जानिए 2022 में कितने भारतीयों ने कमाए 1 करोड़ रुपये से ज्यादा
किसी भी शख्स की बढ़ती संपत्ति देश में आयकर दाखिल करने वालों की बढ़ती संख्या में भी तब्दील होती है. आकलन वर्ष 2022-23 के लिए 31 जुलाई 2022 तक 5.8 करोड़ से अधिक आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल किए गए थे. हालांकि, देश की कुल आबादी की तुलना में, देश में टैक्स फाइल करने वालों की कुल संख्या बहुत कम है. सरकार विभिन्न रणनीतियों के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को टैक्स के दायरे में लाने का प्रयास कर रही है.
भारत में सिर्फ सवा आठ करोड़ करदाता होने का मतलब है कि पूरी आबादी में से सिर्फ 6 फीसदी लोग टैक्स चुकाते हैं. कम लोग टैक्स चुकाते हैं इसका ये मतलब नहीं कि बाकी लोग टैक्स नहीं चुकाना चाहते, बल्कि इसका ये मतलब है कि वह टैक्स के दायरे में ही नहीं आते. यानी भारत की करीब 136 करोड़ की आबादी में लगभग 127 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनकी टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये सालाना से भी कम है.
1947 में अपनी आजादी के बाद से भारत ने लंबा सफर तय किया है. आजादी के इन 75 वर्षों में, भारत ने आर्थिक सफलता का स्वाद चखा है और सबसे होनहार और तेजी से बढ़ते देशों में से एक के रूप में उभरा है. व्यक्तिगत आय के मामले में भी, पर्याप्त वृद्धि हुई है क्योंकि 2 दशक पहले की तुलना में अधिक भारतीय अब अच्छी मासिक आय प्राप्त कर रहे हैं.
सरकार आधिकारिक तौर पर परिवारों की आय के आंकड़ों का रखरखाव नहीं करती है. हालांकि, राजस्व विभाग के आंकड़ों के अनुसार, आकलन वर्ष 2021-22 में 76 लाख से अधिक व्यक्तियों की आय 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये के बीच थी. पिछले आकलन वर्ष में ऐसे व्यक्तियों की संख्या 72 लाख से अधिक थी.
देश में ज्यादा करोड़पति नहीं हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021-22 में 1 करोड़ रुपये से अधिक आय वाले व्यक्तियों की संख्या सिर्फ 1,31,390 थी. पिछले वर्ष ऐसे व्यक्तियों की संख्या 1,25,023 थी.
सरकार ने गरीबी और असमानता के मुद्दों के समाधान के लिए कई उपाय किए हैं.
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने हाल ही में संसद में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, "सरकार ने गरीबी और असमानता के मुद्दों को हल करने और लोगों, विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों के जीवन और आजीविका पर महामारी के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए कई लक्षित हस्तक्षेप किए हैं."
वित्त वर्ष 2020-21 में, केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के तहत 29.87 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की. आरबीआई द्वारा आर्थिक विकास और रोजगार बढ़ाने के लिए घोषित उपायों और COVID-19 महामारी के प्रभाव से निपटने के लिए पीएम गरीब कल्याण योजना को पुनर्जीवित किया गया.
चौधरी ने आगे कहा, “पैकेज में भोजन; रसोई गैस और कमजोर वर्गों के लिए नकद हस्तांतरण शामिल था; स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में कामगारों के लिए बीमा कवरेज; प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगार प्रावधान उपाय, मनरेगा के तहत आवंटन में वृद्धि, MSME और NBFC के लिए क्रेडिट गारंटी और इक्विटी फंडिंग-बेस्ड राहत उपाय और नियामक और अनुपालन उपाय आदि दिए गए.“
भारत में आयकर चुकाने वालों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है, जिससे सरकार का टैक्स कलेक्शन भी तेजी से बढ़ रहा है. टैक्स कलेक्शन तब बढ़ता है, जब देश की आर्थिक विकास दर की तरक्की होती है. इसका मतलब है कि आर्थिक गतिविधियां बढ़ती हैं, खरीद-बिक्री बढ़ती है, जिनसे अर्थव्यवस्था आगे की ओर बढ़ती है. वित्त वर्ष 2022 में सरकार का टैक्स कलेक्शन करीब 14 लाख करोड़ रुपये रहा था.
अगर सबसे ज्यादा टैक्स की बात करें तो महाराष्ट्र से सबसे ज्यादा इनकम टैक्स भरा जाता है. वहीं गुजरात, यूपी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल का नंबर इनके बाद आता है. देश की राजधानी दिल्ली तो इस लिस्ट में 8वें, 9वें नंबर पर रहती है. सिक्किम, लक्षदीप, मिजोरम से सबसे कम इनकम टैक्स भरा जाता है.