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International Yoga Day: जानिये योग का इतिहास, किन गुरुओं ने किया इसे दुनिया भर में लोकप्रिय

योगा के मॉडर्न अवतार से हम सब परिचित हैं. जानिये उसके यहाँ तक पहुँचने का सफ़र.

International Yoga Day: जानिये योग का इतिहास, किन गुरुओं ने किया इसे दुनिया भर में लोकप्रिय

Tuesday June 21, 2022 , 4 min Read

जिसे आजकल हम ‘योगा’ कहते हैं उस योग के पहले संकेत सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों में मिले थे कुछ योग मुद्राओं वाले जीवाश्म मिले जिनसे योग के सिंधु घाटी सभ्यता जितना पुराना होने का संकेत मिला. योग का इतिहास लगभग 5000 साल पुराना तो है ही; हालांकि कुछ विद्वानों के मुताबिक़ 10000 साल पुराना भी हो सकता है. 


योग के इस लम्बे और समृद्ध इतिहास को सूत्रबद्ध करने का श्रेय महर्षि पतंजलि को जाता है जिन्होंने अपने ग्रंथ ‘योग-सूत्र’ में योग के ज्ञान और व्यवहार यानि आसन आदि दोनों  को एक साथ लिखकर एक सम्पूर्ण दर्शन विकसित किया. 


योग के इतिहास को आमतौर पर चार भागों में बांटकर देखा जाता है. 


प्री-क्लासिकल योग

ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार योग पूर्व-वैदिक काल (2700 ई.पू.) में योग प्रचलन में था. योग शब्द का पहला विवरण ऋगवेद में मिलता है. इसके अलावा इसका उल्लेख उपनिषदों, स्मृतियों, बौद्ध मत, जैन मत, श्रीमद भगवदगीता, पाणिनि के व्याकरण सम्बन्धी चिंतन, पुराणों में भी मिलता है.

क्लासिकल योग

इस युग में मह्रिषी पतंजलि ने ‘योग-सूत्र’ रचा था. इसीलिए पतंजलि योग को क्लासिकल योग भी कहा जाता है. पतंजलि के योग को “अष्टांग-योग” (Eight Limb Path) कहा जाता है. “अष्ट” का मतलब आठ और “अंग” का मतलब शरीर का अंग. “अष्टांग योग” के आठ अंग हैं: 

1. यम 2. नियम 3. आसन 4. प्रणायाम 5. प्रत्याहार 6. धारण 7. ध्यान 8. समाधि


पतंजलि के योग में माईंड को कण्ट्रोल करने पर बहुत जोर है. इसीलिए सत्य की खोज में योग का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है. क्या है सत्य की खोज? सत्य तो हमेशा मौजूद होता है. हमें नहीं दिखता क्योंकि हमारा मन या चित्त स्थिर नहीं होता. मन पर काबू पा लेना ही योग है जिसे पतंजलि ने “चित्तवृत्ति निरोध” कहा है. मन या चित्त की हलचलें अनेक हैं, जिसको वृत्ति कहते हैं. चित्त की वृत्तियों का निरोध योग है. इसके साधन, अभ्यास ही “अष्टांग-योग” है.


मतलब, मन की चंचलता पर काबू पाना ही अपनी चरम संभावना को पा लेना है. इसी से शांति मिलती है जिसे हम सारी उम्र ढूंढते रहते हैं. अगर आप एक सटीक आतंरिक स्थिति पैदा कर सकते हैं तो आप आनंद की स्थिति में होते हैं. यही सत्य है. मुक्ति है. यह इंसान को उसकी खोज, अन्दर, बाहर, हर चीज़ से मुक्त कर देता है, यही योग चित्त की वृत्तियों को ठहराने का उपाय है. इस मानसिक स्थिति को हासिल करने के लिए शारीरिक और मानसिक क्रियाएं करनी पड़ती हैं, सिर्फ शारीरिक नहीं. 

पोस्ट-क्लासिकल योग

800 ई.प. से 1700 ई.प. का समय पोस्ट-क्लासिकल माना जाता है जब आदि शंकारचार्य, रामानुजाचार्य, माधवाचार्य जैसे दार्शनिक हुए. मीराबाई, तुलसीदास, सूरदास ऐसे भक्ति परंपरा के महान संत भी इसी काल में हुए. हठयोग इसी काल में फला-फूला और मत्स्येन्द्रनाथ, स्वात्माराम सूरी और श्रीनिवास भट्ट जैसे योगिक गुरुओं ने हठयोग को प्रसिद्धि दिलाई.

मॉडर्न योग

पिछले तीन सौ साल में रमण मह्रिषी, रामकृष्ण परमहंस, विवेकानंद ऐसे लोग हुए जिन्होंने योग के अलग-अलग रूप को जैसे, भक्ति-योग, नाथयोग, हठयोग को काफी पॉप्युलर बनाया. योग को विदेश तक पहुंचाने का श्रेय स्वामी विवेकानंद की 1893 शिकागो वर्ल्ड रेलिजन पार्लियामेंट (World’s Religion Parliament) वाली फ़ेमस स्पीच को जाता है जिसमे उन्होंने राज-योग को “योगा ऑफ़ माईंड” के रूप में दुनिया के सामने पेश किया था. गौरतलब है कि विवेकानंद ने आसनों पर ज्यादा तवज्जो ना देते हुए 'योग-सूत्र' के अंतिम तीन चरणों, ‘धारण’ ‘ध्यान’ ‘समाधि’ पर अपना केन्द्रित रखा था. 


लगभग 20-30 साल बाद हठ योग को प्रैक्टिस करने वाले दो महान गुरु हुए तिरुमलाइ कृष्णमचार्य और स्वामी सिवानंद. 1924 में मैसूर में टी. कृष्णमचार्य ने मैसूर में भारत का पहला हठयोग स्कूल खोला और 1936 में स्वामी शिवानन्द ने गंगा के किनारे दूसरा. सिवानन्द पेशे से डॉक्टर थे और उन्होंने त्रिमूर्ति योग को अपनाया जो हठ योग, कर्म योग और मास्टर योग का सम्मिश्रण होता है. 100 साल से ज्यादा जीने वाले टी. कृष्णमचार्य खुद कभी भारत से बाहर नहीं गए लेकिन भारत के बाहर हठ योग को पहुंचाने और पॉप्युलर करने का काम इन्हीं के तीन विद्यार्थिओं ने किया था. वो थे— बी. के. एस. अयेंगर, इंद्रा देवी और पट्टाभि जौइस. टी. कृष्णमचार्य की योग-पद्धति में, शीर्ष आसन (headstand) और सर्वंगासन (shoulderstand) ने प्रमुखता पायी और सांस लेने के प्रकिया को मास्टर करना और मेडिटेशन को योग का एक मुख्य अंग मानना इन्हीं के योग स्कूल से आता है.  1947 में जब देश आज़ाद हुआ उसी साल इंद्रा देवी ने हठ योग का पहला स्टूडियो हॉलीवुड में खोला.


अमेरिका से होते हुए यूरोप और अब पुरी दुनिया में योग अब जीवन शैली का एक अंग और अरबों खरबों का मार्किट बन चूका है.  


(फीचर इमेज क्रेडिट: Cushman, Anne. "Yoga Through Time". Yoga Journal)