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Make In India: खिलौनों के आयात में आई 70% की गिरावट, निर्यात में 61% की वृद्धि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद खिलौना सेक्टर में सरकारी युक्तियों से उद्योग को मदद मिली है. टॉय बिज ने लघु, मझोले तथा बड़े उद्यमों द्वारा तैयार किए गए ‘मेड इन इंडिया’ प्रोडक्ट्स के साथ 96 प्रदर्शकों को आकर्षित किया है.

Make In India: खिलौनों के आयात में आई 70% की गिरावट, निर्यात में 61% की वृद्धि

Wednesday July 06, 2022 , 5 min Read

पिछले तीन वर्षों में खिलौना आयात (import of toys) में 70 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. एचएस कोड (HS Codes) 9503, 9504 एवं 9503 के लिए भारत में खिलौनों का आयात वित्त वर्ष 2018-19 के 371 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 110 मिलियन डॉलर रहा जो 70.35 प्रतिशत की कमी दर्शाता है. एचएस कोड 9503 के लिए, खिलौना आयात में और तेजी से कमी आई है जो वित्त वर्ष 2018-19 के 304 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान घट कर 36 मिलियन डॉलर पर आ गया.

इसके अतिरिक्त, इसी अवधि के दौरान निर्यात (export of toys) में 61.38 प्रतिशत का उछाल देखा गया है. एचएस कोड 9503, 9504 एवं 9503 के लिए, खिलौना निर्यात वित्त वर्ष 2018-19 के 202 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 326 मिलियन डॉलर रहा जो 61.39 प्रतिशत की बढोतरी दर्शाता है. एचएस कोड 9503 के लिए, खिलौना निर्यात बढ़कर वित्त वर्ष 2018-19 के 109 मिलियन डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान बढ़ कर 177 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया.

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सांकेतिक चित्र

अनिल अग्रवाल, DPIIT के एडिशनल सेक्रेटरी, ने नई दिल्ली के प्रगति मैदान में 2-5 जुलाई 2022 तक आयोजित टॉय बिज B2B अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी के 13वें संस्करण के दौरान मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि अगस्त 2020 में "मन की बात" (Mann Ki Baat) के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने "भारतीय खिलौना स्टोरी की रिब्राडिंग" की अपील की थी और घरेलू डिजाइनिंग को सुदृढ़ बनाने तथा भारत को खिलौनों के लिए एक ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में बनाने के लिए बच्चों के लिए सही प्रकार के खिलौनों की उपलब्धता, खिलौनों का उपयोग सीखने के संसाधन के रूप में करने, भारतीय मूल्य प्रणाली, भारतीय इतिहास और संस्कृति पर आधारित खिलौनों की डिजाइनिंग करने पर जोर दिया था. उन्होंने कहा कि उद्योग को सरकार की कई सारी युक्तियों से लाभ पहुंचा है और इसके परिणाम मेक इन इंडिया प्रोग्राम की सफलता प्रदर्शित करती है. उन्होंने यह भी कहा कि आयात मुख्य रूप से खिलौनों के कुछ कंपोनेंट तक सीमित रह गए.

खिलौना क्षेत्र (toys sector) के लिए सरकार द्वारा उठाए गए खास कदम -

  • विदेश व्यापार महानिदशालय (DGFT) ने दिनांक 02.12.2019 की अधिसूचना संख्या 33/2015-2020 के द्वारा प्रत्येक खेप का नमूना परीक्षण करना अधिदेशित किया था और जब तक गुणवत्ता परीक्षण सफल नहीं होता, बिक्री की अनुमति नहीं दी थी. विफलता की स्थिति में, खेप को या तो वापस भेज दिया जाता है या आयातक की कीमत पर उसे नष्ट कर दिया जाता है.

  • टॉयज एचएस कोड 9503 पर बेसिक कस्टम ड्यूटी (Basic Custom Duty - BCD) फरवरी, 2020 में 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दी गई है.

  • सरकार ने 25/02/2020 को खिलौना (क्वालिटी कंट्रोल) आदेश जारी किया था जिसके माध्यम से खिलौनों को 01/01/2021 से अनिवार्य भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) प्रमाणीकरण के तहत ला दिया गया है. गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (Quality Control Order - QCO) के अनुसार, प्रत्येक खिलौना संगत भारतीय मानक की आवश्यकताओं के अनुरुप होगा तथा BIS (अनुरुपता आकलन) विनियमन, 2018 की स्कीम-1 के अनुसार BIS से एक लाइसेंस के तहत मानक चिन्ह धारण करेगा. यह QCO घरेलू विनिर्माताओं तथा विदेशी विनिर्माताओं, जो अपने खिलौनों का भारत में निर्यात करना चाहते हैं, दोनों पर ही लागू है.

  • खिलौनों पर क्यूसीओ को 11.12.2020 को संशोधित किया गया था जिससे कि विकास आयुक्त (कपड़ा मंत्रालय) के साथ पंजीकृत कारीगरों द्वारा विनिर्मित्त तथा बेची जाने वाली वस्तुओं और आर्टिकल्स को और पैटेंट, डिजाइन तथा ट्रेडमार्क महानियंत्रक (CGPDTM) के कार्यालय द्वारा भौगोलिक संकेतक के रूप में पंजीकृत स्वामी और अधिकृत उपयोगकर्ताओं को भी छूट दी जा सके.

  • BIS ने 17.12.2020 को विशेष प्रावधान किए जिससे कि एक वर्ष के लिए बिना परीक्षण सुविधा वाली खिलौना बनाने वाली सूक्ष्म स्तर की इकाइयों को लाइसेंस प्रदान किया जा सके और इन-हाउस सुविधा स्थापित करने पर जोर न दिया जा सके.

  • BIS ने खिलौनों की सुरक्षा के लिए घरेलू विनिर्माताओं को 843 लाइसेंस प्रदान किए हैं जिसमें से 645 लाइसेंस गैर-बिजली वाले खिलौनों के लिए प्रदान किए गए हैं तथा 198 लाइसेंस बिजली वाले खिलौनों के लिए प्रदान किए गए हैं. इसके अतिरिक्त, 6 लाइसेंस अंतरराष्ट्रीय खिलौना विनिर्माताओं को प्रदान किए गए हैं.

सभी 96 प्रदर्शकों ने पारंपरिक प्लश खिलौनों, निर्माण उपकरण खिलौनों, गुड़िया, बिल्डिंग ब्लौक्स खिलौनों, बोर्ड गेम्स, पजल्स, इलेक्ट्रोनिक खिलौनों, शिक्षाप्रद खिलौनों, राइड-ऑन से लेकर विविध उत्पाद वर्ग प्रदर्शित किए हैं. सभी खिलौना उत्पाद ‘मेड इन इंडिया‘ (Made In India) प्रोडक्ट थे जो लघु, मझोले तथा बड़े उद्यमों द्वारा घरेलू रूप से विनिर्मित्त थे. जीआई टैग वाले खिलौने जैसेकि चेन्नापटना, वाराणसी आदि का भी प्रदर्शन किया जा रहा है.

प्रदर्शनी में भारतीय लोकाचार तथा मूल्य प्रणाली पर आधारित खिलौनों का प्रदर्शन किया जा रहा है जो ‘वोकल फॉर लोकल‘ (Vocal for Local) थीम का विधिवत समर्थन करते हैं. प्रत्येक खिलौना वर्ग के पास किफायती और हाई-एंड संस्करण हैं. यह 2019 में आयोजित प्रदर्शनी के 12वें संस्करण की ततुलना में एक महत्वपूर्ण बदलाव है जिसमें 116 स्टॉल थे और 90 स्टॉल केवल आयातित खिलौनों का प्रदर्शन कर रहे थे. इस प्रदर्शनी में भारत के 3,000 से अधिक आगंतुकों तथा सऊदी अरब, यूएई, भूटान, अमेरिका आदि से अंतरराष्ट्रीय खरीदार शिष्टमंडल ने भाग लिया.