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कानपुर में जरूरतमंदों के मददगार बने ये युवा, गरीब बच्चों को उपलब्ध करा रहे हैं स्कूल किट

सर्दियों के मौसम में आग से हाथ सेंकते हुए सागर को यह अहसास हुआ कि जब इस ठंड में हमारा ये हाल है, तो बेसहारा लोगों का क्या हाल होगा। बस इसके बाद सागर ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर बेसहारा लोगों का सहारा बनने के उद्देश्य से एक मुहिम शुरू की, जो आगे चलकर ‘हेल्प अदर्स फ़ाउंडेशन’ संस्था की शक्ल में सामने आई।

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गरीब बच्चों को स्कूल किट उपलब्ध करा रहा है 'हेल्प अदर्स फ़ाउंडेशन'


उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में कुछ कॉलेज छात्रों द्वारा शुरू की गई मुहिम आज कानपुर शहर में कई बेसहारा लोगों के लिए सहारा बन रही है। कुछ दोस्तों द्वारा शुरू हुई इस नेक पहल के साथ आज बड़ी तेज़ी से लोग जुड़ रहे हैं। छात्रों द्वारा स्थापित एनजीओ ‘हेल्प अदर्स फ़ाउंडेशन’ शहर की मलिन बस्तियों में जाकर जरूरतमंदों को उनकी जरूरत का समान उपलब्ध कराने के साथ ही गरीब छात्रों को बेहतर शिक्षा के लिए प्रयासरत है।

ऐसे हुई शुरुआत

‘हेल्प अदर्स फ़ाउंडेशन’ के सह-संस्थापक सागर यादव ने योरस्टोरी से बात करते हुए बताया कि

“साल 2016 की सर्दियों में हम कुछ दोस्त एक साथ बैठकर आग से अपने हाथ सेंक रहे थे, तभी हमें उन लोगों का खयाल आया जो इस भीषण ठंड में किसी आसरे की तलाश में भटक रहे होंगे, हमने बचपन से ऐसे लोगों को भटकते हुए देखा है, तभी हमें आगे बढ़कर ऐसे लोगों की मदद करने की ठानी।”
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'हेल्प अदर्स फ़ाउंडेशन' के सह संस्थापक सागर यादव

सागर ने अपने दोस्त शिवम तोमर और अंकित यादव के साथ मिलकर साल 2017 में ‘हेल्प अदर्स फ़ाउंडेशन’ नाम के एनजीओ की शुरुआत की। आज सागर और उनकी टीम इसी एनजीओ के बैनर के तले जरूरतमंदों को मदद बाँट रहे हैं।

सागर आगे बताते हैं,

“ऐसा नहीं है कि हम काफी अमीर घर से आते हैं, लेकिन फिर भी हमारे पास उन गरीब लोगों से अधिक है और हम उनकी मदद कर सकते हैं ताकि हम उनकी भी जिंदगी में कुछ बदलाव ला सकें।”

अपने घरों से कपड़े इकट्ठे कर किए दान

सागर बताते हैं कि शुरुआती दौर में हम दोस्तों ने घर से कपड़े ले जाकर जरूरतमंदों के बीच बांटने शुरू किए। सागर आगे बताते हैं,

“जब हम पहली अपने पुराने कपड़े जरूरतमंदों में बांटने गए तो वहाँ पर कपड़े कम पड़ गए, तब हमें समझ आया कि ऐसे लोगों की संख्या काफी अधिक है।” 
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सर्दी के मौसम में जरूरतमंदों को कंबल बांटते सदस्य

जुड़े हैं छात्र और नौकरीपेशा लोग

फ़ाउंडेशन के साथ बड़ी संख्या में छात्र जुड़े हुए हैं। सागर के अनुसार उनके साथ औसतन 20 से 30 साल की उम्र तक के युवा जुड़े हुए हैं। इनमें छात्र और नौकरी-पेशा लोग भी शामिल हैं, इसी के साथ कुछ नए स्टार्टअप भी हैं जो संस्था का सहयोग कर रहे हैं। आज संस्था के साथ करीब 100 से अधिक सक्रिय मेंबर्स जुड़े हुए हैं।



सोशल मीडिया के जरिये आगे बढ़ी पहल

सागर के अनुसार कानपुर जैसे शहर में शुरुआती दौर में हर जगह पहुँच पाना काफी मुश्किल था। हमने लोगों से जुड़ने के लिए फेसबुक और इंस्टाग्राम पेज बनाया, जिसकी मदद से हम शहर के अन्य हिस्सों तक भी पहुँच पाये। फेसबुक के जरिये काफी संख्या में लोग हमारे साथ इस मुहिम में शामिल हुए।

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संस्था के अन्य सदस्य

गरीब बच्चों की शिक्षा बनी प्राथमिकता

कानपुर के कई हिस्सों में कई ऐसी बस्तियाँ हैं, जहां बच्चे शिक्षा के लिए तरस रहे हैं। हमने अपनी पहल को आगे ले जाते हुए जरूरतमंद बच्चों को स्कूल किट उपलब्ध कराना शुरू किया। सागर कहते हैं,

“हम जरूरतमंद लोगों की हर संभव मदद कर रहे हैं वो ठीक है, लेकिन अगर ये बच्चे पढ़ जाएंगे तो अपना और अपने परिवार का भविष्य खुद ही बेहतर कर सकेंगे।”
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बच्चों में बांटते हैं स्कूल किट

हेल्प अदर्स फ़ाउंडेशन इसके साथ ही फूड डोनेशन और ब्लड डोनेशन के लिए भी कैंप का आयोजन करता है, इस दौरान इस नेक काम में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं।

अन्य शहरों में बढ़ा रहे हैं कदम

हेल्प अदर्स फ़ाउंडेशन अभी कानपुर में सक्रिय तौर पर समाजसेवा का काम कर रहा है, लेकिन संस्थापक सागर के अनुसार वे जल्द ही लखनऊ और कानपुर देहात में भी इस पहल को ले जाना चाहते हैं। सागर बताते हैं कि

“लखनऊ और कानपुर देहात से भी बड़ी संख्या में लोग हमसे जुड़े हैं और उन शहरों में भी इस पहल को आगे बढ़ाने की अपील कर रहे हैं।"

सरकार से नहीं मिली मदद

फ़ाउंडेशन को केंद्र या प्रदेश सरकार की तरफ से अभी कोई मदद नहीं मिली है, जिसके चलते फ़ाउंडेशन अभी डोनेशन के आधार पर ही इस पहल को आगे लेकर जा रहा है, इस संबंध में बात करते हुए सागर कहते हैं कि,

“सरकार से हम चाहते हैं कि जिन गरीब बच्चों को शिक्षा के पर्याप्त मौके नहीं मिल पा रहे हैं, उन्हे वो मौके उपलब्ध कराये जाएँ, बहुत से बच्चे ऐसे हैं जो अपनी मजबूरियों के चलते स्कूल नहीं जा पाते हैं। हम चाहते हैं कि ऐसे बच्चों के लिए ट्यूशन क्लाससेस की व्यवस्था हो।”
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स्लम एरिया में बांटते हैं मदद

सागर इसी के साथ कहते हैं कि,

"हम हर चीज़ के लिए सरकार को दोष भी नहीं दे सकते हैं। जरूरी है कि हम भी अपनी तरफ से कुछ कदम उठाएँ।"

डोनेशन में है पारदर्शिता

‘हेल्प अदर्स फ़ाउंडेशन’ में दान करने वाले लोगों के लिए पूरी पारदर्शिता का पालन किया जाता है। लोगों को यह जानकारी दी जाती है कि उनकी दी हुई राशि का इस्तेमाल कहाँ हुआ है, इसी के साथ फ़ाउंडेशन लोगों को कैंप में भी साथ चलने का आमंत्रण देता है।

सागर के अनुसार

"फ़ाउंडेशन के लिए दान करने वालों के लिए पूरी पारदर्शिता रखी गई है। जो हमसे जुड़कर लोगों की मदद करना चाहते हैं, वे खुद ही हमारे साथ जाकर वितरण में हिस्सा लेते हैं।"

भविष्य के लिए हैं तैयारियां

सागर के अनुसार फ़ाउंडेशन गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए मुख्यता काम कर रहा है। फ़ाउंडेशन ऐसे बच्चों को शिक्षा के लिए स्कूल किट भी उपलब्ध करा रहा है। इसी के साथ ही फ़ाउंडेशन अन्य लोगों में भी समाजसेवा के प्रति जागरूकता फैलाने का काम भी कर रहा है।