आइये 2019 में भारतीय उद्यमियों द्वारा वैश्विक स्तर पर पाई जा रही सफलता का स्वाद चखें
वास्तव में आज भारतीय उद्यमी लगातार ग्लोकल सोच रहे हैं, फिर बात चाहे उनके द्वारा तैयार किये जाने वाले उत्पादों की हो या फिर उनके द्वारा अधिग्रहण किये जाने वाले व्यवसायों की।
हममें से अधिकांश के लिये कई दुकानों से भरी हुई इस सड़क की तस्वीर को देखना एक बिल्कुल सामान्य सी बात हो सकती है। लेकिन फिर भी एक बार दोबारा नजर डालिये। इस विशेष तस्वीर- जिसे मैंने लगभग एक सप्ताह पहले देखा था और यह तब से मेरे दिलो-दिमाग में बसी हुई है - वास्तव में इसमें कुछ बेहद अनूठा और असाधारण है।
मेरी नजर में इस तस्वीर की सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि यह नए भारत और दुनिया के बीच भारत की बढ़ती प्रमुखता को बखूबी प्रदर्शित करती है। जैसा कि आप सभी बखूबी जानते हैं कि नया भारत जिसमें हम सब रहते हैं वास्तव में पारंपरिक बनाम आधुनिक और भारतीय बनाम विदेशी प्रभावों का संगम है और यह तस्वीर सही मायनों में इस छवि को पेश करती है।
इस तस्वीर में स्टारबक्स जैसे स्थापित और मशहूर अमेरिकी कॉफी ब्रांड के सामने डिंडीगुल थलप्पाकट्टी बिरयानी जैसे एक देसी भारतीय बिरयानी ब्रांड के नाम को देखना अपने आप में काफी दिलचस्प है। दोनों समान रूप से शानदार और अपने ओर आकर्षित करने वाले प्रतीत हो रहे हैं। ऐसा करते हुए भी दोनों विशिष्ट रूप से बिल्कुल अलग भी दिख रहे हैं और भारतीय ब्रांड पूरी तरह से देशी तड़का लिये हुए है क्योंकि इसमें कार्य प्रगति पर दिखाई दे रहा है। और मेरी नजर में यह नए भारत की सबसे बड़ी विशेषता है।
देखा जाए तो इस तस्वीर में दो ब्रांडों को प्रदर्शित करने का स्थान कई मायनों में नए भारत को परिभाषित करने वाली प्रमुख विषयवस्तुओं की याद दिलाती हैः भारतीय उद्यमियों और नेतृत्वकर्ताओं की एक नई पौध का उद्भव जो हर कीमत पर भारत की उपस्थिति को वैश्विक स्तर पर महसूस करवा रहे हैं।
और इस वैश्विक उपस्थिति को विभिन्न रूपों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। चाहे वह वैज्ञानिक और तकनीकी आविष्कार करना हो, या पर्यावरण, सामाजिक और शासन स्तर पर बदलाव के लिए नवाचार करना हो या वैश्विक स्तर पर विघटनकारी व्यवसायों का निर्माण करना हो, भारतीय उद्यमियों की नई पौध विशिष्ट रूप से ग्लोकल है।
ग्लोकल फोकस
वास्तव में आज भारतीय उद्यमी लगातार ग्लोकल सोच रहे हैं, फिर बात चाहे उनके द्वारा तैयार किये जाने वाले उत्पादों की हो या फिर उनके द्वारा अधिग्रहण किये जाने वाले व्यवसायों की। और जिस प्रकार से तेजी से घरेलू भारतीय ब्रांड स्थापित विदेशी ब्रांडों को चुनौती देते हुए वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान स्थापित करते हुए खुद को मजबूत कर रहे हैं वह इस गौरवशाली विशेषता और केंद्र का जाता-जागता प्रमाण है। और वे ऐसा बिल्कुल चुपचाप कर रहे हैं वह भी चुपचाप पाई गई सफलता या धन को लेकर कोई हल्ला मचाए बिना।
अब आप नागासामी धनाबलन का ही उदाहरण लें, जिन्होंने अपने दादा के छोटे से बिरयानी के व्यवसाय को संभालने के बाद उसे दुनिया में सबसे प्रसिद्ध भारतीय बिरियानी ब्रांडों में से एक डिंडीगुल थलप्पाकट्टी बिरयानी के रूप में स्थापित किया। साल 2009 में जब नागासामी ने अपने पिता से व्यवसाय की बागडोर संभाली, तो इस बिरियानी ब्रांड का तमिलनाडु के एक छोटे से शहर डिंडीगुल में सिर्फ एक ही भोजनालय था। लेकिन नागासामी ने हमेशा से ही अपने ब्रांड को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने का सपना देखा था, और उन्होंने वास्तव में ऐसा कर दिखाया।
बीते पांच सालों में नागासामी अपने इस बिरयानी के ब्रांड को अमेरिका, यूएई और फ्रांस जैसे देशों तक फैला चुके हैं और उन्होंने कभी सिर्फ एक भोजनालय वाले इस व्यापार को अब दुनियाभर में 50 शाखाओं तक विस्तारित कर दिया है जिनका कुल सालाना राजस्व करीब 300 करोड़ रुपये है। इस उद्यमी की नजरें अब अपने इस व्यवसाय को पब्लिक बनाकर आने वाले तीन वर्षों में 1,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने पर टिकी हैं।
- मेरी नजरों में कैसे नामासामी ने केएफसी जैसे एक वैश्विक खिलाड़ी से प्रेरणा लेते हुए डिंडीगुल थलप्पाकट्टी बिरयानी को चुपचाप कई देशों और शहरों में स्थापित करते हुए अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर लाभदायक ब्रांड बनाया प्रगति पसंद नवीय भारत को प्रदर्शित करने वाली कहानी है।
नागासामी की कहानी इतनी प्रेरक है कि हम सबको उससे प्रेरणा लेनी चाहिये और उसका जश्न मनाना चाहिये। बिल्कुल उन कई अन्य भारतीय उद्यमियों की कहानियों पर जश्म मनाने की तरह जो न केवल अपनी कंपनियों को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने की दिशा में कदम आगे बढ़ा रहे हैं बल्कि हर गुजरते लम्हे के साथ विदेशी बाजारों के पसंदीदा ब्रांड भी बनते जा रहे हैं।
तो ऐसे में जब डिंडीगुल थलप्पाकट्टी बिरयानी जैसे घरेलू ब्रांड अपने बिल्कुल विशिष्ट स्वाद और महक से दुनियाभर के अधिक से अधिक लोगों को अपनी आर आकर्षित कर रहे हैं हम लोगों को भी अपने ही देश में उनकी सफलता के स्वाद और मेहनत की अनदेखी न करते हुए खुलकर उनकी सराहना करना नहीं भूलना चाहिये।
क्योंकि 'मेड इन इंडिया' को दुनियाभर का सबसे लोकप्रिय और प्रसिद्ध टैग बनाने के लिये हमें सबसे पहले चीजों को अपने घर पर ही करना शुरू करना होगा। जैसे वॉल्टेयर ने कभी बेहद समझदारी से कहा था, 'प्रशंसा अपने आप में अत्युत्तम चीज है। यही वह चीज है जो दूसरों में मौजूद उत्कृष्टता को हमारा बनाती है।'
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