SBI पर उपभोक्ता मंच ने क्यों लगाया 85,000 रुपये का जुर्माना?

धारवाड़ जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच ने भारतीय स्टेट बैंक की शाखा पर 85,177 रुपये का जुर्माना लगाया है. जानिए क्या है पूरा मामला...

SBI पर उपभोक्ता मंच ने क्यों लगाया 85,000 रुपये का जुर्माना?

Friday September 09, 2022,

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कर्नाटक में एक उपभोक्ता फोरम (consumer forum) ने बुधवार को राज्य की आधिकारिक भाषा कन्नड़ (kannada) में लिखे एक चेक को रिजेक्ट करने के लिए उत्तर कन्नड़ में भारतीय स्टेट बैंक (State Bank Of India - SBI) की हलियाल शाखा पर 85,177 रुपये का जुर्माना लगाया है.

धारवाड़ जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच ने भारतीय स्टेट बैंक की शाखा पर एक कन्नड़ अंक को ठीक से पहचानने में विफल रहने पर चेक को ‘अस्वीकार’ करने के लिए 85,177 रुपये का जुर्माना लगाया है.

हुबली के सरकारी पीयू कॉलेज में अंग्रेजी के लेक्चरर वादीराजाचार्य इनामदार ने तीन सितंबर, 2020 को अपने बिजली बिल के लिए हुबली इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी लिमिटेड (HESCOM) को 6,000 रुपये का एसबीआई का चेक जारी किया.

HESCOM का केनरा बैंक में खाता था और इसलिए चेक को मंजूरी के लिए कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के हलियाल में एसबीआई शाखा में भेजा गया था.

चेक पर अंक समेत सभी जानकारी कन्नड़ में भरी गयी थी.

हलियाल में एसबीआई शाखा ने चेक पर लिखे कन्नड़ अंक ‘नौ’ को ‘छह’ समझकर चेक को अस्वीकार कर दिया. जबकि अंक नौ, ‘सितंबर’ माह को दर्शाता है, लेकिन बैंक ने इसे ‘जून’ समझ लिया, जिसके बाद इनामदार ने अपनी शिकायत के साथ उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया.

इंडियन एक्सप्रेस के साथ अपने अनुभव को साझा करते हुए इनामदार ने कहा: “मैंने 3 सितंबर, 2020 को एसबीआई को 6,000 रुपये का चेक दिया और कुछ दिनों के बाद, मुझे पता चला कि चेक को अस्वीकार कर दिया गया था क्योंकि मैंने कन्नड़ में लिखा था. मैंने कन्नड़ अंक भी लिखे थे. बैंक के अधिकारी जो कन्नड़ नहीं जानते हैं, उन्होंने नौवें महीने (सितंबर) को छठा महीना (जून) मान लिया और मुझ पर 177 रुपये का जुर्माना लगाया.“

उन्होंने आगे कहा, “चूंकि यह कोरोना काल था, मैंने समय का उपयोग यह पता लगाने के लिए किया कि नियम क्या कहते हैं. इसके बाद, मैंने इस साल जनवरी में मंच से संपर्क किया और शिकायत दर्ज की.”

इनामदार ने कहा कि पूरे कर्नाटक में कई लोग इसी तरह की समस्याओं का सामना करते हैं. यहां तैनात बैंक अधिकारी अंग्रेजी जानने वालों को प्रथम श्रेणी का नागरिक मानते हैं और कन्नड़ भाषी लोगों की उपेक्षा करते हैं. भाषा नहीं सीखने के बावजूद, वे ग्रामीण लोगों को अंग्रेजी या हिंदी नहीं जानने के लिए परेशान करते हैं.

इनामदार, हालांकि वह अंग्रेजी पढ़ाते हैं, कहते हैं कि राज्य में प्रशासनिक भाषा कन्नड़ है और वह हमेशा कन्नड़ में चेक देते हैं.

इनामदार की शिकायत का फैसला एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आया है क्योंकि कर्नाटक में कई बैंक त्रिभाषी नीति के तहत क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग को बढ़ावा देने में विफल रहे हैं. ऐसे कई उदाहरण हैं जहां बैंक अधिकारियों ने ग्राहकों को, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, अंग्रेजी या हिंदी में संचार नहीं करने के लिए ठुकरा दिया है.