तो क्या वाकई गौतम अडानी के लिए हिंडनबर्ग संकट खत्म हो गया, या फिर आने वाली है कोई बुरी खबर?
गौतम अडानी ग्रुप के शेयरों में एक बार फिर से तेजी देखने को मिल रही है. ऐसे में एक बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्या गौतम अडानी का हिंडनबर्ग वाला संकट खत्म हो गया? आइए इसे समझते हैं.
गौतम अडानी (Gautam Adani) के लिए पिछले करीब डेढ़ महीने बहुत ही बुरे साबित हुए हैं. 24 जनवरी को जब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट (Hindenburg Report) आई, उसके बाद से गौतम अडानी की कंपनियों के शेयर औंधे मुंह गिरने लगे. जो गौतम अडानी फोर्ब्स (Forbes) की लिस्ट में 23 जनवरी तक दुनिया के तीसरे सबसे अमीर शख्स थे, वह गिरते-गिरते 38वें नंबर तक पहुंच गए. उनकी दौलत 130 अरब डॉलर से गिरते-गिरते 33 अरब डॉलर तक जा पहुंची. हर रोज तमाम शेयरों में लोअर सर्किट लगने लगे. हालांकि, अब तस्वीर बदलती सी दिख रही है. गौतम अडानी अमीरों की लिस्ट में अभी करीब 45 अरब डॉलर की दौलत के साथ 26वें नंबर पर जा पहुंचे हैं. ऐसे में अब कहा जाने लगा है कि हिंडनबर्ग का संकट अब खत्म हो गया है, लेकिन क्या वाकई ऐसा है?
हालिया रिपोर्ट हिंडनबर्ग संकट से जुड़ी है
हाल ही में द मॉर्निंग कॉन्टेक्स्ट ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है गौतम अडानी सीमेंट सेक्टर की अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी के मालिक नहीं हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इसके असली मालिक उनके बड़े भाई विनोद अडानी और रंजनाबेन अडानी हैं. रिपोर्ट के अनुसार होल्सिम ग्रुप से सीमेंट बिजनेस खरीदने के लिए गौतम अडानी ने एंडेवर ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट लिमिटेड ना का स्पेशल पर्पज व्हीकल बनाया था, जो मॉरीशस में है और इसका मालिकाना हक विनोद अडानी के पास है. ऐसे में आरोप है कि ना तो अंडानी एंटरप्राइजेज ना ही अडानी ग्रुप की किसी और सूचीबद्ध कंपनी या उनकी सहायक कंपनियों ने अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी का अधिग्रहण किया है.
विनोद अडानी पर फोकस्ड थी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट बेशक गौतम अडानी के खिलाफ थी, लेकिन उसका सीधा निशाना थे उनके बड़े भाई विनोद अडानी. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में विनोद अडानी का नाम 129 बार लिया गया है, जबकि गौतम अडानी का नाम भी सिर्फ 53 बार लिया गया है. हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में मैनिपुलेशन का जो आरोप लगाया है, उसके पीछे विनोद अडानी की भूमिका होने की बात कही थी. यह भी कहा था कि यह सब मॉरीशस की शेल यानी खोखली कंपनियों के दम पर विनोद अडानी की मदद से किया गया. तो ये कहना अभी सही नहीं होगा कि गौतम अडानी पर अब हिंडनबर्ग का संकट अब खत्म हो चुका है.
क्यों लग रहा है कि अब गौतम अडानी का संकट खत्म हो गया?
गौतम अडानी पर से हिंडनबर्ग का संकट खत्म होने के कयास इस वजह से लगाए जा रहे हैं, क्योंकि उनकी कंपनियों के शेयर तेजी से भागने लगे हैं. पहले जिन कंपनियों के शेयरों में आए दिन लोअर सर्किट लग रहा था, अब उनमें से कई में अपर सर्किट लगने लगे हैं. ये दिखाता है कि शेयर बाजार में गौतम अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों की मांग काफी बढ़ गई है.
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में कहा है कि 24 जनवरी से 1 मार्च तक अडानी ग्रुप की 9 कंपनियों की मार्केट कैप 60 फीसदी तक गिर गई है. उन्होंने यह भी कहा कि सेबी अडानी ग्रुप की जांच कर रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि गौतम अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में उतार-चढ़ाव का अर्थव्यवस्था पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ रहा है. शेयरों में गिरावट का कोई बड़ा असर नहीं होने की बात से भी लोगों को लग रहा है कि अब शायद हिंडनबर्ग संकट खत्म हो गया है.
इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में एक लिखित बयान में कहा था कि अडानी ग्रुप की कंपनियों में एलआईसी का डेट एक्सपोजर (Debt Exposure) 31 दिसंबर 2022 तक 6,347 करोड़ रुपये था. यह डेट एक्सपोजर 5 मार्च तक घटकर 6,183 करोड़ रुपये रह गया है. उन्होंने कहा कि अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (APSEZ) के पास सबसे ज्यादा 5,388.60 करोड़ रुपये का एक्सपोजर है. पिछले तीन महीने के दौरान अडानी ग्रुप की कंपनियों को दिए गए एलआईसी के कर्ज में गिरावट आई है. सरकार की तरफ से दिए गए इस बयान का भी सकारात्मक असर हो रहा है.
अब थोड़ा डिटेल में समझिए आंकड़ों को
अगर एलआईसी का पिछले 3 महीने में कर्ज कम होने का आंकड़ा देखें तो वह सिर्फ 164 करोड़ रुपये घटा है, जबकि कंपनी का डेट एक्सपोजर अभी भी 6,183 करोड़ रुपये है. अडानी ग्रुप पहले से ही कर्ज में डूबा है, कंपनी की वैल्युएशन में भारी गिरावट आ चुकी है. ऐसे में कर्जों से निपट पाना कंपनी के लिए मुश्किल ही होता जा रहा है. पंकज चौधरी ने कहा है कि गौतम अडानी ग्रुप के शेयरों में उतार-चढ़ाव का कोई बड़ा असर नहीं हो रहा, लेकिन निवेशकों को तो भारी नुकसान झेलना पड़ ही रहा है.
सेबी की जांच फिर बढ़ा सकती है संकट
अभी भले ही कुछ लोगों को लग रहा हो कि हिंडनबर्ग का संकट गौतम अडानी के लिए खत्म हो गया, लेकिन सेबी की रिपोर्ट इस मामले में निर्णायक साबित होगी. सेबी जांच कर रही है कि क्या वाकई गौतम अडानी ने शेयरों में मैनिपुलेशन किया या नहीं. इससे ये पता चलेगा कि क्या वाकई मॉरीशस में शेल कंपनियों के लिए शेयरों के दाम चढ़ाए गए. ये भी पता चलेगा कि इस पूरे मामले में विनोद अडानी की क्या भूमिका है. सुप्रीम कोर्ट तक ये मामला पहुंच चुका है. ऐसे में अगर रिपोर्ट सही रही तब तो ये कहना सही है कि संकट खत्म हुआ, लेकिन अगर रिपोर्ट में ये सामने आता है कि अडानी ग्रुप में कुछ गड़बड़ी हुई है तो एक बार फिर से गिरावट का सिलसिला चलना तय समझिए.