दुर्घटना में दोनों हाथ और एक पैर खोने के बाद हौसले और साहस के दम पर बदली अपनी जिंदगी
जयपुर के रोशन नागर एक सामान्य जिंदगी जी रहे थे लेकिन उनके साथ घटी एक दुर्घटना ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया। हालांकि आज रोशन अपने अपने साहस और सराहनीय कामों के जरिये देश भर के युवाओं के लिए एक प्रेरणाश्रोत बन चुके हैं।
साल 2002 में पतंग के शौकीन रहे रोशन 15 साल की उम् में पतंग को पकड़ते हुए एक दुर्घटना का शिकार हो गए थे। छत पर खड़े रोशन उस पतंग को पकड़ने के लिए एक लोहे की रॉड का सहारा ले रहे थे लेकिन दुर्भाग्य से वह रॉड ऊपर से गुज़र रही एक हाईटेंशन लाइन से छू गई और रोशन बुरी तरह से घायल हो गए।
शुरू किया बिना हाथों के लिखना
रोशन को फौरन अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टर उनके इलाज के लिए जी जान से लगे हुए थे। दो दिनों तक कोशिश करने के बाद जब हाथों में खून का संचार शुरू नहीं हो सका तब डॉक्टरों ने उनके दोनों हाथ और एक पैर काटने का फैसला किया। हालांकि उस ऑपरेशन के बाद भी डॉक्टरों इस बात की उम्मीद कम ही थी कि रोशन बच पाएंगे, लेकिन रोशन जल्द ही ठीक होने लगे और कुछ दिनों बाद अपने घर वापस आ गए।
हालांकि रोशन के लिए अभी मानसिक रूप से लड़ना बाकी था। तभी रोशन के एक दोस्त ने उन्हें सुझाव दिया कि वे अपने हाथ के बचे हुए हिस्से में पेन फंसा कर लिखने की कोशिश करें। रोशन को यह सुझाव पसंद आया और उन्होने इसकी प्रैक्टिस शुरू कर दी। रोशन को इसमें भारी दर्द का भी सामना करना पड़ा, लेकिन अपने इरादों से मजबूत रोशन ने हार नहीं मानी।
मिले इलेक्ट्रॉनिक हाथ
रोशन ने बिना किसी की मदद लिए 10वीं और 12वीं की बोर्ड की परीक्षा पास की। रोशन उसे अपनी उपलब्धि की तरह देखते हैं। रोशन ने फिर स्नातक की डिग्री हासिल की, हालांकि शारीरिक स्थिति के चलते उन्हें किसी भी सरकारी नौकरी के लिए अपात्र घोषित कर दिया गया था। रोशन ने प्राइवेट सेक्टर से अपनी शुरुआत की लेकिन कुछ समय के भीतर ही वे वहाँ से भी वापस आ गए।
वे कोई बाहरी मदद नहीं लेना चाहते थे और इसी लिए उन्हें इलेक्ट्रॉनिक हाथों की जरूरत महसूस हुई, हालांकि उनकी कीमत करीब 13 लाख रुपये थी। रोशन ने विभिन्न धर्मार्थ ट्रस्टों और संगठनों से मदद मांगकर पैसा इकट्ठा करना शुरू किया, लेकिन इसके बावजूद वे पर्याप्त पैसे नहीं जुटा सके।
संघर्ष किया और बने अधिकारी
इस दौरान राजस्थान के एक एनजीओ ने उनकी मदद के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाए और रोशन को वो पैसे उपलब्ध कराये। इलेक्ट्रॉनिक हाथ मिलने के बाद रोशन ने अपना निजी संस्थान शुरू किया, जहां वे युवाओं को विभिन्न सॉफ्टवेयर प्रोग्राम पढ़ाते थे और यह सुनिश्चित करते थे कि भविष्य में उन युवाओं को नौकरी के मौके मिल सकें।
मीडिया से बात करते हुए रोशन ने बताया है कि हाल ही में उनका चयन बड़ौदा राजस्थान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में एक सहायक प्रबंधक के रूप में हो गया है। इसी के साथ रोशन एक सफल लेखक और एक मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं। रोशन के तमाम प्रेरक कार्यों के लिए राजस्थान सरकार के साथ ही कई अन्य संस्थानों भी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं।
रोशन के अनुसार 'जीवन में छोटी-छोटी परेशानियों को लेकर निराश नहीं होना चाहिए। जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं ऐसे में अगर आपको जीत हासिल करनी है तो लोगों को कभी हार न मानने वाला रवैया अपनाना चाहिए।'
Edited by Ranjana Tripathi