जो बिरयानी आप खा रहे हैं जरूरी नहीं वो हाथ से बनी हो, मशीन से भी बनी हो सकती है
अधिकांश क्लाउड किचन और रेस्टोरेंस चेंस किसी इंसानी लेबर के बजाय खाना तैयार करने के लिए मशीनों पर निर्भर होते जा रहे हैं.
आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि आपने जो आखिरी बिरयानी ऑर्डर की थी वह किसी खाना बनाने वाले इंसान यानी कूक ने नहीं बल्कि किसी मशीन ने बनाई थी. दरअसल, अधिकांश क्लाउड किचन और रेस्टोरेंस चेंस किसी इंसानी लेबर के बजाय खाना तैयार करने के लिए मशीनों पर निर्भर होते जा रहे हैं.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बेंगलुरु में क्लाउड किचन चेन डंकल किचन का ही उदाहरण लें. मालिक कार्तिकेयन सेल्वराज का दावा है कि ऑटोमेशन ने उन्हें एक बड़ी समस्या से उबरने में मदद की है.
उन्होंने कहा कि श्रम पर निर्भर होना इस उद्योग में एक बड़ी पीड़ा है क्योंकि वे अक्सर कुछ महीनों के अंतराल में बाहर चले जाते हैं. और यह साफ तौर पर मेरे ग्राहकों के लिए गुणवत्ता में गिरावट या खराब अनुभव का बहाना नहीं हो सकता है. खाना हर बार एक ही क्वालिटी का होना चाहिए.
इसे हल करने के लिए, उन्होंने एक वोकी में 2.5 लाख रुपये का निवेश किया. यह वोकी मुख्य रूप से बिरयानी बनाने की एक मशीन है लेकिन कई अन्य खाना भी तैयार कर सकती है.
चाय पॉइंट के चाय का स्वाद हमेशा एक जैसा होता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यह हमेशा एक ऐसे सिस्टम द्वारा जो क्लाउड पर दिए जाने वाले निर्देशों का पालन करता है.
चाय पॉइंट के को-फाउंडर और सीईओ अमूलीक सिंह ने कहा कि इन एंड्रॉयड बेस्ड मशीनों के साथ, हम विस्तार करेंगे. इन सभी मशीनों में उनके निवारक रखरखाव, आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दों, गोदामों आदि को संबोधित किया जाएगा क्योंकि हम अन्य आउटलेट्स, कार्यालयों आदि के साथ अन्य शहरों में भागीदार हैं.
उन्होंने कहा कि ये मशीनें किसी को भी स्टोर खोलने की अनुमति देती हैं. बस इतना करना है कि चाय बनाने से पहले उसे बनाने की सामग्री के साथ लोड करें.
एक मशीन एक दिन में 500 कप बना सकती है. कंपनी ने अब तक अपने बिजनेस-टू-बिजनेस-टू-कंज्यूमर (B2B2C) चैनल के माध्यम से देश के 19 शहरों में 5,000 मशीनें स्थापित की हैं.
रेस्टोरेंट, क्लाउड किचन और कॉरपोरेट कार्यालय तेजी से भोजन तैयार करने के लिए मशीनों पर निर्भर हो रहे हैं ताकि यह तेज, सस्ता हो और अन्य लाभों के साथ मानव निर्भरता को दूर कर सके. मुकुंद फूड्स, जूक और ऑन2कुक जैसे कुछ भारतीय स्टार्टअप रसोई के मेन्यू में रोबोटिक्स को शामिल कर तथाकथित फूड-एज-ए-सर्विस (एफएएएस) बिजनेस खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं. ये मशीनें बिना या न्यूनतम मानव श्रम के निरंतरता के साथ तेजी से भोजन तैयार करने की गारंटी देती हैं.
Edited by Vishal Jaiswal