इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनियों की बजट से क्या हैं उम्मीदें, GST में कटौती की भी है मांग
सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को खूब प्रमोट कर रही है. ईवी कंपनियां सरकार से उनके लिए कुछ खास रियायतें और पॉलिसी से जुड़े बदलाव चाहती हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में.
पिछले कुछ सालों में देश तेजी से इलेक्ट्रिक व्हीकल (Electric Vehicle) की तरफ शिफ्ट हो रहा है. सरकार भी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को खूब प्रमोट कर रही है. ऐसा इसलिए ताकि डीजल-पेट्रोल से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सके. ऐसे में तमाम ईवी कंपनियां सरकार से उनके लिए कुछ खास रियायतें और पॉलिसी से जुड़े बदलाव चाहती हैं. आइए जानते हैं इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर क्या चाहता है इस बार के बजट (Budget 2023) से.
के सीईओ सुनील गांधी इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सेक्टर को लेकर, बताते हैं, "2023 बजट EV के लिए एक बड़ा अवसर हो सकता है. उद्योग के रूप में सरकार लागत प्रभावी लिथियम-आयन बैटरी उत्पादन और तेजी से EV अपनाने को सक्षम करने के लिए नीतिगत परिवर्तनों और बुनियादी रूपरेखा में सुधार की पहल पर ध्यान केंद्रित कर सकती है. हम उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार EV, एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (ESS) और EV चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए बड़ी घोषणाएं करेगी."
वे आगे कहते हैं, "खासतौर पर लिथियम-आयन बैटरी में इस्तेमाल होने वाले पुर्जों पर आयात शुल्क में कमी को भी आगामी बजट में पेश किया जा सकता है. लिथियम-आयन बैटरी के लिए जीएसटी दर पर फिर से विचार करने और इसे 18% की वर्तमान दर से कम करने और EVs पर लागू जीएसटी दर यानी 5% के साथ मिलान करने की आवश्यकता है."
के फाउंडर और सीईओ डॉ. अमिताभ सरन बताते हैं, "हम चाहते हैं कि भारत सरकार संज्ञान ले और दोपहिया वाहनों को दी गई योजना की तरह ही फेम-II योजना के विस्तार के बारे में सोचे. वाणिज्यिक बैंकों को वित्तपोषण सहायाता के साथ आगे आने और ब्याज दरों को घटाने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है. ईवी की बिक्री पर 5 फीसदी जीएसटी लगता है, जबकि ओईएम स्पेयर पार्ट्स के लिए 28 फीसदी जीएसटी देते हैं. अगर उन्हें 5 फीसदी ब्रैकेट के तहत लाया जाए तो कीमत में कमी आएगी और ईवी अपनाने में बढ़ोतरी हो सकती है. चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कम उपलब्धता एक बड़ी चुनौती है और इस समस्या से निपटने के लिए एक मजबूत चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की जरूरत है. हमें उम्मीद है कि सरकार भारत भर में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने के लिए अधिक कैपेक्स सब्सिडी (10-50 फीसदी तक) देगी."
के फाउंडर और चेयरमैन MS Chugh ने कहा, "EV बिज़नेस सरकार से फाइनेंसियल इंसेंटिव स्कीम की अवधि बढ़ाने की उम्मीद कर रहा है, जो पिछले साल FAME-II के तहत इंडस्ट्री को प्रदान की गई थी. इसके अलावा आने वाले बजट में ईवी बिज़नेस को उम्मीद है कि सरकार लास्ट-माइल डिलीवरी और स्पेयर पार्ट्स की बिक्री के लिए GST कम करेगी, साथ ही देश भर में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने के लिए सब्सिडी पर भी अहम कदम उठाएंगी. FAME II की वैधता 31 मार्च, 2024 को समाप्त होने वाली है, इसलिए EV कंपनिया चाहती है कि सरकार इसकी वैधता को 2024 तक बढ़ा देताकि इस क्षेत्र को और अधिक बढ़ावा मिल सके."
के फाउंडर आशुतोष वर्मा ने कहा, भारत दुनिया के सबसे बड़े इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर में से एक है इसीलिए हमे इस क्षेत्र को प्रोत्साहित करते हुए सरकार से सब्सिडी बढ़ाए जाने की उम्मीद है ताकि इस क्षेत्र में और अधिक विस्तार हो सकें. भारत में ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए ईवी चार्जिंग और स्वैपिंग के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. इसके अलावा सरकार को इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कुछ ऐसी अन्य योजनाएं भी लानी चाहिए, जिससे इसके क्षेत्र का तेजी से विस्तार हो सकें. यह न सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को प्रोत्साहित करेगा और साथ ही साथ इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में research and development में निवेश को बढ़ावा देगा. इस तरह की पहल और नीतियां भारत में स्थायी ऊर्जा बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने और ईवी को अधिक किफायती बनाने में मदद करेंगी |”
के को-फाउंडर और सीईओ Samarth Kholkar कहते हैं- 'बजट ऐसे समय में आ रहा है जब आज भारत जापान को पीछे छोड़कर तीसरा सबसे बड़ा ऑटो बाजार बन चुका है। भारत तेजी से ईवी हब के रूप में बदल रहा है और इस साल के बजट से हमें काफी उम्मीदें हैं। हमें आशा है कि सरकार उपभोक्ताओं के विश्वास को बढ़ावा देने के लिए हर संभव कदम उठाएगी और प्रोत्साहन राशियों और लाभों के द्वारा उच्च ईवी अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी। इसमें ईवी फाइनेंसिंग की अहम भूमिका है और हमें उम्मीद है कि फाइनेंसिंग को सुलभ और किफायती बनाने से संबंधित बजट में घोषणाएं अवश्य होंगी। इसके साथ-साथ, रेंज की चिंता और ईवी की कीमत ईवी के बदलाव में रुकावट बनी हुई हैं। हमें उम्मीद है कि सरकार एक मजबूत चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने, भारत भर में फास्ट-चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को सक्षम करने के लिए कदम उठाएगी और ईवी मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए बैटरी निर्माताओं के लिए सब्सिडी की घोषणा करेगी। हम ईवी की लागत कम करने के लिए जीएसटी दरों को सही किए जाने के प्रति भी आशावान हैं । वर्तमान में ईवी की एक्स-शोरूम कीमत पर 5% जीएसटी लगाया जाता है, लेकिन निर्माता स्पेयर पार्ट्स के लिए 28% जीएसटी का योगदान दे रहे हैं। हम चाहते हैं कि ईवी निर्माताओं को सपोर्ट करने के लिए सभी ईवी भागों को 5% ब्रैकेट में शामिल किया जाए। हमें उम्मीद है कि इस साल के बजट भाषण में इसकी चर्चा अवश्य होगी।'
EV इंडस्ट्री चाहती है कि सरकार की तरफ से बैटरी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने के लिए सरकार बैटरी असेंबल करने वालों को सेल्स पर आधारित इंसेंटिव दे. टैक्स में कटौती करने और इंसेंटिव देने से इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री तेजी से ग्रो करेगी और अधिक से अधिक लोग इलेक्ट्रिक व्हीकल पर शिफ्ट हो सकेंगे. इस इंडस्ट्री की इस बजट से एक उम्मीद यह भी है कि सरकार को इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को और अधिक अफॉर्डेबल बनाना चाहिए. इसके लिए सरकार को इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को प्राइओरिटी सेक्टर लेंडिंग में शामिल करना चाहिए. इससे अधिक से अधिक लोगों के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल्स सस्ते हो सकेंगे.