Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

पुणे के इस सिख इंजीनियर ने 32 कश्मीरी महिलाओं को उनके परिवारों से मिलाकर पेश की मानवता की मिसाल

पुणे के इस सिख इंजीनियर ने 32 कश्मीरी महिलाओं को उनके परिवारों से मिलाकर पेश की मानवता की मिसाल

Tuesday August 27, 2019 , 2 min Read

जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35 ए को हटाए जाने के बाद से, पूरे राज्य में सभी संचार चैनलों पर प्रतिबंध लगा हुआ है। परिणामस्वरूप, जो लोग राज्य या देश से बाहर रहते हैं, लेकिन उनका परिवार जम्मू और कश्मीर में रहता है उनके लिए अपने परिवार से संपर्क कर पाना मुश्किल हो रहा है।


लेकिन हरमिंदर सिंह अहलूवालिया जैसे लोग हैं जो अपने तरीके से लोगों की मदद कर रहे हैं। पुणे में रह रहे हरमिंदर पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। 5 अगस्त को उन्होंने फेसबुक लाइव किया और संकट में फंसे कश्मीरियों की मदद का वादा किया। हरमिंदर ने फेसबुक लाइव पर कहा कि जो लोग मुश्किल में फंसे हैं वे उनसे संपर्क करें या पास के गुरुद्वारों में शरण लें। 



हरमिंदर सिंह अहलूवालिया

कश्मीरी महिलाओं के साथ हरमिंदर सिंह अहलूवालिया



हरमिंदर की ये फेसबुक पोस्ट वायरल हो गई और लगभग 32 कश्मीरी महिलाएं जो घर पहुंचने की कोशिश कर रही थीं, उन्होंने उनसे संपर्क किया।


इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में हरमिंदर ने कहा,

"मुझे रुकैया नाम की एक महिला का फोन आया और उन्होंने मुझे बताया कि 32 कश्मीरी लड़कियां हैं, वे सभी वंचित परिवारों से हैं और कश्मीर में हालिया घटनाक्रम के बाद वे केवल घर वापस जाने का इंतजार कर रही हैं।"


इन महिलाओं को दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना के तहत पुणे में एक नर्सिंग प्रशिक्षण और प्लेसमेंट कार्यक्रम में शामिल किया गया था। वे सभी 17 से 32 के बीच की आयु वर्ग की हैं।


ग्रुप ने राज्य सरकार से मदद मांगी। उन्होंने सरकार को बताया कि वे उन्हें श्रीनगर तक पहुंचने में मदद कर सकते हैं, लेकिन उन महिलाओं के पास टिकट के पैसे नहीं हैं। स्टोरीपिक के अनुसार, हरमिंदर ने ऑनलाइन कैंपेन शुरू किया और लड़कियों के लिए फंड की व्यवस्था करने की कोशिश की।


हरमिंदर बताते हैं,

"जल्द ही एक सिख बिजनेसमैन ने मुझसे संपर्क किया। उस बिजनेसमैन ने उन लड़कियों व चार वॉलंटियर्स के लिए हवाई टिकट करा दिया।"


उनकी मदद से, ग्रुप जल्द ही श्रीनगर पहुंच गया और उन्होंने सेना की सहायता से, प्रत्येक को उनके घरों तक पहुंचाया। हरमिंदर ने कहा कि उन्होंने इन महिलाओं की मदद करने का फैसला इसलिए किया क्योंकि पुलवामा आतंकी हमले के बाद राज्य के बाहर के कश्मीरियों को निशाना बनाया जा रहा था, और वह नहीं चाहते थे कि इन महिलाओं के साथ भी ऐसा ही हो।