Tata Trusts ने ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए बनाई फिल्म, फिल्म में नजर आयेंगे शेफ संजीव कपूर
टाटा ट्रस्टस् ने ब्रेस्ट कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने और महिलाओं को अपनी सेहत को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित करने के लिए एक सामाजिक जागरूकता फिल्म बनाई है. इस फिल्म में मशहूर शेफ और पद्मश्री पुरस्कार विजेता संजीव कपूर भी नजर आयेंगे.
भारत में ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर का बोझ तेजी से चिंता का विषय बनता जा रहा है. कैंसर की जांच कराने वाली महिलाओं में से एक महिला को हर चार मिनट में कैंसर का पता चलता है. कैंसर की जल्दी जांच कराना और समय से इसका इलाज कराना इसके बढ़ते मामलों को रोकने का प्रभावी तरीका है. स्तन कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने से लोगों में कैंसर के नाम से डर को ज्ञान में बदला जा सकता है. इससे महिलाओं को सक्रिय रूप से अपने स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए सशक्त बनाया जा सकता है.
टाटा मेमोरियल अस्पताल में सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉक्टर शलाका जोशी ने कहा, "ब्रेस्ट कैंसर 30 में से 1 महिला को होता है. पिछले 25 सालों से ब्रेस्ट कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. मरीजों का प्रभावी इलाज करने के लिए कैंसर की जल्दी जांच जरूरी है. कैंसर का जल्दी पता लगने से मरीजों को ठीक करने में 90 फीसदी से ज्यादा मामलों में सफलता मिली है. बदकिस्मती से हमारे देश की 60 फीसदी से ज्यादा महिलाओं को कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों और संकेतों की जानकारी न होने, जांच की सुविधाएं न होने, अपने स्वास्थ्य पर ध्यान न देने और इलाज के डर से कैंसर का एडवांस स्टेज में पता चलता है. कैंसर का जल्दी पता लगने से गहन और जटिल इलाज की जरूरत नहीं पड़ती और मरीज एक बेहतर जिंदगी बिता सकता है. मेरे अनुभव की बात करें तो कई महिलाएं अपने स्तनों पर गांठों को नजरअंदाज करती है, पर यह समझना बहुत जरूरी है कि जिन गांठों में दर्द नहीं होता, उनसे भी खतरा हो सकता है. युवा महिलाओं को भी ब्रेस्ट कैंसर हो सकता हैं. उन्हें इस बारे में सतर्क रहना चाहिए. हमारा अभियान अज्ञानता को दूर करना और महिलाओं को ब्रेस्ट की देखभाल के लिए जागरूक करना है. ब्रेस्ट कैंसर होने पर उन्हें जल्द से जल्द इसका इलाज शुरू कराना चाहिए. महिलाओं को इस ज्ञान से लैस कर मजबूत बनाने से इस रोग के बोझ में महत्वपूर्ण ढंग से कमी लाई जा सकती है."
टाटा ट्रस्टस् 1940 से कैंसर के मरीजों की देखभाल के लिए अग्रणी मोर्चे पर काम कर रहा है. यहां के डॉक्टर ने कैंसर के बारे में उपयोगी रिसर्च कर और इलाज के नए-नए तरीकों से रोगियों के इलाज के लिए नई राह दिखाई है और एक कॉम्प्रीहेंसिव कैंसर केयर प्रोग्राम बनाया है. इस ट्रस्ट ने राज्य सरकार और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के साथ साझेदारी में मरीजों की जांच के लिए कई कियोस्क और डायग्नोस्टिक यूनिट्स स्थापित की हैं. इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि मरीजों को कैंसर की जांच और इलाज की गुणवत्तापूर्ण और किफायती सुविधाएं मिलें और यह पूरी तरह ब्रेस्ट कैंसर की जांच के कार्यक्रमों को सपोर्ट करे. इसके साथ ही आधारभूत ढांचे को मजबूत करना और मरीजों की पहुंच में बेहतर देखभाल की सुविधाओं को बढ़ावा देना जरूरी है. इससे भारत के सभी राज्यों की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता को बढ़ावा मिल रहा है.
इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए टाटा ट्रस्टस् ने एक अनोखा अभियान “गांठ पे ध्यान” (“फोकस ऑन द लंप”) शुरू किया है. इस अभियान के लिए अपने परिवार की प्यार से देखभाल करने और अपनेपन से परिवार के लिए खाना पकाने के जज्बे से प्रेरणा ली गई है. इस अभियान का उद्देश्य यह है कि महिलाएं जिस लगन और उत्साह से अपने परिवार की देखभाल करती है, उनके लिए खाना बनाती हैं, उसी तरह वह अपनी सेहत पर भी ध्यान दें और स्तन पर किसी भी तरह की गांठ (लंप) के लक्षण दिखाई देते ही वह अपने स्तनों की नियमित रूप से जांच करायें.
टाटा ट्रस्टस् ने स्तन कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने और महिलाओं को अपनी सेहत को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित करने के लिए एक सामाजिक जागरूकता फिल्म बनाई है. यह फिल्म स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर जमीनी स्तर पर अभियान चलाने का हिस्सा है. इस फिल्म में मशहूर शेफ और पद्मश्री पुरस्कार विजेता संजीव कपूर भी नजर आयेंगे. इस फिल्म का संदेश महिला दर्शकों तक पहुंचाकर उनसे करीबी रूप से जुड़ना है. परिवार के लिए खाना पकाने और अपने स्तनों की अपने आप जांच करने में संबंध स्थापित करने वाले इस आइडिया की खोज बहुत रचनात्मक तरीके से की गई है. हमारा विश्वास है कि यह फिल्म ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर की जांच को बढ़ावा देगी. उन्हें अपने स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को नजरअंदाज न करने के लिए प्रेरित करेगी. यह अभियान मरीजों की जिंदगी बचाने में मदद करेगा. यह फिल्म में उन कई कारणों को बताया गया है, जिससे महिलाएं देरी से अपनी बीमारी का इलाज शुरू कराती है. इसमें कम जागरूकता, सामाजिक तौर-तरीके, लिंग संबंधी भेदभाव और डॉक्टर के पास जाने के लिए परिवार के दूसरे सदस्यों पर निर्भरता शामिल है.
शिल्पी घोष, ब्रैंड और मार्केटिंग कम्युनिकेशंस, टाटा ट्रस्टस् ने कहा, "टाटा ट्रस्टस् इस बात को अच्छे से समझता है कि महिलाएं खुद से स्तन की जांच करके ब्रेस्ट कैंसर का जल्द पता लगाकर बीमारी से लड़ सकती हैं. इसलिए, हमने "गांठ पे ध्यान" नामक एक अभियान शुरू किया है. इस अभियान का लक्ष्य महिलाओं को अपने दैनिक जीवन में बदलाव लाने और अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित करना है. हमारे सामुदायिक कार्यक्रमों में जिस तरह महिलाओं ने इस अभियान के प्रति दिलचस्पी दिखाई, उससे हमें इस संदेश को फिल्म के माध्यम से महिलाओं तक पहुंचाने की प्रेरणा मिली. यह फिल्म महिलाओं को यह समझने में मदद करती है कि अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना कितना आसान है और यह उनके जीवन को कैसे बदल सकता है."
टाटा ट्रस्टस् स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवारक और सक्रिय पहलों को बढ़ावा देता है. इसका लक्ष्य लोगों को स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी देना, जागरूकता फैलाना और समुदायों को मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करना है. इस दिशा में, वे कई प्रेरणादायक प्रयास करते हैं, जैसे कि समाज को स्वास्थ्य संबंधी संदेश देने वाली फिल्में बनाना. इन प्रयासों का मकसद समुदाय में बेहतर स्वास्थ्य के लिए उम्मीद जगाना है. टाटा ट्रस्टस् का यह भी लक्ष्य है कि हर महिला, चाहे उसकी पृष्ठभूमि या रहने का स्थान कुछ भी हो, उसे अपनी बीमारी से उबरने के लिए आवश्यक उपचार, देखभाल और सहायता मिल सके जिसकी उसे सबसे ज्यादा जरूरत है.