पीएम का मिशन कामयाब कर रहे कोलकाता के 'सोलर मैन' एसपी गोन चौधरी
"कोलकाता के 'सोलर मैन' एसपी गोन चौधरी भारत के पहले ऐसे वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने दशकों पहले त्रिपुरा में पहली बार सौर ऊर्जा का उजाला फैलाया था। कनाडा में 'मिशन इनोवेशन चैंपियन अवॉर्ड' से सम्मानित चौधरी अब तक सौर एटीएम समेत कई अद्भुत यंत्र आविष्कृत कर पीएम नरेंद्र मोदी के मिशन को लगातार गति देने में जुटे हैं।"
हर बीतते दिन के साथ महंगी होती जा रही बिजली और आजकल उसी पर हर काम की बढ़ती निर्भरता के दौर में कोलकाता के 'सोलर मैन' एसपी गोन चौधरी को जब हाल ही में कनाडा में 'मिशन इनोवेशन चैंपियन अवॉर्ड' से नवाजा गया तो पूरे भारत का सीना गर्व से चौड़ा गया। वह सम्मान उनकी उस क्रांतिकारी खोज के नाम रहा, जब लगभग तीन दशक पहले उन्होंने त्रिपुरा के गांव हेरमा में तत्कालीन मुख्यमंत्री नृपेन चक्रवर्ती और योजना आयोग के डिप्टी चेयरमैन मनमोहन सिंह के सामने पहली बार भारत में सौर ऊर्जा से एक बल्ब जगमगा उठा था। चौधरी की उस सौर ऊर्जा पहल के इतने लंबे समय बाद आज ऑस्ट्रेलिया में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सोलर पैनल के बदले सोलर शीट का इस्तेमाल करने की कोशिश हो रही है। सोलर शीट वहां लगाई जा सकती हैं, जहां सोलर पैनल लगाना मुमकिन न हो।
सौर ऊर्जा के इस्तेमाल की दिशा में प. बंगाल की एक और पहल को याद किया जाना चाहिए कि सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, दुर्गापुर के वैज्ञानिक लगभग पांच लाख रुपए की लागत से पांच किलो वाट बिजली पैदा करने वाले 'सोलर पॉवर ट्री' का एक अत्यंत महत्वपूर्ण आविष्कार कर चुके हैं, जिसमें स्टील के पाइप पर सोलर पैनल पत्तियों की तरह लगाए गए हैं। इसके प्रदर्शन के दौरान इंस्टीट्यूट के चीफ इंजीनियर एसएन मैती ने कहा था कि यह तो दस फीसदी अधिक बिजली देने वाले 'सौर ऊर्जा की खेती' जैसा उपक्रम है।
ऐसे में गौरतलब है कि वैश्विक पेरिस समझौते (पीएडब्ल्यूपी) के कार्यान्वयन के लिए दिसंबर 2018 में पोलैंड के केटोवाइस में आयोजित 'कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज टू द यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज' के 24वें सत्र में भारत ने जलवायु परिवर्तन के मसले पर पूरी दुनिया के सामने स्वच्छ ऊर्जा की जोरदार पहल करते हुए सन् 2022 तक अक्षय ऊर्जा के 175 जीडब्ल्यू उत्पादन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ देश के छठवें स्थान पर होने की याद दिलाई थी। पिछले साल संयुक्त राष्ट्र के 'चैंपियंस ऑफ अर्थ' पुरस्कार से सम्मानित होने एवं अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की पहली आम बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी याद दिला चुके हैं कि भारत को 2030 तक ('वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड' स्लोगन के साथ) गैर-जीवाश्म ईंधन से कुल बिजली का 40 प्रतिशत उत्पादन करना होगा।
प.बंगाल के वैज्ञानिक एसपी गोन चौधुरी तो भारत सरकार की इस प्रतिबद्धता से 35 साल पहले ही उस वक़्त स्वयं के सौर ऊर्जा मिशन की नींव रख चुके थे, जब उन्होंने देश का पहला मेगावाट स्केल ग्रिड और पहला तैरता सोलर पावर प्लांट तैयार किया था।
जाधवपुर विश्वविद्याल से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर और कोलकाता विश्वविद्यालय से डॉक्ट्रेट ऑफ़ साइंस की डिग्री लेने वाले चौधरी बताते हैं कि उन्नीस सौ नब्बे के दशक तक सुंदरबन के पहाड़ी इलाकों में लगभग पचास लाख लोग रोशनी के लिए मिट्टी के तेल पर निर्भर हुआ करते थे। उन्होंने 1994 में जब कमलपुर के घरों में मिनी-ग्रिड की मदद से सौर विद्युत पहुंचाई, जिस तकनीक पर बाद में सरकार की मदद से राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड में भी सौर ऊर्जा का इस्तेमाल शुरू हुआ, उन्हे तरह-तरह के विरोध का भी सामना करना पड़ा, लेकिन बिना किसी परवाह के वह अपने मिशन में जुटे रहे। आगे चलकर उन्होंने एक-पर-एक कई ऐसे सौर ऊर्जा उपकरणों का आविष्कार किया, जिससे आम जनता की जिंदगी आसान करने में आश्चर्यजनक मदद मिली है।
एसपी गोन चौधरी ने एक छोटे से यूएसबी पोर्ट शुदा डेढ़ हजार रुपए के 'माइक्रो सोलर डोम' नाम के ऐसे सौर यंत्र का आविष्कार किया है, जिससे दिनभर के अलावा रात में भी चार घंटे तक बिजली प्राप्त की जा सकती है। ओडिशा में फ़ानी चक्रवात के दौरान बड़ी संख्या में लोग इसी से मोबाइल चार्ज कर पाए थे। उन्होंने तीस यूनिट बिजली बचाने वाला एक ऐसा 'सोलर वाटर प्यूरिफायर' बनाया है, जो यूवी लाइट के जरिए पानी साफ़ करता है।
और तो और, चौधरी ने ग्रामीणों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बॉयोमेट्रिक 'जनता सोलर एटीएम' भी बनाया है, जिसे फिलहाल, रिज़र्व बैंक से मंज़ूरी तो नहीं मिली है, लेकिन दफ्तरों में इसका इस्तेमाल होने लगा है। स्वच्छ भारत अभियान को ध्यान में रखते हुए चौधरी द्वारा आविष्कृत छोटा सा 'सोलर पंप' त्रिपुरा के स्कूलों में नज़दीकी जलस्रोतों से शौचालय तक पानी पहुंचाता है। सौर विज्ञानी एसपी गोन चौधरी ने अभी लगभग नौ महीने पहले छोटी सी 'सोलर पॉवर स्टोरेज' मशीन भी बनाई है, जो बैटरी से पांच गुना सस्ती होने के साथ ही सोलर पावर को चौबीस घंटे के लिए पानी में संचित कर सकती है।