डिप्रेशन को मात देकर सफलता हासिल करने वाली कनिका अग्रवाल
कनिका अग्रवाल सिंगापुर स्थित डिजिटल मीडिया एजेंसी पैशन पीयर्स (Passion Peers) चलाती हैं। मात्र दो साल के अंदर उन्होंने कंपनी की ग्रोथ को 90 प्रतिशत तक बढ़ाकर टर्नओवर 2 मिलियन डॉलर (SGD) तक पहुंचा दिया। यही नहीं कंपनी के पास अब माइक्रोसॉफ्ट, एस्टी लॉउडर, जीएचईएच और जी टीवी जैसे बड़े क्लाइंट हैं। कम समय में सफलता पाने वाली कनिका के लिए ये आसान नहीं रहा। जब वह अपने करियर के चरम पर थीं तभी, अचानक उन्हें एंग्जाइटी और डिप्रेशन का सामना करना पड़ा जिसने उनके जीवन में काफी दिक्कतें पैदा कीं। वह याद करते हुए कहती हैं, “मुझे अभी भी वो पहला एंग्जाइटी अटैक याद है। ये अटैक मुझे सोमवार सुबह 4 बजे आया था जब मैं सिंगापुर में अपने घर पर थी। मैं जाग रही थी, उस समय मैं जी टीवी के लिए एक बड़े असाइनमेंट पर काम कर रही थी जो मुझे अगले दिन देना था, और इससे पहले कि मुझे इसका एहसास होता, मैंने हाइपरवेंटिलेट (तेज व अजीब तरह से सांसे लेना) करना शुरू कर दिया। मेरे दिमाग में सबसे बुरे विचार आ रहे थे। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं मर रही हूं। मुझे अस्पताल ले जाया गया, और मैं कम से कम चार-पांच घंटे तक रोती रही।"
लेकिन कनिका जानती थीं कि वह हार नहीं मान सकतीं। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के बारे में बहुत सारे खुद से शोध किए और सपोर्ट के लिए अपने माता-पिता के पास भी गईं। मानसिक बीमारियों के बारे में गलत अवधारणाओं की वजह से कुछ शुरुआती हिचकिचाहट के बावजूद, कनिका ने एक चिकित्सक को दिखना शुरू कर दिया। वे कहती हैं, “लंबे समय बाद, मुझे लगा कि थेरेपी और दिमागी कसरत ने मुझे सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। एक तरह से, मुझे लगता है कि अनुभव ने मुझे मेरे शरीर का खुद से ख्याल रखने के लिए कहा।।"
फेम पीयर की शुरुआत
चिंता और अवसाद से जूझते हुए, कनिका का मासिक धर्म स्वास्थ्य (menstrual health) भी प्रभावित हुआ था। उन्हें अनियमित पीरियड्स होने लगे और प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम सिमटमस (पीएमएस) के चलते तेज दर्द और मूड स्विंग में भी बदलाव आया। अपने इस अनुभव के दौरान, कनिका ने महसूस किया कि वह इकलौती नहीं हैं जो इस दर्दनाक पीड़ा से गुजर रही हैं। जिसके बाद उन्होंने पैशन पीयर्स से अपनी कमाई के साथ 2017 में, फेम पीयर्स (Fem Peers ) शुरू करने का फैसला किया। फेम पीयर्स एक ऐसा मंच है जो मासिक धर्म किट (menstrual kits) ऑफर करता है, जिसमें किसी को भी उसकी पसंद के सैनिटरी प्रोडक्ट्स के साथ स्नैक्स, हीटिंग पैड, और भी बहुत कुछ शामिल होता है।
कनिका ने देखा कि उनकी युवा बेटियां उनके डोमेस्टिक हेल्प के काम से प्रभावित होकर उनके साथ काम करने लगीं। तभी से उन्होंने फेम पीयर को अगले स्तर तक ले जाने और इसे एक सामाजिक उद्यम में बदलने का फैसला किया। युवावस्था में पहुंचने के बाद उन्होंने अपनी बेटियों को स्कूल भेजना बंद कर दिया था। मुख्य कारण यह था कि स्कूल में पीरियड्स वाली लड़कियों के लिए सुविधाएं शून्य थीं, और उस समय पीरिड्स दाग से डील करना काफी मुश्किल था। फेम पीयर्स, अब ग्रामीण भारत में प्रत्येक खरीदार के साथ एक लड़की को जोड़ता है, और हर खरीददारी पर उन्हें एक समान मासिक धर्म किट (menstrual kit) दान करता है। यह लड़कियों को स्कूल जाने और शर्म के बिना अपने जीवन का नेतृत्व करने के लिए प्रोत्साहित करता है। अब तक, फेम पीयर ने लगभग 700 लड़कियों को मासिक धर्म किट देकर लाभान्वित किया है, ये लड़कियां ज्यादातर ग्रामीण मुंबई और दिल्ली एनसीआर की हैं।
फेम पीयर्स ने 'टॉक पैड' भी शुरू किया है। यह एक ऑनलाइन कम्युनिटी है जहां महिलाएं खुलेआम बिना शर्म के पीरिड्स से संबंधित मुद्दों पर चर्चा कर सकती हैं।
माइंड पीयर्स (Mind Peers)
खुद के एंग्जाइटी और डिप्रेशन पर काबू पाने के बाद कनिका को यह एहसास हुआ कि उन्हें इस गंभीर मुद्दे का बड़े पैमाने पर मुकाबला करने के लिए कुछ करना होगा। इसलिए उन्होंने माइंड पीयर्स शुरू किया। यह एक ऐसा मंच है जिसका उद्देश्य मानसिक बीमारियों को खत्म करना है, और प्रमाणित मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की उन लोगों तक पहुंच आसान और सस्ती बनाना है, जिन्हें उनकी मदद की जरूरत है। वह बताती हैं, “जब हम मानसिक स्वास्थ्य की बात करते हैं तो हम एक व्यवहारिक व्यावसायिक भाषा नहीं बोल सकते हैं, क्योंकि अगर हम ऐसा करते हैं, तो हम लोगों की मदद नहीं कर रहे होते हैं। इसलिए, हमारा मंच अकेलापन, रिलेशनशिप प्रॉबल्म, बॉडी इमेज इश्यू, काम का तनाव जैसी कई मानसिक बीमारियों में मदद करने के लिए कंटेंट उलब्ध कराता है।”
कनिका सभी से मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य का एक साथ ख्याल रखने का आग्रह करतीं है। वह इस बात पर जोर देती हैं कि मानसिक बीमारियों से निपटना कुछ भी शर्म की बात नहीं है। साथ ही वह यह भी कहती हैं कि चिकित्सा सहायता मांगना ज्यादा मददगार होता है नाकि खाली बैठे ’प्रार्थना करते’रहना। माइंड पीयर के माध्यम से, कनिका एक ‘हैप्पी बॉक्स’ का कॉनसेप्ट भी शुरू करेंगी। यह रोगियों के लिए एक टूलकिट है जो खुद को एंग्जाइटी अटैक और डिप्रेशन से निपटने में मदद करता है। माइंड पीयर का तात्कालिक लक्ष्य मई 2019 के अंत तक प्लेटफॉर्म लॉन्च करना है। जैसे ही यह लाइव होगा, कनिका इसके लिए बाहरी फंड जुटाएगी।
सशक्त होना
नई दिल्ली में जन्मीं और पली-बढ़ी, कनिका अग्रवाल ने बचपन से ही इसे ही कुछ बड़ा करने का सपना देखा था। चाहे वह अच्छी ग्रेड प्राप्त करना रहा हो, अतिरिक्त गतिविधियों में शामिल होना या विरासत का निर्माण करना हो, उन्होंने अवसरों को भुनाया और उनके इसी उत्साह ने उन्हें मजबूत बनाए रखा है। वह अपने सभी प्रयासों के दौरान बिना शर्त मिले समर्थन के लिए अपने माता-पिता को धन्यवाद देती हैं, लेकिन यह भी बताती हैं कि उनकी स्वतंत्रता उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने के लिए प्रोत्साहित करती है। कनिका कहती हैं, “जब मैं 2009 में अपने बीटेक के लिए सिंगापुर गई, तो मेरे पास चुकाने के लिए एक बड़ा एजुकेशन लोन था। लेकिन मेरे माता-पिता ने मुझे बहुत स्पष्ट रूप से कहा कि वे केवल मेरा पहला वर्ष ही कवर कर पाएंगे। हालांकि मैंने स्कॉलरशिप हासिल की थी, लेकिन इसमें अन्य खर्च भी शामिल थे। इसलिए, अपने दूसरे वर्ष से मैंने Google में काम करना शुरू कर दिया और फिर Microsoft में काम करने लगी।” Google में, कनिका डिजिटल एडवाइजर थीं, जबकि माइक्रोसॉफ्ट में वह 13 APAC मार्केट के लिए कस्टमर डिजिटल मार्केटिंग लैंडस्केप की देखभाल करती थीं। इसी समय कनिका ने ग्राहकों की मांग को देखते हुए अपनी पहली कंपनी पैशन पीयर शुरू करने का पैसला किया।
वह कहती हैं कि इस नए युग की डिजिटल मीडिया फर्म को शुरू करने के लिए प्रेरित करने वाले सबसे बड़े कारकों में से एक बहुराष्ट्रीय कंपनी को 'स्टार्टअप्स की तरह सोचने' और अपने उपभोक्ताओं के लिए रचनात्मक तकनीक से प्रेरित अभियान चलाने में मदद करने की जरूरत थी। कनिका चाहती थीं कि पैशन पीयर ऐसी एजेंसी हो जिसे बड़े ब्रांड हमेशा अपनी पसंद बनाएं, और उनके लिए ऐसा ही हुआ। कनिका ने अपनी व्यक्तिगत बचत के साथ पैशन पीयर्स भी शुरू किया और अब तक कोई बाहरी फंडिंग नहीं मांगी। वह कहती हैं, "पैशन पीयर्स पूरी तरह से बूटस्ट्रैप्ड है। मैंने इसे मार्च 2016 में 10,000 डॉलर (SGD) की बचत के साथ शुरू किया था, और अपने आप से कहा कि यदि मैंने दिसंबर 2016 तक राजस्व प्राप्त करना शुरू नहीं किया, तो मैं कुछ नया करूंगी। शुक्र है कि पैशन पीयर ने अद्भुत काम किया है।"
पैशन पीयर्स का पहला ग्राहक लक्जरी ब्यूटी ब्रांड एस्टी लाउडर (Estée Lauder) था। इस ब्रांड की नई डिजिटल मीडिया एजेंसी ने इस तरह का करतब कैसे हासिल किया? कनिका मानती हैं कि यह शुरू में कठिन था, लेकिन क्योंकि वह पहले से ही डिजिटल मार्केटिंग में एक प्रशिक्षित कर्मचारी (trained employees) रह चुकी थीं, इसलिए पैशन पीयर्स के बारे में लोगों के शब्दों ने उनके अच्छा काम किया। उसके बाद उन्हें एस्टी लाउडर के मार्केटिंग ब्रांड मैनेजर से मिलवाया गया, और उन्हें ब्रांड की आवश्यकताएं बताई गईं।
वह कहती हैं, “मेरे स्ट्रेटजी बोर्ड पर एक मोटीवेटेड, इनोवेटिव और मेहनती टीम है। एक सर्विस-बेस्ड इंडस्ट्री में, प्रतिभा बहुत मायने रखती है, और मैं भाग्यशाली हूं कि वे लोग हैं जो मील के पत्थर हासिल करने के लिए मेरे साथ काम करने को तैयार हैं। कनिका कहती हैं, 'मैं हमेशा किसी भी समय पर तैयार रहती हूं।' जैसा कि हमेशा ही होता है कि सफलता हासिल करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कनिका इससे अलग नहीं थीं। इनमें ग्राहकों की अपेक्षाओं को मैनेज करना और कर्मचारी प्रेरणा को संतुलित करना, सकारात्मक कार्य संस्कृति को बनाए रखना और मानव संसाधनों को महत्व देना शामिल था। इन चुनौतियों के बावजूद, कनिका प्रेरित रहती हैं। वह कहती हैं कि उनकी टीम हर दिन प्रभाव डालती है, और यहां तक कि वह उद्यमिता के माध्यम से एक विरासत का निर्माण कर रही हैं।
आगे का सफर
पैशन पीयर्स के लिए कनिका का लक्ष्य है कि उनकी कंपनी को कोई बहु-राष्ट्रीय कंपनी अधिग्रहित करे और उसके डिजिटल विंग के रूप में काम करे। फेम पियर्स के लिए, कनिका अभी भी भारत में विस्तार करने के लिए सही दिशा का पता लगा रही हैं। माइंड पीयर्स के लिए कनिका का लक्ष्य भारत भर में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में मजबूत नीतियों को प्रस्तुत करना है। इसके अलावा वे माइंड पीयर्स के जरिए भारतीयों के बीच अवसाद की सांख्यिकीय दरों को कम करना चाहती हैं और साथ ही मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के नैदानिक प्रमाणन के लिए मापदंडों को परिभाषित करने के लिए प्रासंगिक संगठनों के साथ काम करना चाहती हैं।
नए उद्यमियों, जिन्हें थोड़े प्रोत्साहन की आवश्यकता है, कनिका कहती हैं, "हमेशा अपने और अपने मूल्यों के प्रति सच्चे रहें, क्योंकि उद्यमिता के रास्ते में कई बैटल आएंगे। यदि आप मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हैं, तो जान लें कि आप अकेले नहीं हैं। आप भयभीत या शर्मिंदा हो सकते हैं, लेकिन आत्म-स्वीकृति रिकवरी की शुरुआत है। प्रेफेशनल हेल्प लें, यह निश्चित रूप से आपको सही दिशा में आगे बढ़ाएगा।"
यह भी पढ़ें: बंधनों को तोड़कर बाल काटने वालीं नेहा और ज्योति पर बनी ऐड फिल्म