सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर क्या लिया जा सकता है लोन?
जरूरत पड़ने पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGB) पर भी लोन लिया जा सकता है.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) योजना 2022-23 की दूसरी सीरीज के तहत बॉन्ड की बिक्री 22 अगस्त से शुरू हो गई है. 26 अगस्त 2022 तक इन्हें खरीदा जा सकेगा. दूसरी सीरीज के तहत इश्यू प्राइस 5197 रुपये प्रति ग्राम तय किया गया है. ऑनलाइन या डिजिटल माध्यम से गोल्ड बॉन्ड के लिए आवेदन और भुगतान करने वाले निवेशकों के लिए इश्यू प्राइस 50 रुपये प्रति ग्राम कम होगा. सोने की फिजिकल डिमांड को कम करने के इरादे से सबसे पहले गोल्ड बॉन्ड योजना नवंबर, 2015 में लाई गई थी.
जरूरत पड़ने पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGB) पर भी लोन लिया जा सकता है. गोल्ड बॉन्ड को सिक्योरिटी/कोलैटरल (गिरवी रखकर) के तौर पर इस्तेमाल करके बैंकों, वित्तीय संस्थानों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) से लोन लिया जा सकता है.
क्या कहता है RBI
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर RBI के FAQ के मुताबिक, SGB को कोलैटरल के तौर पर इस्तेमाल कर बैंकों, वित्तीय संस्थानों और NBFCs से लोन लिया जा सकता है. हालांकि किसी व्यक्ति को गोल्ड बॉन्ड पर लोन दिया जाए या नहीं, यह फैसला बैंक/फाइनेंसिंग एजेंसी का होगा. अधिकार के नाम पर इस मामले में दखलअंदाजी नहीं की जा सकती है. साथ ही सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर लोन टू वैल्यू रेशियो, किसी साधारण गोल्ड लोन पर लागू लोन टू वैल्यू रेशियो के समान ही होगा. यह लोन टू वैल्यू रेशियो वक्त-वक्त पर RBI द्वारा प्रिसक्राइब किया जाता है.
कितना लोन मिल सकता है?
SGB पर लोन अमाउंट, अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग है. SBI में आपको सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर मिनिमम 20000 रुपये और मैक्सिमम 20 लाख रुपये प्रति व्यक्ति तक लोन मिल जाएगा. पंजाब नेशनल बैंक में यह लिमिट 50000 रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक है. इसी तरह अन्य बैंकों में भी गोल्ड बॉन्ड पर लोन अमाउंट की लिमिट अलग-अलग है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर लोन, ‘डिमांड लोन’ और ‘ओवरड्राफ्ट’ दो फॉर्म में मिलता है. लोन को चुकाए जाने की अवधि, प्रोसेसिंग फीस, मार्जिन, ब्याज दर भी विभिन्न बैंकों में अलग-अलग है. उदाहरण के तौर पर एसबीआई में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर दिए जाने वाले लोन के लिए ब्याज दर 9.70 प्रतिशत सालाना है.
यह भी रखें याद
बता दें कि कुछ बैंक लोन देने के लिए गोल्ड बॉन्ड को केवल डीमैट फॉर्म में ही स्वीकार करते हैं. वहीं कुछ बैंक इन्हें फिजिकल सर्टिफिकेट और डीमैट फॉर्म दोनों में ही स्वीकार करते हैं. इसके अलावा एक बात यह भी ध्यान रहे कि कुछ बैंक गोल्ड बॉन्ड के केवल उन्हीं सर्टिफिकेट को लोन देने के लिए स्वीकार करते हैं, जो उन्हीं की ब्रांच से जारी किए गए हों.
कितना और कैसे कर सकते हैं निवेश
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में कम से कम एक ग्राम सोने के लिए निवेश करना होता है. कोई भी व्यक्ति और हिंदू अविभाजित परिवार मैक्सिमम 4 किलोग्राम मूल्य तक का गोल्ड बॉन्ड खरीद सकता है. ट्रस्ट और समान संस्थाओं के लिए खरीद की मैक्सिमम लिमिट 20 किलोग्राम है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की बिक्री बैंकों, स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SHCIL), नामित डाकघरों और मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड (BSE) के माध्यम से की जाती है. याद रहे कि स्मॉल फाइनेंस बैंक और पेमेंट्स बैंकों को गोल्ड बॉन्ड बेचने की इजाजत नहीं है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को जॉइंट में या फिर नाबालिग के नाम पर भी खरीद सकते हैं.
ब्याज, मैच्योरिटी पीरियड और लॉक इन पीरियड
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर हर साल 2.5 प्रतिशत का ब्याज मिलता है. यह ब्याज इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत टैक्सेबल होता है. एक वित्त वर्ष में गोल्ड बॉन्ड पर हासिल ब्याज, करदाता की अन्य सोर्स से इनकम में काउंट होता है. इसलिए इस पर टैक्स इस बेसिस पर लगता है कि करदाता किस इनकम टैक्स स्लैब में आता है. हालांकि गोल्ड बॉन्ड से हासिल ब्याज पर TDS नहीं है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का मैच्योरिटी पीरियड 8 साल और लॉक इन पीरियड 5 साल है. इसका अर्थ हुआ कि गोल्ड बॉन्ड खरीदे जाने के 5 साल पूरे होने के बाद अगले ब्याज भुगतान की तिथि पर इसे प्रीमैच्योरली भुनाने की इजाजत दी जा सकती है.