कौन हैं विनोद अडानी, जिनका हिंडनबर्ग ने किया 129 बार जिक्र, गौतम अडानी का नाम सिर्फ 53 बार लिया
विनोद अडानी के बारे में अगर आप इंटरनेट पर सर्च करेंगे उनकी एक-दो तस्वीरें ही आपको मिलेंगी. उनके बारे में जानकारी के नाम पर आपको विकीपीडिया पर चंद लाइनें मिलेंगी, जो देखकर ही समझ आता है कि आधी अधूरी जानकारी है.
हिंडनबर्ग की जिस रिपोर्ट (Hindenburg Report) ने अडानी ग्रुप (Adani Group) के शेयरों को धराशाई कर दिया, उसमें गौतम अडानी (Gautam Adani) के अलावा एक और शख्स का बार-बार जिक्र हुआ है. ये शख्स हैं गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि विनोद अडानी (Vinod Adani) की विदेशों में कई शेल कंपनियां हैं, जिनके जरिए वह गौतम अडानी ग्रुप के शेयरों की कीमतें मैनिपुलेट (Share Manipulation) करते हैं. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में विनोद अडानी का नाम 129 बार लिया गया है, जबकि गौतम अडानी का नाम भी सिर्फ 53 बार लिया गया है. विनोद अडानी के बारे में लोगों को बहुत ही कम पता है. आइए जानते हैं कौन हैं विनोद अडानी और क्या करते हैं.
विकीपीडिया बहुत कम जानता है विनोद अडानी के बारे में!
आज के वक्त में अगर किसी को कुछ जानना होता है तो वह सबसे पहले विकीपीडिया पर जाता है. अगर बात विनोद अडानी की करें तो विकीपीडिया पर उनके बारे में बहुत ही सीमित जानकारी उपलब्ध है. विनोद शांतिलाल अडानी दुबई में रहने वाले भारतीय अरबपति बिजनेसमैन हैं. 2022 की हुरून इंडिया रिच लिस्ट के अनुसार वह सबसे अमीर एनआरआई हैं. वहीं छठे सबसे अमीर भारतीय हैं. उनके पास करीब 20.42 अरब डॉलर यानी करीब 1.70 लाख करोड़ रुपये की दौलत है. वह गौतम अडानी के बड़े भाई हैं. विनोद अडानी 1994 से दुबई में रह रहे हैं. वह दुबई, जकार्ता और सिंगापुर के ट्रेडिंग बिजनेस को संभालते हैं. साल 2021 में उनका नाम पनामा पेपर्स में आया था. 2023 में उनका नाम हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में आया है, जिसमें उन पर कुछ बिजनेस डील में भूमिका निभाने का आरोप है. हैरानी की बात ये है कि विकीपीडिया पर उनके जन्म और परिवार से जुड़ी कोई बात नहीं लिखी है.
तो सवाल ये है कि असल में कौन हैं विनोद अडानी?
विनोद अडानी की उम्र करीब 74 साल के करीब है. बताया जाता है कि वह दुबई में रहकर बिजनेस कर रहे हैं, जबकि फोर्ब्स की एक खबर के अनुसार उनका परमानेंट ठिकाना सिंगापुर में है. The Morning Context की एक खबर के अनुसार विनोद अडानी ने 1976 के करीब मुंबई के पास एक टेक्सटाइल मिल स्थापित की थी. 1989 में वह सिंगापुर चले गए और वहां से फिर 1994 में दुबई जाकर रहने लगे. वहां पर वह चीनी, तेल और कॉपर जैसी चीजों की ट्रेडिंग करते हैं. विनोद अडानी ने अमेरिका से इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की हुई है.
पनामा पेपर्स लीक में आया था नाम
2016 में इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स ने पनामा पेपर्स लीक रिपोर्ट जारी की थी, उसमें भी विनोद अडानी का नाम आया था. पनामा पेपर्स ने करीब 2 लाख विदेशी कंपनियों के बारे में कई तरह के खुलासे किए थे. विनोद अडानी ने जनवरी 1994 में बहामास में एक कंपनी बनाई थी, जिसे लेकर उनका नाम पनामा पेपर्स में आया था. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक उस कंपनी को बनाने के करीब दो महीने बाद उन्होंने कंपनी के दस्तावेजों में अपना नाम विनोद शांतिलाल अडानी से बदल कर विनोद शांतिलाल शाह कर लिया था.
हिंडनबर्ग का क्या है विनोद अडानी पर आरोप?
अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने विनोद अडानी पर आरोप लगाया है कि उनके पास ऑफशोर शेल कंपनियों का एक बहुत ही बड़ा नेटवर्क है. आरोप है कि विनोद अडानी इस नेटवर्क के जरिए स्टॉक पार्किंग, स्टॉक मैनिपुलेशन और मनी लॉन्ड्रिंग करते हैं. हिंडनबर्ग ने यह भी आरोप लगाया है कि इनमें से बहुत सारी कंपनियों का असल में कोई बिजनेस है ही नहीं. इसके बावजूद उन कंपनियों ने अडानी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों में अरबों रुपये लगाए हैं. ब्लूमबर्ग ने एक रिपोर्ट में कहा है कि गौतम अडानी नहीं बल्कि विनोद अडानी और उनकी पत्नी रंजनबेन को उन 7 एंटिटीज से फायदा हुआ, जो 2022 में अधिग्रहण की गई अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी के ओपन ऑफर से जुड़ी हुई थीं. ये 7 कंपनियां British Virgin Islands, Mauritius और Dubai में हैं.