दिमाग को रीसेट करके बन सकते हैं पॉपुलर, ये है तरीका
क्या आप अपने रेजॉल्यूशन को पूरा करने या अपने फैसलों को निभा पाने में बार-बार चूक जा रहे हैं? समझ नहीं आ रहा कि आदतों पर कैसे टिका जाए? आइए जानते हैं लाइफ स्टाइल कोच अंतरिक्ष तातिया का इन सभी मुश्किलों पर क्या कहना है……
Honey Bengani Balachandar
Wednesday August 24, 2022 , 7 min Read
अंतरिक्ष तातिया काउंसलिंग करियर में थे तभी एक अनुभव ने उनके करियर की दिशा बदल दी. उस वाकये ने उन्हें दिमाग की जटिलता को समझने और उसके जरिए लोगों की परफॉर्मेंस में सुधार लाने के लिए मोटिवेट किया. उन्होंने 2012 में अपना पहला काउंसिलिंग सेशन लिया था तब उनकी उम्र महज 16 साल थी. तब से वो तक 1200 से ज्यादा लोगों की काउंसलिंग कर चुके हैं. इसमें साधु से लेकर आंत्रप्रेन्योर, सेलिब्रिटीज, और बड़े-बड़े कॉरपोरेट के नाम हैं. इसके अलावा अंतरिक्ष 8,000 लोगों को अलग-अलग फोरम्स में इस बारे में लोगों को बता चुके हैं.
कहां से हुई शुरुआत
स्कूल के दिनों से ही अंतरिक्ष को काउंसलिंग और हिप्नोथेरेपी में दिलचस्पी थी. पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने थेरेपी देना शुरू कर दिया था. मगर, एक वाकये की वजह से उन्हें शर्मिंदा होना पड़ा और उन्होंने इस करियर से ब्रेक लेने की सोची. अंतरिक्ष बताते हैं, एक सेशन के दौरान एक क्लाइंट अपनी कहानी बता रहा था. करीबन एक डेढ़ घंटे हो चुके थे. उस वक्त मैं खुद भी काफी कम उम्र का था. इसलिए सेशन लेना, लोगों की आपबीती सुनने का मेरे ऊपर भी भारी असर पड़ रहा था. सेशन के बीच में ही उस क्लाइंट को किसी का फोन आया और वह बात करने के लिए बाहर गए. मैंने उन्हें सेशन के बारे में निगेटिव बात करते हुए सुना, और मुझे काफी बुरा लगा. तभी मैंने फैसला किया कि मैं अब इस करियर में नहीं रहूंगा. लेकिन फिर सवाल आया कि ये नहीं करूंगा तो फिर क्या? काउंसलिंग का करियर छोड़ने के बाद इस सवाल का जवाब ढूंढना काफी जरूरी हो गया.
अंतरिक्ष आगे कहते हैं, जल्द ही मैंने नया करियर ढूंढना शुरू कर दिया. उसी दौरान मुझे NLP प्रोग्राम के बारे में मालूम पड़ा. मैं चेन्नै में होने वाले 6 दिन के प्रोग्राम में गया. इस कोर्स ने मुझे न सिर्फ कॉन्फिडेंस दिया बल्कि जिंदगी को लेकर पूरा नजरिया ही बदल दिया. वहां से मुझे 5-वीक गुरुकुल प्रोग्राम में भी हिस्सा लेने का मौका मिला. इसी कोर्स के दौरान मुझे मालूम पड़ गया कि अब मुझे किस दिशा में जाना है. अंतरिक्ष बताते हैं कि मुझे इस प्रोग्राम के बाद मालूम पड़ा कि मैं इन प्रोग्राम्स के जरिए लोगों की जिंदगी में कितनी वैल्यू जोड़ सकता हूं.
दिमाग की रिवायरिंग क्या है?
अंतरिक्ष के हिसाब से माइंड रिवायरिंग बाहरी देश से लिया हुआ टर्म है. साइकोलॉजी में किसी भी काम को करने के दो तरीके हैं. पहला- आर्कियोलॉजिकल अप्रोच, और दूसरा है- प्रोग्रेसिव अप्रोच. लाइफ कोचिंग, NLP, न्यू कोड NLP और न्यू एज इंटरवेंशन जैसे प्रोग्राम प्रोग्रेसिव अप्रोच माने जाते हैं. यह तरीका हमें बीते दिन में जाकर गड़े मुर्दे उखाड़ने की बजाय अपने दिमाग की साफ सफाई पर काम कराता है. पास्ट यानी बीते कल को समझने के लिए हिप्नोथेरेपी, काउंसलिंग, रिग्रेसन और ट्रांजैक्शनल एनालिसिस जैसी चीजों की मदद ली जाती है. हीलिंग, हिप्नोथेरेपी और माइंड मास्टरी जैसी प्रक्रियाओं का कई लोगों पर काफी समकारात्मक असर पड़ सकता है. आम जिंदगी में होने वाली परेशानियों पर कैसे कंट्रोल पा सकते हैं इसे लेकर अंतरिक्ष ने यहां कुछ टिप्स साझा किए हैं.
नशे से छुटकारा
नशा छोड़ने के लिए आप स्विस टेक्निक का इस्तेमाल कर सकते हैं. नशा, दरअसल एक आदत है जिसे हम अपनी जिंदगी का हिस्सा मान चुके होते हैं. हमें अंदाजा नहीं होता कि इसे बदला जा सकता है. इस आदत को छुड़ाने का तरीका बेहद आसान है. आपको सोचना है कि अगर आपने उस बुरी आदत को जारी रखा तो आप पर या आपकी सेहत पर किस तरह का बुरा असर पड़ सकता है. उस सीन को अपने दिमाग में 60 सेकंड तक सोचना है फिर आप उस तस्वीर को एक पॉजिटिव पिक्चर के साथ बदल दीजिए. किसी भी तरह के नशे से निकलने का ये सबसे बढ़िया तरीका है.
एक अच्छी आदत शुरू करें
हर बार नए साल पर कई लोग न्यू ईयर रेजॉल्यूशन तैयार करते हैं. यानी, इस साल हमें ये चीजें करनी ही हैं. हम में से कई लोग इस लिस्ट में एक्सरसाइज को जगह देते हैं. लेकिन गिने चुने लोग ही इसे निभा पाते हैं. यहां, सवाल उठता है, हम एक अच्छी आदत को बनाए रखने में दिमाग की कैसे मदद ले सकते हैं?
अंतरिक्ष कहते हैं, अपने दिमाग से पहले उन बातों को हटाएं जो आपको अच्छी आदतों पर टिके रहने से पीछे खीचते हैं. दिमाग से उन तस्वीरों को हटा दीजिए जो आपको सुस्त होने के लिए मोटिवेट करती हों. मसलन- बेड या फिर अलार्म की तस्वीर. अपने दिमाग में कल्पना कीजिए कि अगर आप नियमित रूप से कोई आदत फॉलो कर रहे हैं, जैसे कि एक्सरसाइज. उस वक्त आपको कैसा महसूस होता है. ये फील गुड वाला एहसास आपको उस आदत को जारी रखने में मदद करेगा. जरूरी नहीं कि रोज घंटा दो घंटा दिया जाए. आप थोड़ा-थोड़ा करके भी शुरू कर सकते हैं.
टालने की आदत कैसे छोड़ें
जब आपके दिमाग का बायां और दायां हिस्सा सिंक में हो. दिमाग में चलने वाली बातें भी उससे मेल खाती हों. जब दिमाग ऐसे स्टेट में आता है तो हमें अंदर एक शांति और सुकून का एहसास होता है. हमें दिमाग को इस फेज की आदत डलवानी है. जब तक ये हमारी आदत में शुमार न हो जाए. अंतरिक्ष आगे कहते हैं, सोचिए आखिरी बार आपको कब सफलता मिली थी. उस पल आपको याद कीजिए, आप कितने खुश थे. आप कैसा महसूस कर रहे थे. उस वाकये को रोज याद किजिए. इस तरह अच्छे पलों को याद करना आपकी एक आदत बन जाएगी, और आप दिमाग को रीप्रोग्राम कर पाएंगे और उसे फुल प्रोडक्टिव स्टेट में ला पाएंगे.
अच्छे रिश्ते बनाने के लिए
किसी भी रिश्ते के लिए अटेंशन सबसे जरूरी चीज होती है. रिश्ता कोई भी हो सकता है, पति-पत्नी का, दोस्तों के साथ या फिर ऑफिस में. आपके रिश्ते उसी हिसाब से चलेंगे जितना आप उन पर ध्यान देंगे. आप किसी को कितना समय दे रहे हैं, उससे ये तय नहीं हो जाता कि आप उस रिश्ते को कितनी अटेंशन दे रहे हैं. आपका समय उस समय सिर्फ उस रिश्ते के लिए होना चाहिए. तभी ये कहा जा सकता है कि आपने उस रिश्ते को अटेंशन दी है. आप उन्हें किस तरह का एहसास देकर उनके पास से जा रहे हैं ये भी जरूरी है.
अंतरिक्ष का कहना है, उन पांच रिश्तों की लिस्ट बनाएं जो आपके लिए सबसे ज्यादा अहम हैं. अब सोचें कि इन लोगों को आपसे किस तरह का एहसास मिल रहा है. तीसरा, आप उन लोगों से खुद के लिए किस तरह का एहसास चाहते हैं. अगली बार आप जब भी उनके साथ बात करें यह पक्का कर लें कि उनके मन में आपको लेकर या आपकी बातों को लेकर कोई निगेटिव इमोशन न हों. ऐसा होने पर ही आप इन लोगों के साथ एक मजबूत रिश्ता बना पाएंगे और ये लोग आपको पूरी तरह अपना पाएंगे. अगर आप एक अच्छा रिश्ता बुनना चाहते हैं तो आपको पॉजिटिव इंसान होने की बजाय रिसोर्सफुल शख्स बनना चाहिए. पॉजिटिविटी के चक्कर में रहेंगे तो लोगों को बस खुश करते रह जाएंगे. अगर आप रिसोर्स से भरे शख्स बनेंगे तो आप लोगों के बीच में पॉपुलर हो सकते हैं.
आखिर में, अंतरिक्ष कहते हैं, पॉजिटिव इमोशन भी अपनी जगह बेहद जरूरी है. इससे आपकी खुद की खुशियां दोगुनी होती हैं. अगर आप इसे अपनी आदत में बना लेंगे तो लोग आपको एक खुशमिजाज शख्स की तरह देखेंगे और आप एक इंफ्लुएंसर बन सकते हैं.
जैसा कि जमाने से कहा जाता रहा है, सब कुछ हमारे का दिमाग खेल है. जब आप अपने दिमाग को रिवायर करना सीख जाते हैं तो शायद ही कोई चीज है जो आप नहीं हासिल कर सकते हैं.
(Translated By- Upasana)