Brands
YSTV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory
search

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

ADVERTISEMENT
Advertise with us

घर छोड़ा, झूठे बर्तन धोए... खुद का रेस्टॉरेंट खोला, पहली कमाई 408 रुपये... आज सालाना 300 करोड़ की कमाई

मशहूर रेस्टोरेंट चेन 'सागर रत्न' के फाउंडर और चेयरमैन जयराम बानन की कहानी 70 के जमाने कि किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है.

घर छोड़ा, झूठे बर्तन धोए... खुद का रेस्टॉरेंट खोला, पहली कमाई 408 रुपये... आज सालाना 300 करोड़ की कमाई

Friday March 10, 2023 , 4 min Read

एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का फूड सर्विस मार्केट साल 2028 तक 79.65 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो 2022 में 41.1 अरब अमेरिकी डॉलर था. यह 11.19 प्रतिशत CAGR (compound annual growth rate) से बढ़ रहा है.

अब भारत में रेस्टोरेंट चेन की बात करें तो एक बड़ा नाम आता है सागर रत्न (Sagar Ratna). यह अपने साउथ इंडियन फूड के लिए मशहूर है. दुनिया भर में इस रेस्टोरेंट चेन के कई आउटलेट हैं, 100 से भी अधिक. सालाना कमाई लगभग 300 करोड़ से अधिक है. इसके मालिक हैं जयराम बानन. लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब वे झूठे बर्तन धोया करते थे. इसके लिए उन्हें बतौर मेहनताना 18 रुपये मिलते थे. (Success Story of Sagar Ratna founder Jayaram Banan)

लेकिन वो कहते हैं ना जहां चाह...वहां राह.

जयराम ने यहीं से धीरे-धीरे रेस्टोरेंट बिजनेस की बारिकियां सीखीं. और फिर अपना खुद का रेस्टोरेंट खोला. जयराम ने जब इसे शुरू किया तब उनकी पहली कमाई थी महज 408 रुपये. जयराम की कहानी 70 के जमाने कि किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है.

inspiring-success-story-of-sagar-ratna-owner-jayaram-banan-south-indian-food-chain-restaurent-business

'सागर रत्न' के फाउंडर और चेयरमैन जयराम बानन 'डोसा किंग' नाम से मशहूर हैं

परीक्षा में फैल हुए; घर छोड़ा

जयराम बानन का जन्म मंगलौर (कर्नाटक) के पास स्थित उड्डपी में हुआ. उनके पिता ड्राइवर थे और स्वभाव से काफी गुस्सैल थे. जयराम बचपन से ही अपने पिता से बेहद डरते थे. क्योंकि जब जयराम स्कूल परीक्षा में फेल हो जाते थे तो पिता उन्हें डांटते-पीटते थे. यहां तक की कई बार तो आंखों में मिर्च पाउडर भी डाल देते थे.

फिर 13 साल की उम्र में जब वे परीक्षा में फैल हुए तो उन्होंने घर छोड़ने का फैसला किया. उन्होंने पिता के बटुए से पैसे चुराए और मुंबई भाग गए. यह बात है साल 1967 की.

मुंबई में उन्हें किसी जानकार के यहां रेस्टोरेंट में बर्तन धोने का काम मिला. उन्हें बतौर मेहनताना सिर्फ 18 रुपये दिए जाते थे.

उन्होंने 6 साल तक कड़ी मेहनत और लगन से काम किया और वेटर और उसके बाद मैनेजर बन गए. फिर एक वक्त ऐसा आया कि उन्होंने अपना खुद का रेस्टोरेंट बिजनेस शुरू करने की ठानी. इसके लिए उन्होंने देश की राजधानी दिल्ली को चुना.

सागर रत्न की शुरुआत

1974 में वे दिल्ली आए. उन्हें दिल्ली से सटे गाजियाबाद में सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL) में कैंटीन चलाने का टेंडर मिला. उन्होंने तब इसमें 2000 रुपये लगाए थे.

साल 1986 में जयराम बानन ने डिफेंस कॉलोनी में अपना पहला रेस्टोरेंट खोला. उन्होंने इसका नाम 'सागर' रखा. यहां पर बानन को सप्ताह में 3,250 रुपये रेंट देना होता था. इस आउटलेट में 40 लोगों के बैठने की जगह थी. अपने पहले दिन उन्होंने 408 रुपये कमाए. जयराम ने ग्राहकों की संतुष्टि और मेनू पर महत्वपूर्ण ध्यान दिया. देखते ही देखते ग्राहकों का हुजूम उमड़ पड़ा और इस तरह उनका रेस्टोरेंट बिजनेस रफ्तार पकड़ने लगा.

फिर चार साल बाद उन्होंने हाई क्लास लोधी होटल खोला. उन्होंने उसी मेनू को यहां रिपीट किया, लेकिन कीमत 20 फीसदी बढ़ाकर. तब जयराम ने गर्व से कहा कि वह दिल्ली में सबसे अच्छा सांभर सर्व करते हैं. और इस नए स्टोर को खोलने के बाद ही उन्होंने नाम में 'रत्न' जोड़ा. इस तरह 'सागर रत्न' ब्रांड बन गया.

आज जयराम बानन 'डोसा किंग' (Dosa King) के नाम से भी मशहूर हैं. सागर रत्ना की कई फ्रेंचाइजी हैं. इतना ही नहीं कनाडा, सिंगापुर, बैंकॉक जैसे देशों में भी उनके आउटलेट्स हैं.

वे 'स्वागत' (Swagath) नाम की एक और रेस्टोरेंट चेन के भी मालिक हैं. इसकी शुरुआत उन्होंने साल 2001 में की थी और तब से मुड़कर पीछे नहीं देखा.

जयराम बानन की यह कहानी इस बात का एक आदर्श उदाहरण है कि कैसे साहस, समर्पण और कड़ी मेहनत किसी को भी सफल बना सकती है. जयराम निश्चित रूप से हमें आत्म-विश्वास के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं; हम जो कुछ भी करने की ख्वाहिश रखते हैं.