देशभर की बेटियों को निर्भया स्क्वॉड से बना रही हैं मर्दानी, जानिए आईपीएस अधिकारी सुनीता मीणा की कहानी
आईपीएस अधिकारी सुनीता मीणा इन दिनों राजस्थान में तैनात हैं। हाल ही में उन्हे राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सम्मानित किया गया है। उन्होंने महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के मद्देनजर राज्य में निर्भया स्क्वॉड का मॉडल तैयार किया और जिसमें स्वयं नोडल ऑफिसर की भूमिका अदा कर रही हैं।
कहते हैं, ‘होनहार बिरवान के होत चिकने पात’ यानी प्रतिभाशाली बच्चों के गुण बचपन में ही दिखाई देने लगते हैं। कुछ ऐसे ही गुण थे इन दिनों राजस्थान जिले में महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने और उन्हें साहसी बनाने वाली आईपीएस अधिकारी सुनीता मीणा के। वह बचपन से ही होनहार, चंचल मिजाज और मिलनसार व्यक्तित्व की रही हैं।
उनका जन्म मूलरूप से राजस्थान राज्य के एक छोटे से शहर करौली में हुआ था। उनका बचपन भी यही पर व्यतीत हुआ। सुनीता मीणा की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। आपको जानकार हैरानी होगी कि वह खेल में बचपन से ही इतनी पारंगत थीं की फिर चाहे गली-मोहल्ले के खेल हो या स्कूल और कॉलेज के। वह न केवल पार्टिसिपेट करती थीं, बल्कि जीतकर कर ही घर वापसी करती थीं।
टाट-पट्टी पर बैठकर की है पढ़ाई
आपको बता दें कि सुनीता मीणा का बचपन से ही गरीबी और मेहनत से साथ चोली-दामन का साथ रहा है। वह एक ऐसे माहौल से निकलकर आज इस मुकाम तक पहुंची हैं जिन्होंने कभी सरकारी स्कूल की टाट-पट्टी पर बैठकर अपनी पढ़ाई-लिखाई पूरी की है। शायद उसी मेहनत का नतीजा है जिसके उन्होंने जमीन से उठकर आईपीएस की कुर्सी हासिल की कर दिखाई है।
इन दिनों किस कारण हैं सुर्खियों में
आईपीएस अधिकारी सुनीता मीणा इन दिनों राजस्थान में तैनात हैं। हाल ही में उन्हे राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सम्मानित किया गया है। उन्होंने महिलाओं की बेहतर सुरक्षा के मद्देनजर राज्य में निर्भया स्क्वॉड का मॉडल तैयार किया और जिसमें स्वयं नोडल ऑफिसर की भूमिका अदा कर रही हैं। उनका यह मॉडल अब यूपी और हरियाणा राज्य में भी फॉलो किया जाएगा।
कैसा है इनका बैकग्राउंड
उनका जन्म करौली में हुआ था। पाँच-भाई बहन में वह दूसरे नंबर की बेटी हैं। पिता पेशसे से मेडिकल सर्विस में कार्यरत हैं और मां गृहणी हैं। एक मीडिया चैनल से बात करते हुए
वह कहती हैं, “मेरी पूरी पढ़ाई सरकारी स्कूलों से ही पूरी हुई है। जहां बैठने के लिए बैंच नहीं हुआ करती थीं। इसलिए सभी को बैठने के लिए टाट-पट्टी दिया जाता था। सच कहूं तो पढ़ने के साथ-साथ मेरी स्कूल में होने वाली अन्य एक्टिविटीज में भी काफी रुचि रहा करती थी। जिसमें मुझे डांस, सिंगिंग, स्पीच, खेल-कूद जैसी हर एक प्रतियोगिता में भाग बहुत अधिक पसंद होता था। जो नहीं आता था उसकी जी-जान से कड़ी मेहनत के साथ तैयारी भी करती थी। उसी मेहनत और जुझारूपन का परिणाम था कि हर प्रतियोगिता के परिणाम में फर्स्ट, सेकंड और थर्ड किसी न किसी पायदान में मेरा नाम जरूर आता था।”
स्कूल हो या कॉलेज टीचर्स की रहीं हमेशा फेवरेट
सुनीता की प्रारम्भिक शिक्षा पास के ही सरकारी स्कूलों में हुई। इसके बाद 6वीं में उन्हक नाम जिम्नास्टिक की ट्रेनिंग करने वाले स्टूडेंट्स में लिख दिया गया। उन्होंने इस खेल की कड़ी ट्रेनिंग ली और राष्ट्रीय स्टार तक के ढेरों मेडल अपना नाम किए।
वह खेल के साथ अपनी पढ़ाई में भी उतना ही ध्यान देती थीं। जिसके चलते उन्होंने विज्ञान के कई मॉडल बनाए और उनके द्वारा तैयार किए गए मॉडल नेशनल लेवल की कॉम्प्टीशन में भी शामिल हुए।
उनके घर के लॉग प्यार से उन्हें ‘सोनू द ग्रेट’ नाम से बुलाया जाता था। वह घर की जितनी लाड़ली थीं, उतनी ही अपने स्कूल और कॉलेज के टीचर्स के लिस्ट में भी फेवरेट रही हैं।
Edited by Ranjana Tripathi