लोन से लेकर इंश्योरेंस तक, बिना एक भी रुपया लिए किसानों की मदद कर रही है ये एग्रीटेक कंपनी
किसानों की मदद के लिए इस कंपनी ने अहम कदम उठाया है. यह कंपनी लोगों को लोन दिलाती है और इंश्योरेंस मुहैया कराती है. जानिए कैसे किसानों को हो रहा है फायदा.
किसानों की सबसे बड़ी दिक्कत आज के वक्त में ये है कि वह अपनी फसल को कैसे बेचें और नुकसान से कैसे बचें. उन्हें सबसे ज्यादा दिक्कत पैसों की ही होती है और जब लोन की बात आती है तो उन्हें लोन भी नहीं मिल पाता है. जानकारी के अभाव के चलते किसान अक्सर ही कई तरह की परेशानियां झेलते हैं. किसानों की इसी परेशानी को समझा है
ने और उनके लिए खास समाधान लाया है. यह कंपनी हर तरह से किसानों की मदद करती है.लीड्स कनेक्ट की शुरुआत नवंबर 2009 में हुई थी और अभी कंपनी का टर्नओवर करीब 80 करोड़ रुपये सालाना का है. इस कंपनी के फाउंडर हैं नवनीत रविकर, जिन्होंने अपनी पत्नी रिचा खंडेलवाल (को-फाउंडर) के साथ मिलकर इसकी शुरुआत की थी. 2013 तक ये कंपनी सिर्फ कॉरपोरेट के लिए रिस्क मैनेजमेंट का काम करती रही, लेकिन उसके बाद एग्रीकल्चर के फील्ड में उतरी और फसल बीमा की शुरुआत की. 2017 में कंपनी रिसर्च में आई, क्रॉप रिसर्च, सैटेलाइज इमेजरी पर काम किया, ड्रोन एनालिटिक्स पर काम किया और लीड रिसर्च लैब की शुरुआत की. इसी के बाद कंपनी ने लोन के सेगमेंट में भी कदम रखा. अभी कंपनी अग्रणी ऐप की मदद से लोगों की मदद कर रही है.
कैसे आया अग्रणी ऐप का आइडिया?
नवनीत रविकर बताते हैं कि 2017 में उनकी कंपनी ने एसबीआई का एक कैंपेन चलाया था, जिसका नाम था 'कौन बनेगा गांव का हीरो'. इसके तहत लोगों को जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटक और रोड शो का भी सहारा लिया जा रहा था. उस वक्त जब लोगों से इंश्योरेंस की बात की तो पता चला कि उन्हें तो फाइनेंस ही नहीं मिल पा रहा तो वह इंश्योरेंस क्या लेंगे. किसानों ने पूछा कि क्या आप लोन देते हैं तो समझ आया कि किसानों को लोन की एक बड़ी दिक्कत है. इसके बाद किसानों की लोन से जुड़ी दिक्कत को सुलझाने के लिए अग्रणी ऐप की शुरुआत की गई. उस वक्त तक एफपीओ भी नहीं थे, इसलिए किसानों को और भी ज्यादा दिक्कत होती थी. लोन उन्हीं लोगों को मिलता था, जिनके बड़े कनेक्शन थे या जो बड़े किसान थे. एफपीओ आने के बाद भी लोन तभी मिलता था, जब अच्छे कॉन्टैक्ट्स होते थे.
किसानों को हर लेवल पर हैंड होल्डिंग यानी मदद की जरूरत थी. लोन के लिए आवेदन से लेकर इश्योरेंस और तमाम योजनाओं की जानकारी तक. यहां तक कि उन्हें सब्सिडी से भी जुड़ी तमाम तरह की दिक्कतें होती थीं. बैंकों के पास इतना वक्त नहीं था कि वह किसानों की मदद कर सकें. ऐसे में किसानों की तरफ से फाइल को सही से पूरा कर के बैंक को देना एक चैलेंज था. इस पेनप्वाइंट को लीड्स कनेक्ट ने समझा है और अपने अग्रणी ऐप के जरिए किसानों को मदद मुहैया करवा रहा है. अग्रणी ऐप के जरिए किसानों को लोन और इंश्योरेंस मिल सकता है. साथ ही इस पर वह अपने दस्तावेज भी रख सकते हैं. इतना ही नहीं किसानों को एडवाइजरी सुविधा भी मिलती है. लीड्स कनेक्ट किसानों के लिए 'खेत से किचन तक' अभियान चला रहा है.
यह कंपनी सरकार के साथ मिलकर काम करती है. इसके तहत वह एग्रिकल्चर फाइनेंस और एग्रीटेक को मिलाकर एक एग्री फिनटेक मॉडल पर काम कर रही है. किसानों को समझाया जा रहा है कि कैसे वह अपनी खेती के जरिए एक बिजनसमैन बन सकते हैं. किसानों को लोन और इंश्योरेंस देने के साथ-साथ उनकी समझ भी बढ़ाने की दिशा में काम हो रहा है. साथ ही उन्हें उर्वरक मुहैया कराने से लेकर प्रोडक्ट्स को मार्केट में पहुंचाने तक की दिशा में अहम काम किया जा रहा है. ई-मंडी तक की पहुंच भी दिलाई जाती है, ताकि किसानों का फायदा हो सके. अग्रणी ऐप की मदद से एक ऐसा सिस्टम बनाया गया है, जिससे लोन के लिए आवेदन करने के बाद से फाइल कहां पहुंची, क्या स्टेटस है सारी जानकारी किसान को मिलती है. किसानों को एफपीओ और मार्केट से जोड़ने का काम भी ये कंपनी कर रही है.
क्या है बिजनेस मॉडल?
लीड्स कनेक्ट किसानों को लोन, इंश्योरेंस और एडवाइजरी की सुविधा देती है. इसके लिए किसानों से कोई भी पैसा नहीं लिया जाता है, बल्कि बैंक की तरफ से कंपनी को कमीशन मिलता है. लीड्स कनेक्ट ने भारतीय स्टेट बैंक के साथ करार किया हुआ है, जिसके तहत वह किसानों को लोन देती है और इंश्योरेंस मुहैया कराती है. किसान को सिर्फ कंपनी का अग्रणी ऐप डाउनलोड करना होता है और उस पर रजिस्टर करना होना होता है. इसके बाद उसके लोन से लेकर इंश्योरेंस तक की सारी जानकारियां ऐप पर ही दिखती रहती हैं. ऐप के जरिए कंपनी किसानों के खेत की जानकारी, जियोटैगिंग, एग्रिकल्चर क्रेडिट स्कोर आदि देख सकती है. बैंक भी ये सारी जानकारियां देख सकता है. नवनीत कहते हैं कि अभी तक किसानों से कोई पैसा नहीं लिया जाता है और उम्मीद है कि कभी भविष्य में उनसे पैसे लेने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी.
कुछ चुनौतियां भी हैं इस राह में
लीड्स कनेक्ट के सामने सबसे बड़ी चुनौती तो ये है कि लोन लेने वाले किसानों की भीड़ लगी है, लेकिन वह लोन लेने की जरूरी शर्तों पर खरे नहीं उतर पाते. अधिकतर किसान छोटे हैं जो महज 20-30 हजार का लोन चाहते हैं, जबकि लीड्स कनेक्ट इतना छोटा लोन नहीं देती. ऐसे में उसे आढ़तियों से 3 फीसदी प्रति माह यानी करीब 36 फीसदी सालाना की दर पर लोन लेना पड़ता है.
एक दूसरी बड़ी दिक्कत सिबिल स्कोर से जुड़ी है. सरकारों ने पिछले कुछ सालों में जो लोन माफ किया था, उसके तहत कई बड़े किसानों ने भी अपने कर्ज माफ करवा लिए. ऐसे किसानों ने भी लोन नहीं चुकाया, जिनकी हालत बेहतर थी. नतीजा ये हुआ कि अब उनका एग्रिकल्चर सिबिल स्कोर खराब हो चुका है, जिसकी वजह से अब उन्हें लोन नहीं मिल पा रहा.
क्या है कंपनी का फ्यूचर प्लान?
आने वाले दिनों में लीड्स कनेक्ट की कोशिश है कि एफपीओ की विजिबिलिटी मिल जाए. इसके बाद एफपीओ की जियोटैगिंग की जाएगी और उसे एक पिन कोड से अटैच किया जाएगा. इसके बाद उस पिन कोड से जो छोटा किसान मिलेगा, उसे किसी ना किसी तरह एफपीओ से जोड़ा जाएगा. जब किसान अकेला होता है तो दिक्कत होती है, लेकिन जब वह एफपीओ से जुड़ जाता है तो सारी परेशानियां खत्म होने लगती हैं.
आईपीओ से जुटाएंगे फंडिंग!
लीड्स कनेक्ट एक बूट स्ट्रैप्ड कंपनी है, जिसने अभी तक किसी से कोई फंडिंग नहीं ली है. यह एक फैमिली का बिजनेस है, जो 2009 से अभी तक अपने ही पैसों से काम कर रहा है. नवनीत रविकर कहते हैं कि आने वाले दिनों में फंडिंग करेंगे, लेकिन उसके लिए वह आईपीओ का इस्तेमाल करेंगे. उन्होंने कहा कि वह आईपीओ के जरिए ही फंडिंग लेंगे.