मिलें भारतीय अंतर्देशीय मत्स्य उद्योग में क्रांति लाने वाले सामाजिक उद्यमी से
नीलकंठ मिश्रा ने किसानों की आय को बेहतर करने के लिए शानदार पहल की है। नीलकठ द्वारा स्थापित संस्था जलजीविका से जुड़कर आज हजारों किसान बेहतर आय की तरफ अपने कदम बढ़ा रहे हैं।
नीलकंठ मिश्रा के अनुसार अंतर्देशीय मत्स्य पालन हमेशा भारत में 273 मिलियन छोटे और भूमिहीन किसानों के लिए आजीविका बनाने के एक व्यवहार्य साधन रहा है।
झारखंड के जमशेदपुर में औद्योगिक टाउन में पैदा हुए नीलकंठ शुरुआत से ही समसस्याओं के समाधान के लिए काम करने वालों में से थे। नीलकंठ के अनुसार ये शुरुआत तब हुई जब वो कॉलेज में थे, वहाँ उन्होने विज्ञान को शिक्षा से सीधे तौर पर जोड़ने के लिए यूथ क्लब की स्थापना की।
किसानों का शोषण है अहम समस्या
समस्याओं को दूर करने के नीलकंठ के जुनून ने कई छोटे और बड़े संगठनों के साथ बढ़ने के लिए प्रेरित किया। साल 2001 में खाने का अधिकार आंदोलन में भाग लेने के बाद, नीलकंठ ऑक्सफैम में शामिल हो गए, जहां उन्होंने अंतर्देशीय मत्स्य क्षेत्र की अप्रयुक्त क्षमता के साथ-साथ संबंधित समुदायों का सामना करने वाले संघर्षों को देखा।
नीलकंठ को यह समझ आया कि देश में बड़ी संख्या में जलाशय मौजूद हैं, लेकिन उनसे किसानों का काफी कम फायदा हो रहा है। देश में 74 प्रतिशत किसान ऐसे हैं जिनके पास खेती के लिए जमीन नहीं है या उनका भूमि मालिक द्वारा शोषण किया जा रहा है। ऐसे में नीलकंठ ने इन संशधनों की कमान ऐसे किसानों को देने की ठानी।
नीलकंठ कहते हैं,
“मैंने यह अनुभव किया कि देश में कई ऐसे जलाशय हैं, लेकिन उनपर बेहद कम संगठन काम कर रहे हैं, लोग कृषि पर काम कर रहे हैं, लेकिन मत्स्य पालन पर नहीं।”
कई जलाशयों पर कुछ ताकतवर लोग कब्जा कर रहे हैं, जिसमें मत्स्य पालन के साथ ही इन कृषि मजदूरों का शोषण भी हो रहा है, जबकि देश में मछ्ली पकड़ने वाले काफी कुशल हैं। सरकार की ओर से बड़ी संख्या में मत्स्य व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए योजनाएँ चलाई जा रही हैं, लेकिन इसका सीधे तौर पर फायदा इन आम किसानों तक नहीं पहुँच पा रहा है।
जलजीविका की स्थापना
इन जलाशयों की मदद से किसान अपने जीवनस्तर को और ऊपर उठा पाएँ इसके लिए नीलकंठ ने जल जीविका केंद्र की स्थापना की। नीलकंठ मानते हैं कि इन संसाधनों का लाभ किसानों को बराबरी से मिलना चाहिए।
नीलकंठ किसानों के साथ जुड़कर जलाशयों कि खोज के साथ ही उन्हे उत्पादन तक में मदद कर रहे हैं, इसके लिए नीलकठ ने किसानों के नए ग्रुप का भी गठन किया है। नीलकंठ का संगठन किसानों को कम समय के लिए इस संसाधनों को लीज पर लेने और उन्हे जरूरी ट्रेनिंग मुहैया कराने का भी कम कर रहा है।
संगठन की मदद से किसान उत्पादन के साथ ही बाज़ार में भी अपने संपर्क स्थापित कर पा रहे हैं। सस्था किसानों के भीतर कौशल विकास और उन्हे विवाद निस्तारण के लिए भी तैयार कर रही है। ये किसान अब खुद के माइक्रो वेंचर पर भी काम कर रहे हैं। नीलकंठ की पहल के बाद अब किसान अपने पैरों पर खड़े हो रहे हैं।
आगे बढ़ रही है पहल
नीलकंठ के अनुसार उन्हे अपने इस संस्थान की मदद से देश भर के किसानों तक पहुँच बनाना काफी मुश्किल है, इसे देखते हुए नीलकंठ केंद्र और राज्य सरकारों के साथ भी बात कर रहे हैं।
जलजीविका संस्था हर साल देश भर में 5 हज़ार से अधिक लोगों के लिए रोजगार पैदा कर रही है, इसी के साथ संस्था ने किसानों के समूह को आर्थिक रूप से भी मजबूत करने का काम किया है।
किसानों की हुई कमाई
साल 2019 में संस्था की पहल 18 हज़ार नए किसानों तक पहुंची। ये सभी किसान औसतन 45 हज़ार रुपये की सालाना कमाई कर रही है, वहीं कुछ किसानों ने अपने कौशल के दम पर 45 हज़ार रुपये तक की कमाई भी की।
नीलकंठ की इस फल से महिला किसानों को भी फायदा हुआ है। कई महिला किसानों के समूह ने इसके चलते पहली बार कमाई की ओर भीं कदम बढ़ाया है।