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India MSME Summit 2022: क्या एमएसएमई के लिए ई-कॉमर्स खोल रहा है ग्रोथ के नए रास्ते? क्या चुनौतियां हैं मौजूद

देश के अन्य सेक्टर्स की तरह MSME सेक्टर भी कोविड19 के झटके से उबरते हुए एक बार फिर खुद को खड़ा कर रहा है.

India MSME Summit 2022: क्या एमएसएमई के लिए ई-कॉमर्स खोल रहा है ग्रोथ के नए रास्ते? क्या चुनौतियां हैं मौजूद

Monday June 27, 2022 , 3 min Read

भारत का MSME सेक्टर, GDP में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देता है. इससे साफ जाहिर है कि भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) में छोटे उद्योगों का बड़ा योगदान है. देश के अन्य सेक्टर्स की तरह MSME सेक्टर भी कोविड19 के झटके से उबरते हुए एक बार फिर खुद को खड़ा कर रहा है. MSME के सामने आ रही चुनौतियों, उनके लिए मौजूद और आगामी पॉलिसीज, क्रेडिट फैसिलिटी, टेक्नोलॉजी सॉल्युशंस, एक्सपोर्ट आदि को लेकर YourStory और SMBStory, India MSME Summit 2022 का चौथा एडिशन आयोजित किया.

यह वर्चुअल समिट 21 जून से शुरू होकर 27 जून 2022 तक चला. विभिन्न स्टेकहोल्डर्स, रेगुलेटर्स, पॉलिसीमेकर्स, टेक्नोलॉजी सॉल्युशंस प्रोवाइडर्स, SMB एंटरप्रेन्योर्स ने इस समिट में हिस्सा लिया.

'MSME और ई-कॉमर्स: बेनिफिट्स, चैलेंजेस एंड फ्यूचर'

India MSME Summit 2022 के ग्रैंड फिनाले के दिन 'MSME और ईकॉमर्स: बेनिफिट्स, चैलेंजेस एंड फ्यूचर' थीम पर योर स्टोरी हिंदी प्लेटफॉर्म पर एक पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया. इस पैनल डिस्कशन में एमएसएमई की ग्रोथ में ईकॉमर्स की भूमिका, चुनौतियों, सेलर्स की दिक्कतों, समाधान और डिजिटल लिटरेसी समेत कई मुद्दों पर चर्चा की गई. पैनल डिस्कशन में फेडरेशन ऑफ​ इंडियन माइक्रो एंड स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेस के वाइस प्रेसिडेंट राकेश छाबड़ा, ज्वैलरी ब्रांड Adwitiya Collection की फाउंडर अदिति गर्ग और मध्य प्रदेश में एमएसएमई विभाग में सेक्रेटरी व इंडस्ट्रीज कमिश्नर पी नरहरि, स्पीकर्स के तौर पर शामिल हुए.

कारोबार को ऑनलाइन लाना समय की मांग

डिस्कशन से सामने आया कि ई-कॉमर्स आज के दौर में एमएसएमई के लिए एक बड़ा सपोर्ट साबित हो रहा है. इसकी वजह से सेलर्स एक ही जगह से ऑपरेशनल होकर देश के विभिन्न हिस्सों में अपने प्रॉडक्ट पहुंचा सकते हैं. अ​दिति गर्ग ने कहा कि अगर एमएसएमई भविष्य में ग्रोथ हासिल करना चाहते हैं तो उन्हें अपने कारोबार को ऑनलाइन भी लाना होगा. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो वे पीछे रह जाएंगे. राकेश छाबड़ा ने कहा कि रिटेल बिजनेस के लिए यह निश्चित रूप से समय की मांग बन चुका है. वर्ना वह ज्यादा से ज्यादा कंज्यूमर, खासकर युवा कंज्यूमर से जुड़ने में पीछे रह जाएंगे.

ई-कॉमर्स वेबसाइट्स की मोनोपॉली बड़ी समस्या

डिस्कशन के दौरान ई-कॉमर्स से जुड़ने में एमएसएमई को आने वाली दिक्कतों पर भी रोशनी डाली गई. इस दौरान ईकॉमर्स वेबसाइट की ओर से सेलर्स से लिए जाने वाले मोटे कमीशन और उस कमीशन पर हाई जीएसटी का मुद्दा भी उठाया गया. पी नरहरि ने ईकॉमर्स की ओर से लिए जाने वाले मोटे कमीशन को लेकर कहा कि यह निश्चित रूप से एक बड़ी समस्या है. इसके पीछे वजह है कुछ ईकॉमर्स वेबसाइट्स की मोनोपॉली. वह मार्केट पर एकाधिकार स्थापित करना चाहते हैं. उन्होंने आगे कहा कि इसका समाधान ओएनडीसी जैसे प्लेटफॉर्म हो सकते हैं. इसके अलावा एक समाधान यह भी हो सकता है कि मैन्युफैक्चरर्स खुद की वेबसाइट लेकर आएं.

डिजिटल लिटरेसी भी अहम मुद्दा

डिजिटल की समझ न रखने वाले या कम समझ रखने वाले उद्यमियों के लिए क्या किया जा सकता है, इस पर भी चर्चा हुई. अदिति गर्ग ने कहा कि डिजिटल लिटरेसी की कमी होना भी एक अहम मुद्दा है, जो कई उद्यमियों को अपना कारोबार बढ़ाने में ईकॉमर्स की मदद लेने से रोकता है. इस मुद्दे पर पी नरहरि ने कहा कि इस दिशा में एंटरप्रेन्योर्स को पहल करनी चाहिए और ऐसा हो भी रहा है. हालांकि सरकार की ओर से अभी इस दिशा में अपने स्तर पर काम करने वाले को किसी तरह की सब्सिडी या वित्तीय सहायता का प्रावधान नहीं है. हालांकि इस दिशा में पहलों को पॉलिसी या स्कीम में कन्वर्ट करने के बारे में सोचा जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न उद्योग संगठनों को भी डिजिटल लिटरेसी की दिशा में काम करना चाहिए.