जानिए उस बहादुर लड़के के बारे में जिसे बाढ़ में फंसी एंबुलेंस को रास्ता दिखाने के लिए मिला राष्ट्रिय वीरता पुरस्कार
बाढ़ के दौरान पुल पर फंसी एंबुलेंस को रास्ता दिखा कर वेंकटेश ने एक बहादुरी की एक मिशाल पेश की थी। वेंकटेश की इस बहादुरी ने ही उन्हे राष्ट्रिय बहादुरी पुरस्कार दिलाया है।
अगस्त 2019 में, एक युवा लड़के ने सभी बाधाओं के खिलाफ जाकर कर्नाटक के रायचूर जिले में एक डूबे हुए पुल के जरिये एम्बुलेंस की मदद करते हुए अपनी जान जोखिम में डाल दी। एम्बुलेंस छह बच्चों और एक महिला के शव को लेकर यादगीर जिले के मचनूर गाँव जा रही थी।
उस समय बारह साल के वेंकटेश अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे जब उन्होने बढ़े हुए जलस्तर के कारण पल पर फंसी हुई एंबुलेंस को देखा। ऐसे में वेंकटेश ने फौरन ही पुल से एंबुलेंस को पार करवाने के लिए पहल की।
वेंकटेश को अब उनकी बहादुरी के लिए पहचाना जा रहा है और उन्हे राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार 2019 के लिए भारतीय बाल कल्याण परिषद (ICCW) द्वारा सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार गणतंत्र दिवस पर पूरे भारत के 26 बच्चों को प्रदान किया गया है।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस के साथ साक्षात्कार में वेंकटेश ने कहा,
"मुझे पता नहीं है कि मैंने जो किया वह बहादुरी का काम था या नहीं। मैं बस ड्राइवर की मदद करना चाहता था।”
वे आगे कहते हैं,
“एम्बुलेंस के ड्राइवर ने मुझसे पूछा कि क्या धारा में जाने का कोई रास्ता है और क्या वह पुल पर एम्बुलेंस चला सकता है। मैंने उसे रास्ता दिखाया। मुझे नहीं पता कि मदद, बहादुरी आदि से इसका क्या मतलब है?”
उत्तरी कर्नाटक के हिरण्यनकुम्पे में सरकारी प्राथमिक स्कूल में कक्षा छह के छात्र वेंकटेश ने एक एम्बुलेंस की मदद की यह खबर न्यू इंडियन एक्सप्रेस द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई थी। यह वीडियो कुछ ही दिनों के भीतर कई अन्य प्लेटफार्मों पर वायरल हो गया। इसके बाद वेंकटेश एक नायक के रूप में उभरे।
कर्नाटक के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पी मणिवन्नन ने महिला और बाल विकास विभाग ने वेंकटेश को बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित करने की सिफारिश की थी।