इस किसान ने की थी महज 10 हजार रुपए से शरीफा की खेती शुरु, आज साल का कमाते हैं दस लाख
गुजरात के इस किसान ने भी खेती करने के पारंपरिक तरीकों में बदलाव किया और अपने पूरे परिवार की आर्थिक स्थिति को में सुधार कर लिया। आज यह किसान महीने में लाखों रुपए की कमाई कर रहा है।
‘वक्त-वक्त में वक्त के साथ बदलना जरूरी है, तब जाकर जिंदगी का दौर बदलेगा।’ कहते हैं, परिवर्तन ही प्रगति का साधन होता है। ‘सोसाइटी’ नामक पुस्तक के लेखक मैकाइवर एवं पेज के अनुसार, सामाजिक परिवर्तन एक ऐसी प्रक्रिया है जिस पर विविध प्रकार के परिवर्तनों का प्रभाव पड़ता है। फिर चाहे वह मानव निर्मित-रहन-सहन की दशा में होने वाले बदलाव हों या फिर मानवीय दृष्टिकोण व सामाज की भौतिक वस्तु और अवस्थाओं में। समय के साथ होने वाले बदलाव के साथ चलने वाला मनुष्य प्रगति के मार्ग को प्रशस्त्र कर लेता है।
गुजरात के इस किसान ने भी खेती करने के पारंपरिक तरीकों में बदलाव किया और अपने पूरे परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार कर लिया। आज यह किसान महीने में लाखों रुपए की कमाई कर रहा है।
पाँच साल पहले की थी शुरुआत
गुजरात राज्य के वीरपुर इलाके के रहने वाले किसान मनसुख दुधात्रा इन दिनों शरीफा की खेती कर रहे हैं। उन्होंने इस काम की शुरुआत बीते पाँच वर्ष पहले की थी। इससे पहले मनसुख भी आम किसानों की तरह पारंपरिक तरीके से प्याज, मूंगफली, टमाटर, और अन्य फसलों का उत्पादन करते थे लेकिन कड़ी मेहनत और अधिक लागत आने के बाद भी खेती से मुनाफा होना काफी मुश्किल होता जा रहा था। जिसके बाद मनसुख ने फसल और खेती के तरीके में बदलाव करने का विचार बनाया और शरीफा की फसल उगाने लगे।
मात्र 10 हजार से की थी शुरुआत
मनसुख ने शरीफा की खेती करने के लिए अपनी जमापूँजी से 10 हजार रुपए लगाए थे। नई तकनीक को समझा, मेहनत की जिसका नतीजा यह हुआ कि देखते ही देखते महज तीन से चार साल में ही फसल का उत्पादन बढ़ गया। अब उनके खेतों में एक-एक किलो से अधिक वजन के शरीफा हो रहे हैं। इन वजनदार फलों की सप्लाई भारत ही नहीं बल्कि दुबई तक हो रही है।
देशी से अधिक है हाइब्रिड शरीफा की मांग
मनसुख ने जब शरीफा की खेती शुरु की थी। उन दिनों वह केवल देशी शरीफा की उगाते थे। धीरे-धीरे उन्हें इस फल की अन्य किस्मों की जानकारी हुई। मनसुख जब बाजार में शरीफा को बेचते थे तब वहां देशी से अधिक हाइब्रिड शरीफा की मांग नजर आई। कारण साफ था जहां देशी शरीफा में 35 से 40 बीज निकलते हैं। वहीं, हाइब्रिड शरीफा में इनकी संख्या 15 से 20 के बीच ही होती है।
मनसुख दूधात्रा के बेटे केतन ने एक चैनल से इंटरव्यू के दौरान बताया कि, ‘हाइब्रिड शरीफा खाने में काफी स्वादिष्ट होता है और इसकी उत्पादन क्षमता भी अधिक है। अब हम सालाना 10 लाख रुपए तक का मुनाफा कमा रहे हैं। खासकर मार्केटिंग करने के बाद लाभ और अधिक बढ़ा है।’
बेटे भी दे रहे हैं पिता का साथ
मनसुख दुधात्रा के डू बेटे हैं। पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी करने के मन नही हुया तो उन्होंने भी अपने पिता के साथ खेती से जुड़कर काम करने का फैसला किया। दोनों बेटे शरीफा की मार्केटिंग करने का काम देखते हैं। उन्होंने पिता के लिए एक नर्सरी भी तैयार की है। फिलहाल मनसुख और उनके दोनों बेटे करीब 10 बीघा जमीन में बागवानी कर रहे हैं। इसमें उन्होंने शरीफा की देशी और हाइब्रिड दोनों तरह के पौध तैयार की है जिसमें करीब 900 हाइब्रिड किस्म है और कुछ देशी भी।
उनकी फसल से प्रतिदिन करीब 35 से 40 किलो शरीफा निकलता है। जो बाजार में 40 से लेकर 120 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकता है।
मनसुख कहते हैं, ‘हाइब्रिड फसल से उगाने वाले फल का एक लाभ यह भी है कि यह 10 -15 दिनों तक जल्द ही खराब भी नहीं होते हैं, जो किसान और बिक्रेता दोनों के लिए लाभदायक है।’
Edited by Ranjana Tripathi