुआती दो-तीन दिनों में ही नवदीप के साथ 3-4 वॉलंटियर्स जुड़ गए। लॉकडाउन के चलते पैदा हुए संकट के इस समय में जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचाने की पहल को आगे ले जाने के लिए नवदीप ने पहले व्हाट्सऐप ग्रुप्स का सहारा लिया। नवदीप ने इस नेक पहले को ‘टू मील्स एक्स्ट्रा’ नाम दिया। नवदीप के अनुसार इस पहल को आगे बढ़ाने के जज्बे ने उन्हे मानसिक रूप से काफी स्वस्थ कर दिया है।
अधिक जरूरतमंद लोगों तक मदद पहुंचाने के लिए उन्होने अपने परिचितों से घर पर ही 2 लोगों का अतिरिक्त खाना बनाने का आग्रह किया। इस पहल को सोशल मीडिया और इंटरनेट के साथ और आगे ले जाया गया और पहले हफ्ते में ही बांटे जाने वाले फूड पैकेट्स की संख्या 250 तक पहुँच गयी।
![खाना पैक करते वॉलंटियर्स](https://images.yourstory.com/cs/12/511c01b01fd011ea8217c582b4ed63bb/item11-1590654290521.png?fm=png&auto=format)
खाना पैक करते वॉलंटियर्स
नवदीप कहते हैं,
“मैं हर कोने में लोगों से आग्रह करता हूं कि जो थोड़ा अतिरिक्त खाना पका सकते हैं, वह यह करें। मुझे पता है कि अभी भी बहुत से लोग उचित भोजन प्राप्त करने में सक्षम नहीं हैं। मैं और अधिक लोगों तक पहुंचने के लिए जो कुछ भी कर सकता हूं, वह कर रहा हूं। फिलहाल इसकी अधिक जरूरत जरूरत है।"
इस पहल को अंजाम देने के लिए नवदीप ने हर क्षेत्र से वालांटियर्स का चयन किया, जो कलेक्शन टीम से फूड पैकेट्स लेकर जरूरतमंद लोगों में इसका वितरण करते हैं। पहल की तरफ से खाना बनाने वाले परिवारों को पैकेजिंग सामग्री उपलब्ध कराई जाती है, जिसकी मदद से खाने को पैक किया जाता है।
अब तक
यह पहल अभी पुणे, बैंगलुरु, जमशेदपुर, दिल्ली, नाशिक और औरंगाबाद में चल रही है, जहां रोजाना करीब 15 सौ से 2 हज़ार मील्स बांटी जा रही हैं। इसके लिए 70 प्रतिशत भोजन की सप्लाई लोगों के घरों से होती है, जबकि अन्य लोग राशन भी उपलब्ध कराते हैं।
इस पहल के साथ फिलहाल 50 से अधिक सोसाइटी के 500 से अधिक फ्लैट जुड़े हैं और 25 से अधिक वॉलंटियर्स सक्रिय तौर पर अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। पहल के जरिये अब तक 50 हज़ार से अधिक खाने के पैकेट बांटे जा चुके हैं।
नवदीप बताते हैं,
“हम कुछ समान गुरुद्वारे और मंदिर को देते हैं और वो हमें पका हुआ भोजन उपलब्ध कराते हैं, इसी के साथ कुछ रेस्टोरेंट भी ऐसे हैं जो हमें 10 रुपये की कीमत पर एक मील उपलब्ध कराते हैं। वो इसके लिए अपना मुनाफा नहीं लेते, जिसके चलते हमें कम कीमत पर मील उपलब्ध हो जाती है।”
नवदीप के अनुसार वो पिछले एक महीने से लगातार यह कर रहे हैं और इससे उनके स्वास्थ्य पर भी काफी सकारात्मक असर पड़ा है। अब वो कम बीमार पड़ रहे हैं। इस काम से उन्हे एक मानसिक संतुष्टि मिली है, जिसकी उन्हे जरूरत थी।
आप भी ‘टू मील्स एक्स्ट्रा’ की इस नेक पहल से जुड़कर इधर डोनेट कर सकते हैं।