Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

छोटी सी उम्र में दिलचस्प कामयाबियों वाली मुंबई की काम्या और मेघालय की मॉजा

छोटी सी उम्र में दिलचस्प कामयाबियों वाली मुंबई की काम्या और मेघालय की मॉजा

Tuesday February 11, 2020 , 3 min Read

लगभग सात हजार मीटर ऊंचे माउंट एकांकागुआ पर तिरंगा लहराने वाली मुंबई की 12 वर्षीय काम्या और स्कूल में चिढ़ाए जाने से परेशान होकर एंटी बुलिंग ऐप बनाने वाली मेघालय की नौ वर्षीय छात्रा मॉजा जैसी लड़कियां जब दिलचस्प सुर्खियां बनती हैं तो सुनने, जानने वाला हर कोई अपने दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं।


मुंबई की काम्या और मेघालय की मॉजा

मुंबई की काम्या और मेघालय की मॉजा (फोटो क्रेडिट: सोशल मीडिया)



देश की ये छोटी-छोटी बच्चियां इतने बड़े-बड़े काम करने लगें तो इस नई पीढ़ी का भविष्य उज्ज्वल होने से असहमत नहीं हुआ जा सकता है। यद्यपि काम्या कार्तिकेयन ने गत 1 फरवरी को ही दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप के अर्जेंटीना की एंडीज पर्वतमाला में स्थित सबसे (6962 मीटर) ऊंचे माउंट एकांकागुआ के शिखर पर तिरंगा फहरा दिया था लेकिन उसकी आधिकारिक घोषणा गत रविवार को की गई।


काम्या कार्तिकेयन मुंबई के नेवी चिल्ड्रेन स्कूल में सातवीं क्लास में पढ़ती हैं। काम्या के पिता एस. कार्तिकेयन भारतीय नौसेना में कमांडर और मां लावण्या पेशे से शिक्षक हैं। काम्या के नाम कई हैरतअंगेज और दिलचस्प कामयाबियां हैं। उन्होंने पिछले वर्ष 24 अगस्त को जब लद्दाख में माउंट मेंटोक कांग्री द्वितीय पर चढ़ाई पूरी की, वह सफलता हासिल करने वाली वह सबसे कम उम्र की पर्वतारोही शुमार हो गईं। वर्षों की कठिन साधना और साहसिक खेलों में नियमित भागीदारी काम्या की सफलताओं का रहस्य है।


काम्या के नाम और भी कई उपलब्धियां हैं। वह जब तीन साल की थीं, लोनावाला (पुणे) में बेसिक ट्रैक पर चढ़ना शुरू किया था। जब वह नौ साल की हुईं तो उन्होंने अपने माता-पिता के साथ हिमालय की कई ऊंची चोटियों को फतह किया। इनमें उत्तराखंड का रूपकुंड भी शामिल है। एक साल बाद वह नेपाल में एवरेस्ट बेस कैंप (5346 मीटर) पहुंचीं। इतनी कम उम्र में काम्या अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो, यूरोप की माउंट एल्ब्रुस और ऑस्ट्रेलिया की माउंट कोसुज्को भी फतह कर चुकी हैं। वह अगले साल एक्सप्लोरर्स ग्रैंड स्लैम को पूरा करना चाहती हैं, जिसके लिए उन्हें सभी महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियां फतह कर लेनी हैं।


इसी तरह की एक और दिलचस्प दास्तान शिलांग (मेघालय) की चौथी क्लास की छात्रा मैदाईबाहुन मॉजा की है। विप्रो अप्लाइंग थॉट्स इन स्कूल्स और टीचर फाउंडेशन ने दो साल पहले एक सर्वे में खुलासा किया था कि भारत में 42 प्रतिशत बच्चों को स्कूलों में परेशान किया जाता है।


मॉजा बताती हैं कि वह जब नर्सरी से में थीं, उन्हें अक्सर धमकियां मिलती रहती थीं। वह नहीं चाहती थीं कि कोई और बच्चा उनकी तरह की घटनाओं का सामना करे। एक बार कुछ छात्रों ने उनसे कहा कि वह दूसरे छात्रों से बात नहीं करेंगी। एक ने उनके पैरों पर मुहर लगा दी। इन्हीं सब हरकतों से परेशान होकर उन्होंने 'एंटी बुलिंग मोबाइल एप्लिकेशन' बनाई है। इसकी मदद से पीड़ित की पहचान उजागर हुए बिना ऐसी हरकतों की जानकारी सीधे अधिकारियों को दी जा सकती है।


अब मॉजा की कोशिश की राज्य सरकार भी सराहना कर रही है। मॉजा बताती हैं कि इस ऐप के यूजर को धमकी देने वालों के नाम सहित घटनाओं का विवरण देना होगा। उनकी मां दासुमलिन बताती हैं कि मॉजा ने पिछले साल सितंबर में ऐप-डेवलपमेंट कोर्स किया था। उसके बाद कुछ महीनों में ही उसने यह ऐप डेवलप कर लिया।