अब कर्नाटक में महिलाएं नाइट शिफ्ट में भी कर सकेंगी काम
भारतीय संविधान स्त्री और पुरुष, दोनों को काम के समान अवसर देता है.
कनार्टक राज्य सरकार ने महिलाओं को काम के लिए समान अवसर मुहैया कराने की कोशिश में एक अहम फैसला लेते हुए एक नया विधेयक पारित किया है. यह विधेयक कनार्टक फैक्ट्रीज एक्ट में एक महत्वपूर्ण सुधार को लेकर है. इस विधेयक के तहत अब महिलाएं भी फैक्ट्रीज में रात की शिफ्ट में काम कर पाएंगी. इसके पहले राज्य के फैक्ट्रीज एक्ट के तहत महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने की अनुमति नहीं थी.
इस बिल के संबंध में कानून और संसदीय मामलों के मंत्री जेसी मधुस्वामी ने कहा कि पहले महिलाओं के कार्यकारी घंटे सीमित थे. काफी समय से यह मांग उठ रही थी और सरकार पर दबाव बनाया जा रहा था कि सॉफ्टवेयर उद्योग समेत विभिन्न क्षेत्रों में रात की शिफ्ट में महिलाओं को भी काम करने की अनुमति दी जाए. हाईकोर्ट का भी यही निर्देश था. भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत सभी नागरिकों को समान अवसर का अधिकार है और यह उन्हें दिया जाना चाहिए.
कनार्टक फैक्ट्रीज (एमेंडमेंट ) एक्ट, 2023 विधानसभा में बिना किसी विरोध और बहस के सर्वसम्मिति से पास हो गया. यहां अलग से यह रेखांकित करना जरूरी है कि कर्नाटक में पिछले काफी समय से खुद महिलाओं की तरफ से यह मांग की जा रही थी कि उन्हें भी नाइट शिफ्ट में काम करने की चॉइस मिलनी चाहिए. महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट प्रतिबंधित होने के कारण उनके काम के मौके काफी सीमित हो जाते थे.
भारतीय कानून में नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी और पिक अप और ड्रॉप की सुविधा देना इंप्लॉयर की जिम्मेदारी है.
इसके अलावा यह विधेयक सरकार को काम के घंटों को 9 से बढ़ाकर 12 करने की भी इजाजत देता है. लेकिन पूरे सप्ताह में काम के कुल घंटे 48 से ज्यादा नहीं हो सकते. इसके अलावा विधेयक में यह भी प्रावधान है कि जो कर्मचारी लगातार चार दिनों तक 12 घंटे की शिफ्ट में काम करते हैं, वह तीन दिन की छुट्टी के हकदार होंगे.
विधेयक के मुताबिक महिला कर्मचारी शाम 7 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक की शिफ्ट में ड्यूटी कर सकती हैं, लेकिन उनके पिक अप और ड्रॉप समेत काम के दौरान उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी इंप्लॉयर की है.
विधेयक में साफ तौर पर यह कहा गया है कि महिला कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और कार्यस्थल पर किसी तरह के यौन उत्पीड़न को रोकना नियोक्ता की कानूनन जिम्मेदारी है. अकेली महिला कर्मचारी को नाइट शिफ्ट में काम नहीं दिया जा सकता. एक साथ कम से कम दस महिला कर्मचारियों का ड्यूटी पर होना अनिवार्य है. साथ हर विधेयक में यह भी स्पष्ट है कि किसी तरह का यौन उत्पीड़न होने की स्थिति में तत्काल एक्शन लेना और कानूनी कार्रवाई करना भी नियोक्ता की लीगल जिम्मेदारी है.
इस बिल के मुताबिक नाइट शिफ्ट में काम कर रही महिलाओं के काम की जगह पर पर्याप्त मात्रा में रौशनी होनी चाहिए और उस जगह का सीसीटीवी कवरेज होना भी अनिवार्य है. किसी भी स्थिति में कम से कम 45 दिनों की सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखना नियोक्ता की जिम्मेदारी होगी. अब इस विधेयक को विधान परिषद में पेश किया जाना है.
Edited by Manisha Pandey