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10 साल तक रहीं एंटरप्रेन्योर, फिर कविता से कुछ ऐसा जुड़ा नाता कि बन गईं 'स्पोकन वर्ड आर्टिस्ट'

अनामिका का फैमिली बैकग्राउंड पोइट्री का ही रहा है. लेकिन फिर भी उन्होंने कभी पोइट बनने का नहीं सोचा था.

10 साल तक रहीं एंटरप्रेन्योर, फिर कविता से कुछ ऐसा जुड़ा नाता कि बन गईं 'स्पोकन वर्ड आर्टिस्ट'

Tuesday March 21, 2023 , 7 min Read

साल 2019 का मदर्स डे...एक इवेंट में एक लड़की अनप्लान्ड तरीके से अपनी पहली कविता पढ़ती है. कविता एक मां पर बेस्ड होती है. वह कविता इतनी ज्यादा दिल छू लेने वाली होती है कि वायरल हो जाती है. हर तरफ उस कविता और उस लड़की की चर्चा होने लगती है. वह कविता थी 'मां तुम भी गलत हो सकती हो' और उसे लिखने और पढ़ने वाली लड़की का नाम 'अनामिका जोशी (Anamika Joshi). जयपुर बेस्ड अनामिका जोशी आज एक फेमस 'स्पोकन वर्ड आर्टिस्ट' (Spoken Word Artist) हैं. 'स्पोकन वर्ड क्राफ्ट कवि सम्मेलन का ही अपडेटेड रूप है. फर्क इतना है कि अगर फिजिकल स्टेज न भी मिले तो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर अपनी रचनाओं को लोगों तक पहुंचाया जा सकता है.

अनामिका का फैमिली बैकग्राउंड पोइट्री का ही रहा है. लेकिन फिर भी उन्होंने कभी पोइट बनने का नहीं सोचा था. साल 2019 में उनकी जिंदगी ने कुछ ऐसा मोड़ लिया कि 10 साल की एंटरप्रेन्योरशिप जर्नी के बाद वह पोइट बन गईं. आइए जानते हैं आज अनामिका जोशी की कहानी विस्तार से...

केरल में जन्म और अभी जयपुर है घर

अनामिका जोशी का जन्म केरल में हुआ था. 12वीं कक्षा की पढ़ाई के बाद उनका परिवार जयपुर आ गया. उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन जयपुर से ही की. ग्रेजुएशन के बाद अनामिका ने एक साल टीचर के तौर पर नौकरी की. इसके बाद उन्होंने दिल्ली से Sri Aurobindo Institute of Mass Communication (वर्तमान में Sri Aurobindo Centre for Arts & Communication) से मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने लगभग 6-7 महीने एक एड कंपनी में जॉब की. उसके बाद उन्हें स्लिप डिस्क हो गया और वह 3-4 महीनों के लिए बेड रेस्ट पर चली गईं. उसके बाद उन्होंने और एक साल एक एजेंसी के लिए काम किया और फिर खुद का स्टार्टअप शुरू किया.

एडवर्टाइजिंग एजेंसी पहला बिजनेस

अनामिका 24 वर्ष की उम्र में ही एंटरप्रेन्योर बन गई थीं. 2009 में अनामिका ने खुद की एडवर्टाइजिंग एजेंसी शुरू की, उनके बिजनेस पार्टनर थे तरुण, जो वर्तमान में अनामिका के पति हैं. साल 2015 तक दोनों ने मिलकर इसे चलाया. इसके बाद उन्होंने इससे कुछ सरल काम करने का फैसला किया. दोनों ने मिलकर ऊटपटांग नाम का स्टार्टअप स्टोर शुरू किया. इसके तहत वह साइनेजेस, मैग्नेट्स, मार्क, पोस्टर तैयार करने लगे. 2-3 सालों तक यह कारोबार किया. इसके बाद वे म्यूजिक प्रॉडक्शन हाउसेज व मूवीज प्रॉडक्शन हाउसेज के लाइसेंस प्राप्त मर्चेंडाइज क्रिएट करने का काम करने लगे. लेकिन यह कॉन्सेप्ट विदेश में जितना पॉपुलर है, उतना भारत में नहीं है. इसलिए काफी स्ट्रगल रहा. हालांकि उनकी कंपनी ने एआर रहमान, जस्टिन बीबर के लिए भी काम किया. लेकिन वक्त गुजरने के साथ अनामिका और उनके पति कर्ज में डूब गए.

इससे अनामिका स्ट्रेस में रहने लगीं और उनकी मेंटल हेल्थ को नुकसान पहुंचने लगा. लिहाजा उन्होंने कंपनी छोड़ने का फैसला किया. बिजनेस में ग्रोथ न होती देखकर ऊटपटांग को बंद करने का फैसला किया गया. उनकी कंपनी के इन्वेस्टर्स ने अनामिका को मुंबई आने का सुझाव दिया क्योंकि म्यूजिक और मूवीज के लिहाज से मुंबई बेस्ट है.

नहीं गईं मुंबई

लेकिन अनामिका के बिजनेस के वेंडर्स दिल्ली में बेस्ड थे और 10 साल की कारोबारी जर्नी की वजह से उनके साथ अंडरस्टैंडिंग भी काफी अच्छी थी. ऐसे में मुंबई जाना है, नहीं जाना है...इस कश्मकश के बीच अनामिका और उनके पति जयपुर अनामिका के घर चले गए. वहां जाकर दोनों को अहसास हुआ कि उन्हें एक ब्रेक चाहिए. इसके बाद दोनों दिसंबर 2018 में जयपुर एक किराए के घर में शिफ्ट हो गए. ऊटपटांग को अनामिका और तरुण ने 2014 से लेकर 2019 तक चलाया. जयपुर शिफ्ट होने के बाद इसे पूरी तरह बंद कर दिया गया. उसके बाद अनामिका ने फ्रीलांसिंग शुरू की और उनके पति नौकरी करने लगे.

फिर आया साल 2019 का मदर्स डे

साल 2019 के मदर्स डे का मौका था. इस मौके पर एक प्रोग्राम आयोजित किया गया था और ऑर्गेनाइजर अनामिका का एक दोस्त था. वह उसका पहला पोइट्री इवेंट था. अनामिका बताती हैं कि वह कविताएं लिख लेती हैं, यह बात उन्होंने किसी के साथ शेयर नहीं की थी. लेकिन चूंकि वह कॉपीराइटर थीं, एड एजेंसियों के साथ काम कर चुकी थीं, कवियों के परिवार से ताल्लुक रखती थीं तो उस दोस्त ने अंदाजा लगाया कि अनामिका कविताएं भी लिखती होंगी. लिहाजा उसने अनामिका को कार्यक्रम में स्टेज पर सुनाने के लिए एक कविता तैयार करने को कहा. पहले तो अनामिका ने सोचा कि वह यह नहीं कर पाएंगी और प्रोग्राम के एक दिन पहले तक उन्होंने कुछ नहीं लिखा था. उसी दिन उनकी मां, अनामिका और उनके पति से मिलने घर आईं. तीनों मिलकर कहीं बाहर जा रहे थे कि तभी अनामिका के दिमाग में अपनी मां को लेकर विचार आने लगे.

अनामिका बताती हैं कि उनकी मां का शादीशुदा जीवन संघर्षों से भरा रहा. वह घर में ही तरह-तरह के छोटे कारोबार करती थीं. अनामिका की मां उनके लिए हमेशा से एक प्रेरणा रहीं, क्योंकि रूढ़िवादिता के चलते उन्हें काफी कुछ सहना पड़ा. अनामिका के दिमाग में आ रहे विचार इस बारे में थे कि कैसे लोग उनकी मां की चॉइसेज पर सवाल उठाते हैं, कैसे उन्हें अपने मन से कुछ करने पर मन मारने का दबाव बनाया जाता है. इन विचारों ने उन्हें उनकी कविता के लिए कॉन्सेप्ट दे दिया. वह इस बैरियर को तोड़ना चाहती थीं कि मां भगवान होती है, इसलिए उन्होंने अपनी कविता का नाम रखा 'मां तुम भी गलत हो सकती हो'. जब वह लिखने बैठीं तो उनके दिमाग में विचार एक के बाद एक आते चले गए. उन्होंने महज 15 मिनट में कविता लिख डाली.

जब स्टेज पर पहली बार पढ़ी कविता

इससे पहले तक अनामिका कविताएं लिखती तो थीं लेकिन वे केवल नोटबुक के पन्नों में ही थीं. यह पहला मौका था, जब वह स्टेज पर कविता सुनाने वाली थीं. मदर्स डे के उस प्रोग्राम में मांएं आकर अपनी कहानियां, कविताएं सुनाने वाली थीं. अनामिका की परफॉरमेंस टलने की कगार पर थी क्योंकि कार्यक्रम अपने शिड्यूल से देरी से चल रहा था. लेकिन भाग्य से अनामिका को एक 10 मिनट का मौका हाथ लगा और उन्होंने स्टेज पर अपनी रचना सुना दी. उनकी कविता दिल को इस कदर छू लेने वाली रही कि हॉल में बैठी सभी औरतों की आंखें नम थीं. उन औरतों में अनामिका की मां भी थीं.

कार्यक्रम में स्टेज पर अपनी पहली कविता पढ़ना अनामिका की जिंदगी का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. अनामिका बताती हैं कि वह उनके अभी तक के करियर का सबसे ज्यादा दिलचस्प अनुभव रहा. उनका परफॉर्म करने का कोई प्लान नहीं था लेकिन सभी को उनकी कविता पसंद आई. सब उन्हें शाबासी, बधाई दे रहे थे. इसके बाद अगले तीन महीने अनामिका यही सोचती रहीं कि यह सब हुआ क्या. उनकी कविता ऑनलाइन अपलोड हो गई थी, अखबारों में छप गई थी. इसके बाद फादर्स डे आया और उस पर भी उन्हें कुछ लिखने को कहा गया. तब अनामिका ने फादर्स डे पर भी लिखा. उसके बाद लोगों ने उनसे पूछना शुरू किया कि उनकी सारी रचनाएं कहां मिल सकती हैं. तब अनामिका ने खुद का यूट्यूब चैनल 'बत्तो की बकवास' शुरू किया.

ब्रांड्स के लिए भी लिख रहीं अनामिका

अनामिका की कविताओं का जादू ब्रांड्स तक भी पहुंचा. एयू बैंक, वोल्टास, डाबर आदि ब्रांड्स ने अनामिका से कॉन्टैक्ट करना शुरू कर दिया. इसके बाद अनामिका ने उनके लिए लिखना शुरू किया और आज तक लिख रही हैं. 'बत्तो की बकवास' नाम से उनका एक इंस्टाग्राम पेज पर भी है. वह दिल्ली, मुंबई, जयपुर, कोटा जैसी जगहों पर स्टेज शो करती हैं.

क्या हैं फ्यूचर प्लान्स

अनामिका का कहना है कि उन्होंने कुछ और स्पोकन वर्ड आर्टिस्ट्स का वीडियो पॉडकास्ट करना शुरू किया है ताकि लोगों को इस क्राफ्ट के बारे में समझाया जा सके. इसके अलावा वह बत्तो की बकवास नाम का एक स्टूडियो भी प्लान कर रहे हैं. इसमें वह दूसरे स्पोकन वर्ड आर्टिस्ट्स को लिखने, रिकॉर्ड करने, परफॉर्म करने के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान करेंगे. एक परफॉर्मर के तौर पर अनामिका देश-विदेश में परफॉर्म करना चाहती हैं. अपने यूट्यूब चैनल का नाम बत्तो की बकवास क्यों रखा? इस सवाल के जवाब में अनामिका कहती हैं कि बत्तो उनका निकनेम है. इसके साथ उन्होंने बकवास को इसलिए जोड़ा ताकि लोगों को यह न लगे कि एक और इंसान आ गया ज्ञान देने. उनका मानना है कि उनकी बकवास वे बातें हैं जो लोगों के दिल तक पहुंच जाए, दिमाग में घंटी बजाएं, और रूह को छू लें.

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