कई गांवों को बनाया खुले में शौच से मुक्त, पद्मश्री से सम्मानित हुईं ये आदिवासी महिला समाजसेवी
आज देश में खुले में शौच के खिलाफ लोगों के भीतर बड़ी तेजी से जागरूकता बढ़ रही है, इसी के साथ सरकारों के साथ ही देश भर में तमाम गैर-लाभकारी संगठन और समाजसेवी भी इस दिशा में लगातार सराहनीय काम कर रहे हैं। इस बीच बड़ी संख्या में लोगों को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के प्रयास को लेकर एक आदिवासी महिला को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
गुजरात के तापी की गमित रामिलाबेन रायसिंगभाई एक आदिवासी समुदाय से आने वाली सोशल वर्कर हैं, जिन्होने अपने अथक प्रयासों के जरिये करीब 9 गांवों में खुले में शौच से मुक्त बनाया है। अब केंद्र सरकार ने उन्हें उनके इन प्रयासों के लिए पद्मश्री से सम्मानित करने की घोषणा की है।
बीते 7 सालों से जारी है समाजसेवा
इस दौरान गमित रामिलाबेन ने 300 से अधिक सैनेटरी यूनिट को स्थापित करने में सीधे तौर पर मदद की है। इतना ही नहीं, आदिवादी बेल्ट में जाकर इस समाजसेवी ने लगातार जागरूकता कार्यक्रमों का संचालन कर लोगों को खुले में शौच के खिलाफ जागरूक करने का भी काम किया है।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बात करते हुए गमित रामिलाबेन ने बताया है कि उन्होने साल 2014 में समाजसेवा के क्षेत्र में कदम रखा था। सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किए जाने के बाद गमित रामिलाबेन ने खुशी जताई है और साथ ही यह भी बताया है कि अब आगे चलकर वे अपने गाँव तपरवाड़ा में पानी की समस्या को सुलझाना चाहती हैं।
रामिलाबेन एक पहाड़ी गाँव की निवासी हैं, जहां लोगों को आम सामान के लिए भी मैदानी इलाकों तक जाना पड़ता है। इस तरह की कठिन परिस्थितियों के बीच उन्होने अपने शुरुआती दौर में महिलाओं की टीम की स्थापना की और स्वच्छता के प्रति लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के अपने इस अभियान को तेज़ किया।
अपने गाँव से की थी शुरुआत
इस अभियान के साथ उन्होने ना सिर्फ सैनेटरी यूनिट्स की स्थापना की, बल्कि उन्होने अपने ग्रुप के साथ इस बात पर भी नज़र रखी कि क्षेत्र में कोई खुले में शौच ना करे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उनकी इस पहल के साथ अब क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण भी पर ज़ोर पड़ा है।
मीडिया से बात करते हुए उन्होने बताया है कि उन्होने इस पहल की शुरुआत अपने गाँव की स्वच्छता को पुख्ता करने के साथ की थी और अब सरकार की गांवों को खुले में शौच से मुक्त बनाने की नीति के साथ आगे बढ़ते हुए वे इस दिशा में और तेजी से काम करना चाहती हैं।
Edited by Ranjana Tripathi