MG Motor और LOHUM ने ‘सैकंड लाईफ’ ईवी बैटरी सॉल्यूशन के लिए किया करार
एमजी और लोहम की साझेदारी का उद्देश्य बैटरीज़ के लिए सैकंड लाईफ सॉल्यूशंस के सिद्धांत का विकास करना, उनका प्रभावशाली उपयोग सुनिश्चित करना और सर्कुलर अर्थव्यवस्था में योगदान देना है. इस परियोजना में यूज़्ड बैटरीज़ का उपयोग बैटरी एनर्जी स्टोरेज प्रोडक्ट्स (BESS) के रूप में किया जाएगा.
हाइलाइट्स
- सस्टेनेबल पर्यावरण के लिए अपनी तरह की पहली सैकंड लाईफ ईवी बैटरी लॉन्च की.
- फर्स्ट प्रोडक्ट के रूप में 5 किलोवॉटघंटा बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) पेश किया.
99 साल पुरानी विरासत के साथ ब्रिटिश ऑटोमोबाईल ब्रांड, एमजी मोटर इंडिया (MG Motor India) ने भारत में सस्टेनेबल एनर्जी ट्रांज़िशन सामग्री के सबसे बड़े उत्पादक, लोहम (
) के साथ साझेदारी की है. इस साझेदारी का उद्देश्य ईवी बैटरी के पुनः उपयोग और लाईफ साईकल मैनेजमेंट के लिए एक विस्तृत परिवेश की स्थापना करना है. एमजी और लोहम की साझेदारी का उद्देश्य बैटरीज़ के लिए सैकंड लाईफ सॉल्यूशंस के सिद्धांत का विकास करना, उनका प्रभावशाली उपयोग सुनिश्चित करना और सर्कुलर अर्थव्यवस्था में योगदान देना है. इस परियोजना में यूज़्ड बैटरीज़ का उपयोग बैटरी एनर्जी स्टोरेज प्रोडक्ट्स (BESS) के रूप में किया जाएगा, ताकि उनकी लाईफ साईकल और संसाधन की उपयोगिता बढ़ाई जा सके.इस गठबंधन के अंतर्गत, लोहम एमजी इलेक्ट्रिक वाहनों की एंड-ऑफ-फर्स्ट-लाईफ बैटरीज़ का उपयोग सस्टेनेबल सैकंड-लाईफ बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) के लिए करेगा, ताकि भारत के गाँवों और शहरों में उन्हें स्वच्छ एनर्जी के अनेक उपयोगों के लिए इस्तेमाल किया जा सके. सैल की क्षमता को बढ़ाकर सर्वाधिक करने के लिए लोहम की प्रोप्रायटरी रिपर्पज़िंग टेक्नॉलॉजी का उपयोग किया जाएगा, और ‘रिमेनिंग यूज़फुल लाईफ (आरयूएल) वाले अच्छे सैल द्वारा स्वच्छ एनर्जी के विभिन्न उपयोगों के लिए सस्टेनेबल सैकंड लाईफ बीईएसएस का निर्माण किया जाएगा.
राजीव छाबा, सीईओ एमेरिटस, एमजी मोटर इंडिया ने इस साझेदारी के बारे में कहा, ‘‘एमजी में हम सदैव इनोवेशन और सस्टेनेबिलिटी का विकास करने में यकीन करते रहे हैं. बैटरी एनर्जी स्टोरेज सॉल्यूशंस (BESS) अपने बहुआयामी उपयोग, किफायत, और स्थानीय समुदायों के सहयोग से भारत में एनर्जी के परिदृश्य में बड़ा परिवर्तन ला सकता है. इसकी मदद से भारत एक ऐसे भविष्य की ओर बढ़ सकता है, जिसमें स्वच्छ, भरोसेमंद और कम-लागत का एनर्जी स्टोरेज संभव हो सके, और समुदाय, परिवार एवं संपूर्ण ग्रामीण क्षेत्रों का सस्टेनेबल विकास हो और देश में एनर्जी के मामले में आत्मनिर्भरता आ सके.’’
छाबा ने आगे कहा, ‘‘लोहम के साथ अपने सहयोग द्वारा हम सस्टेनेबल मोबिलिटी की ओर अपनी प्रतिबद्धता की दिशा में बड़ा कदम उठा सकेंगे. हमारे ईवी मॉडलों की यूज़्ड बैटरी को दूसरे कामों में लेकर हम न केवल उनकी लाईफ साईकल बढ़ा रहे हैं, बल्कि आवश्यक सामुदायिक केंद्रों को पॉवर की डिलीवरी भी संभव बना रहे हैं. इस समय स्वच्छ एनर्जी की एक सुरक्षित, व्यवहारिक और स्थिर आपूर्ति की जरूरत है, और हमारी यह सामरिक साझेदारी उसी दिशा में हमारा कदम है.’’
लोहम के फाउंडर एवं सीईओ, रजत वर्मा ने इस साझेदारी के बारे में बताया, ‘‘इस प्रयास में लोहम को एमजी मोटर इंडिया के साथ गठबंधन करने की खुशी है. बैटरी मटेरियल रिसाईक्लिंग और लो-कार्बन रिफाईनिंग में हमारी विशेषज्ञता द्वारा हम एमजी की ईवी बैटरीज़ के प्रभावशाली उपयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. इन बैटरीज़ को बीईएसएस के रूप में पुनः उपयोग करके हम स्वच्छ एनर्जी की ओर परिवर्तन को सर्कुलर बनाएंगे और सामुदायिक केंद्रों में भरोसेमंद पॉवर सप्लाई की महत्वपूर्ण जरूरत को संबोधित करेंगे. यह गठबंधन सस्टेनेबल विकास की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है और एक हरित भविष्य का निर्माण करने की हमारी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है.’’
इस साझेदारी के अंतर्गत हमारी पहली पेशकश भारत के गाँवों और शहरों में एनर्जी की जरूरत को पूरा करने के लिए 100 प्रतिशत ऑफ-ग्रिड, 5 किलोवॉटघंटा बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) होगा, जो एंड-ऑफ-लाईफ ईवी बैटरी की समस्या को हल करके और बैटरी वेस्ट सेक्टर का नियोजन करके प्राप्त होगा. BESS अनियमित ग्रिड सप्लाई वाले इलाकों में लगातार बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करेगा.
यूज़्ड एमजी ईवी बैटरीज़ का उपयोग सैकंड-लाईफ एनर्जी स्टोरेज सिस्टम के लिए करके, एमजी मोटर इंडिया और लोहम सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रहे हैं. सर्कुलर अर्थव्यवस्था के मॉडल में संसाधनों के उपयोग में कमी लाने, उनका पुनः उपयोग करने और रिसाईकल करने पर बल दिया जाता है, ताकि एक ऐसा क्लोज़्ड लूप बने, जिसमें वेस्ट कम से कम हो, और सस्टेनेबिलिटी ज्यादा से ज्यादा. इस गठबंधन द्वारा कार की वो बैटरी को काम की नहीं रहती हैं, उन्हें अन्य उपयोग में लेकर संसाधनों का एक ज्यादा प्रभावशाली और जिम्मेदार उपयोग सुनिश्चित किया जाता है.